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आर्मेनिया के 6 सैनिकों को अजरबैजान ने बनाया बंदी, घुसपैठ का करने का आरोप

Neha Dani
27 May 2021 11:02 AM GMT
आर्मेनिया के 6 सैनिकों को अजरबैजान ने बनाया बंदी, घुसपैठ का करने का आरोप
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इस तरह अजरबैजान ने नागोर्नो-कराबाख और इससे आस-पास के बड़े क्षेत्र को अपने कब्जे में लिया.

आर्मेनिया (Armenia) की सेना (Military) ने गुरुवार को कहा कि उसके छह सैनिकों को पड़ोसी मुल्क अजरबैजान (Azerbaijan) ने बंदी बना लिया है. ये घटना ऐसे वक्त में हुई है जब सोवियत यूनियन के दो पूर्ववर्ती देशों के बीच नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र (Nagorno-Karabakh region) को लेकर लंबे समय से दुश्मनी चल रही है. इस घटना से दोनों मुल्कों के बीच तनाव बढ़ भी सकता है. हाल ही में नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र को लेकर दोनों मुल्कों ने युद्ध भी लड़ा था. हालांकि, बाद में दोनों मुल्क युद्धविराम के लिए राजी हो गए थे. लेकिन इसके बाद भी तनाव बरकरार रहा है.

वहीं, अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय (Azerbaijan's Defense Ministry) ने दावा किया है कि आर्मेनियाई सैनिकों को गुरुवार तड़के उस समय हिरासत में लिया गया, जब वे सीमा पार करने की कोशिश कर रहे थे. इसने कहा कि ये सैनिक अजरबैजान की पॉजिशन की ओर जाने वाले सप्लाई रूट पर माइन बम लगा रहे थे. दूसरी ओर, आर्मेनियाई अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि ये सैनिक आर्मेनिया के हिस्से वाले सीमा क्षेत्र के किनारे इंजीनियरिंग कार्यों को कर रहा थे, इस दौरान इन्हें अजरबैजान द्वारा गिरफ्तार किया गया.
दोनों मुल्क एक-दूसरे पर लगाते रहे हैं घुसपैठ का आरोप
आर्मेनिया ने इन सैनिकों को तत्काल रिहा करने की मांग की है. आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयान (Nikol Pashinyan) ने एक सरकारी बैठक में कहा कि सैनिक सीमा के पास अर्मेनियाई क्षेत्र में चेतावनी के संकेत के साथ माइन्स लगा रहे थे. आर्मेनियाई सैनिकों को बंदी बनाने की घटना ऐसे समय पर आई है, जब सीमा के सीमांकान को लेकर भी दोनों मुल्कों के बीच विवाद है. आर्मेनिया हमेशा ही अजरबैजानी सैनिकों पर घुसपैठ का आरोप लगाता आया है. हालांकि अजरबैजान इससे इनकार करता आया है.
आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच युद्ध में मारे गए छह हजार से अधिक लोग
गौरतलब है कि पिछले साल नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र को लेकर आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच छह हफ्तों तक युद्ध हुआ. इस युद्ध में छह हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई. नागोर्नो-कराबाख क्षेत्र अजरबैजान से लगता है, लेकिन इस पर जातीय आर्मेनियाई फोर्स का नियंत्रण है, जिसे आर्मेनिया 1994 में हुए अलगाववादी युद्ध के बाद से समर्थन देता आया है. दोनों मुल्कों के बीच तनाव तब जाकर खत्म हुआ, जब नंवबर में रूस की मध्यस्थता वाले शांति समझौते पर दोनों मुल्क राजी हुए. इस तरह अजरबैजान ने नागोर्नो-कराबाख और इससे आस-पास के बड़े क्षेत्र को अपने कब्जे में लिया.


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