मिस्र में एक फतवा जारी किया गया है कि कुछ मामलों में महिलाओं के लिए योनि-झिल्ली की सर्जरी कराना जायज है. लेकिन सब इस फतवे से सहमत नहीं हैं और इसका विरोध कर रहे हैं.हाल ही में अरबी में हुए एक लाइव फेसबुक ब्रॉडकास्ट में मिस्र की सर्वोच्च धार्मिक संस्था दर अल-इफ्ता में शरिया शोध विभाग के निदेशक डॉ. अहमद ममदोह ने कहा, "कुछ मामलों में, बलात्कार या धोखे का शिकार हुई ऐसी लड़की के लिए पैबंद लगाने की जरूरत होती है और जायज है जो पश्चाताप करना चाहती है और नया पन्ना पलटना चाहती है." यह नया फतवा 30 अगस्त को जारी किया गया था. इस फतवे में डॉ. ममदोह ने अपने 2015 के एक अध्ययन से दूर हटकर बात की है, जिसमें उन्होंने असंयमी महिलाओं की योनि-झिल्ली को फिर से जोड़ने का विरोध किया था. उनका वह रुख 2007 में शेख अली गोमा द्वारा दिए गए एक फतवे पर आधारित था. यूं तो ममदोह ने अपने आदेश में विस्तार से नहीं बताया कि किसे इजाजत होगी और क्या क्या अपवाद होंगे, लेकिन उन्होंने इतना जरूर कहा कि कुछ मामले हैं जिनमें शरिया योनि-झिल्ली की दुरुस्ती को हराम कहता है.