विश्व
800 गिरफ्तार, 22 टन चरस बरामद, ऐसे हुआ पुरे मामले का खुलासा
jantaserishta.com
9 Jun 2021 7:43 AM GMT
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4 करोड़ से ज्यादा नकदी और क्रिप्टोकरेंसी जब्त हुई है.
जकार्ता. एक स्मार्टफोन डेवलपर ने एक लाख डॉलर और सजा कम होने के बदले अमेरिका की गुप्तचर एजेंसी एफबीआई (FBI) के साथ मिलकर 2018 में ऑपरेशन ट्रोजन शील्ड (Operation Trojan Shield) शुरू किया. तीन साल बाद 17 देशों के 9000 कानून अधिकारियों की जांच से पता चला कि प्रशासनों द्वारा 100 देशों की 12 हज़ार डिवाइस के 2 करोड़ से ज्यादा संदेशों पर निगरानी रखी गई और 300 से ज्यादा अपराध के संगठित गुटों की गतिविधि पर नज़र रखी गई. यूरोपीय संघ की कानूनी एजेंसी यूरोपोल द्वारा यह जानकारी दी गई है.
इस ऑपरेशन के तहत अब तक 800 गिरफ्तारी और आठ टन से ज्यादा कोकेन, 22 टन चरस, दो टन सिंथेटिक ड्रग, 250 गन, 55 बड़ी गाड़ियां और 4 करोड़ से ज्यादा नकदी और क्रिप्टोकरेंसी जब्त हुई है.
एफबीआई के हलफनामे में लिखा गया है कि एक गुप्त सूत्र, पूर्व ड्रग तस्कर एक नए किस्म का एन्क्रिपटिड फोन बना रहा है जो कि इस काम के लिए ANOM नाम के तैयार किए गए एप के जरिए किया जा रहा है. ऐसा तब हुआ जब फैंटम सेक्योर एन्क्रिपटिड फोन को एजेंसी द्वारा 2018 में बंद कर दिया गया और उसके सीईओ को गिरफ्तार कर लिया गया.
दरअसल पिछले दस साल से अपराध के संगठित गुट फैंटम सेक्योर जैसे फोन के जरिए ड्रग तस्करी, वसूली, विरोधियों से हिसाब बराबर करने का काम करते आए हैं. इस फोन को अगर जब्त कर लिया जाए तो इसका डाटा अपने आप मिट जाता है. एक मॉडल पुलिस की गिरफ्त में आ जाए तो दूसरा बन जाता है.
इसी से निपटने के लिए एफबीआई अपना फोन लेकर आया जिसमें हर डिवाइस में उसने अपना मास्टर की लगाया ताकि संदेशों को पुलिस पढ़ सके.
आगे चलेकर 2018 में ऑस्ट्रेलियाई पुलिस ने एफबीआई से मुलाकात की और एक डेवलपर और मुखबिर को भरोसे में लिया गया जिसने ऑस्ट्रेलिया के अपराधी गुटों के बीच इस नए फोन को बेचना शुरू किया. जल्द ही पुलिस का तैयार किया गया यह फोन अपराध गुटों में लोकप्रिय हो गया. पता चला कि दुनिया भर के कई बड़े गुट इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
2019 में एक देश (नाम का खुलासा नहीं किया गया है) ने कोर्ट आदेश के जरिए एफबीआई की इन फोन तक और आसान कर दी. पता चला कि ANOM के जरिए कई देशों में भ्रष्टाचार हो रहा है.
हालांकि इस सोमवार को कोर्ट के इस आदेश की एक्सपायरी हो गई है और इस तरह अपराध की दुनिया पर नज़र रखने की कोशिश फीकी पड़ने लगी है. लेकिन हो सकता है कि एफबीआई एक नए प्लान के साथ दोबारा धड़पकड़ करे.
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