कोरोना महामारी के बीच दूसरे कारणों से होने वाली मौतें भी थमने का नाम नहीं ले रही हैं। अमेरिकी स्वास्थ्य संस्था सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने बताया है कि वर्ष 2020 में दवाओं की ओवरडोज से 93 हजार लोगों की मौत हुई है। इस अनुसार, 2020 दवाओं के ओवरडोज होने वाली मौतों के लिए सबसे घातक साल रहा है।
पूरी दुनिया में साल 2020 ओवरडोज से मौत के लिए सबसे घातक रहा
नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टैटिस्टिक्स (एनसीएचएस) के अनुसार, दवा की डोज के मामले में 1999 के बाद लगातार बढ़ोतरी दर्ज हो रही है। वर्ष 2019 में दवाओं की ओवरडोज से 70,630 लोगों की मौत हुई थी।
2020 में ओवरडोज से मौत में 30 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जॉन हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ प्रेक्टिस के डीन डॉ. जोशुआ सार्फस्टेन बताते हैं कि यह अब तक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। वे बताते हैं कि महामारी में ओवरडोज से मौतों के मामले बढ़े हैं।
आखिर क्यों बढ़ रहे हैं पीड़ित
डॉक्टर जोशुआ का कहना है कि लोग राहत के लिए दवाओं का सहारा ले रहे हैं। थोड़ा आराम पर वह खुद से दवाओं की डोज बढ़ा लेते हैं। यही ओवरडोज लोगों की मौत का कारण बन रही है। महामारी में बिना डॉक्टरी सलाह के दवाओं का इस्तेमाल बढ़ा है।
जरूरत से ज्यादा दवा कर सकती है उल्टा असर
विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी बीमारी की दवा का ओवरडोज लिए जाने पर उसका उल्टा असर हो सकता है। जैसे डायबिटीज की दवा का अगर अधिक डोज लेने पर शरीर में शुगर का स्तर अत्यधिक कम हो जाता है, जिससे अत्यधिक पसीना आना, कमजोरी महसूस होना, बहुत भूख-प्यास जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। मरीज को लगता है मानो शरीर में जान ही नहीं रह गई है।