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92 आतंकियों की हो सकती है रिहाई, इनकी आजादी बन सकती है आफत

Neha Dani
31 Dec 2021 2:00 AM GMT
92 आतंकियों की हो सकती है रिहाई, इनकी आजादी बन सकती है आफत
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वे मल्टी एजेंसी पब्लिक प्रोटेक्शन अरेंजमेंट के हिस्से के रूप में आगे की निगरानी के अधीन होते हैं.

यूके में पैरोल बोर्ड लगभग 100 सजायाफ्ता आतंकवादियों को जेल से रिहा करने पर विचार कर सकता है. इनमें से 92 आतंकियों का केस पैरोल जजों के सामने आने वाला है. हाल ही में जेल से रिहा हुए आतंकियों द्वारा तीन महीने के भीतर दो हमले किए जाने के बाद फरवरी में इमरजेंसी कानून पारित किए गए थे, जिसमें आतंकवादियों की जेल से स्वत: रिहाई पर रोक लगा दी गई थी.

जेल रिहा हुए आतंकियों ने किया था हमला
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक जेल से छूटे आतंकियों द्वार हुए हमलों के बाद इनकी रिहाई के नियमों में बदलाव किया गया था. नियम में बदलाव के बाद आतंकियों के लिए सजा का दो तिहाई हिस्सा जेल में बिताना अनिवार्य कर दिया गया था. इसके बाद भी उन्हें समीक्षा से होकर गुजरना होगा. योग्य पाए जाने पर ही उनकी जेल से रिहाई हो सकेगी.
बदला गया स्वतः रिहाई का नियम
सजा का दो तिहाई हिस्सा पूरा कर रिहाई की प्रक्रिया में आने वाले आतंकियों में नज़म हुसैन भी शामिल है. इस आतंकी ने लंदन ब्रिज अटैक की साजिश रची थी. इसके साथ ही आतंकी उस्मान खान और जैक कॉल्सन को भी मामले में दोषी ठहराया गया था. ये दोनों भी दोनों फरवरी में पैरोल बोर्ड के सामने अपनी रिहाई की अर्जी लगा सकते हैं. वहीं ब्रिटेन में आतंकी समूह अलकायदा का आतंकवादी रंगज़ीब अहमद मार्च में इस प्रक्रिया से गुजर सकता है.
जानें कैसे होती है आतंकियों की रिहाई
आतंकवादी अपराधी (जल्दी रिहाई का प्रतिबंध) अधिनियम 2020 की शुरुआत के बाद से, कुल 117 मामले पैरोल बोर्ड को भेजे गए हैं. अब तक 11 को रिहा किया जा चुका है और 14 को जेल से रिहा करने से इनकार कर दिया गया है.
आसान नहीं होती है रिहाई
पैरोल बोर्ड का कहना है कि आतंकवाद के मामलों में अक्सर उनकी 'जटिलता' और 'कठिन और गहन प्रक्रियाओं से गुजरने' के कारण विचार करने में अधिक समय लगता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सुनवाई की देखरेख करने वाले पैनल के लिए सभी आवश्यक सबूत उपलब्ध हैं.
रिहा करने के बाद भी आतंकियों पर रहती है नजर
पैरोल बोर्ड के एक प्रवक्ता ने कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा हमेशा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. जिसके तहत हम आतंकियों को रिहा करने से पहले उनके सामने कई सख्त शर्तें रखते हैं. जिसमें वे कहां जा सकते हैं, किसके साथ जुड़ सकते हैं, इंटरनेट उपयोग, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, यात्रा और काम पर प्रतिबंध शामिल हैं. वे मल्टी एजेंसी पब्लिक प्रोटेक्शन अरेंजमेंट के हिस्से के रूप में आगे की निगरानी के अधीन होते हैं.
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