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हालांकि मृतकों का आंकड़ा इसलिए थोड़ा कम रहा क्योंकि राहत एवं बचाव कार्य को तत्परता के साथ किया गया था.
दुनिया के इतिहास (History) पर अगर एक नजर डाली जाए, तो पता चलेगा कि ऐसे कई बड़े हादसे हुए हैं, जिनके पीछे की वजह मानवीय भूल रही है. इस तरह के हादसों को वक्त रहते रोका जा सकता था. ऐसा ही एक हादसा (Accident) उस जहाज के साथ भी हुआ था, जिसमें क्रू के 80 लोग और 459 यात्री सवार थे. जहाज में किसी यात्री को इस बात की भनक भी नहीं थी कि अगले ही पल उनके साथ कुछ ऐसा होने वाला है, जो इतिहास में काले अक्षरों में दर्ज हो जाएगा. महज 90 सेकेंड में ही इस हादसे ने 193 लोगों की जान (Ship Capsized) ले ली थी.
ये हादसा जहाज के पानी में पलटने की वजह से हुआ था. ये जहाज यूरोपीय देश बेल्जियम के बंदरगाह जीब्रुगी (Zeebrugge) से निकला था, जिसके थोड़ी देर बाद ही वो हादसे का शिकार हो गया. ये हादसा 6 मार्च की रात को साल 1987 (6 March History) में हुआ था. मृतकों में यात्रियों के अलावा क्रू के सदस्य भी शामिल थे. इस जहाज का नाम एमएस हैराल्ड ऑफ फ्री एंटरप्राइज (MS Herald of Free Enterprise) था. यह एक तरह का रोल-ऑन/रोल-ऑफ (RORO) जहाज था. जहाज यूरोपीय कंपनी टाउनसेंड थोरेसन (Townsend Thoresen) का था.
जहाज में नहीं थे वॉटरटाइट कंटेनर
इसे भारी लोडिंग और अनलोडिंग करने के उद्देश्य से तैयार किया गया था. इसके अलावा इसमें वॉटरटाइट कंटेनर (Watertight Compartments) नहीं थे. वॉटरटाइट का मतलब होता है पानी का ना भरना. बंदरगाह से निकलते समय जहाज का मुख्य दरवाजा खुला हुआ था. जिसके कारण थोड़े ही समय बाद उसमें पानी आने लगा. जब हादसे के बाद मामले की जांच की गई तो पता चला कि इसके पीछे का कारण जहाज चालक की लापरवाही था. जिस वक्त उन्हें मुख्य दरवाजे को बंद करना था, तब वह अपने कैबिन में सो रहे थे.
छह महीने बाद बेचा गया जहाज
जब मामले की आधिकारिक तौर पर जांच की गई तो इससे भी बड़ी गलती पर्यवेक्षकों और खराब संचार व्यवस्था की बताई गई. हादसे के बाद जहाज को 30 सितंबर, 1987 में एसए किंग्सटाउन को बेच दिया गया और इसका नाम बदलकर फ्लशिंग रेंज किया गया. इसके बाद इसे 22 मार्च, 1988 को खत्म करने के लिए ताइवान भेजा गया. इस हादसे के बाद आरओआरओ जहाजों (RORO Vessels) के डिजाइन में कई सुधार किए गए. इनमें वॉटरकैंप रैंप्स लगाए गए, ऐसे इंडिकेटर लगाए गए जिनसे मुख्य दरवाजों की स्थिति की जानकारी मिलना आसान हो गया और अविभाजित डेक्स को बैन कर दिया गया.
मिनटों में पानी भरना शुरू हुआ
जहाज शाम के 6 बजकर पांच मिनट पर निकला था, उसका आकार इतना बड़ा था कि उसमें 81 कार, 3 बस और 47 ट्रक भी मौजूद थे. आउटर मोल से जहाज 06.24 मिनट पर निकला था और इसके महज 4 मिनट बाद ही वो पानी में पलट गया. हालांकि जब इस जहाज ने बंदरगाह को छोड़ा था, तो उसके कुछ सेकेंड बाद ही उसमें पानी भरना शुरू हो गया था. फिर अगले ही पल जहाज धीरे-धीरे नीचे की ओर झुकता गया. जैसे-जैसे इसमें पानी भरता जा रहा है, वैसे ही जहाज झुकता जा रहा था. इस पूरे हादसे में महज 90 सेकेंड का वक्त लगा. सबसे पहले जहाज के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में पानी भरा, जिससे मुख्य और आपातकालीन पावर दोनों को क्षति पहुंची. इससे जहाज में अंधेरा छा गया.
सबसे पहले गई जहाज की बिजली
जहाज में सवार क्रू के सदस्यों को जब बिजली जाने का पता चला तो उन्होंने इसकी शिकायत बंदरगाह के अधिकारियों से की. उन्हें ये भी पता चला कि मुख्य दरवाजा खुला हुआ है. जिसके बाद शाम के 07.37 मिनट पर अलार्म बजा. फिर लोगों को डूबने से बचाने के लिए रेस्क्यू हेलिकॉप्टर आए. इनके बाद बेल्जियम की वायु सेना भी लोगों को बचाने के लिए पहुंची. मृतकों में से कुछ जहाज के अंदर ही फंस गए थे और कई की हाइपोथरमिया के कारण मौत हो गई. हाइपोथरमिया का मतलब होता है, शरीर का तापमान कम हो जाना. जबकि बहुत से लोग खुद को बचाने के लिए समुद्र में कूद गए. जिनमें से कुछ को बचाया गया, वहीं कुछ की डूबने से मौत हो गई. हालांकि मृतकों का आंकड़ा इसलिए थोड़ा कम रहा क्योंकि राहत एवं बचाव कार्य को तत्परता के साथ किया गया था.
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