x
वह अब उन लाभों के लिए योग्य नहीं रही जिनका उन्होंने सालों पहले दावा किया था और लाभ ले रही थीं.
एक दादी ने दिव्यांगता के लिए मिलने वाले भत्तों के लिए सरकार से 28,000 पॉन्ड यानी तकरीबन 27 लाख भारतीय रुपये का झूठा दावा किया था. लेकिन अब सोशल मीडिया पर उनके नाचते हुए वीडियोज ने उनका भांडाफोड़ कर दिया है. अब ये महिला अपने ही वीडियोज के कारण मुश्किल में फंस चुकी है.
व्हीलचेयर और बैसाखी के लिए मांगे पैसे
दरअसल, 54 वर्षीय चेरिल टोपहम ने अधिकारियों को जानकारी दी कि उन्हें ऑस्टियोआर्थराइटिस, कार्पल टनल सिंड्रोम और स्पॉन्डिलाइटिस के कारण व्हीलचेयर और बैसाखी की आवश्यकता है. जिसके बाद उन्हें 28,000 पॉन्ड यानी तकरीबन 27 लाख भारतीय रुपये भी दिए गए. लेकिन उनकी ये बीमारियां नई नहीं बल्कि बरसों पुरानी थी और ठीक भी हो चुकी थीं.
घुटने के ऑपरेशन के बाद मिला था आराम
अधिकारियों की जानकारी में यह नहीं था कि टोपहम के घुटने का ऑपरेशन हुआ है, जिससे उसकी चलने में क्षमता में सुधार हुआ. उनके कुछ वीडियोज सामने आए जिसमें वह नाचती हुई नजर आ रही थीं. इन वीडियोज को देखने के बाद अधिकारियों ने उनपर बारीक नजर रखी. जिसमें यह साबित हुआ कि ग्रेटर मैनचेस्टर के एश्टन-अंडर-लिने की रहने वाली टोपहम ने दो साल तक अवैध रूप से यह पैसा लेना जारी रखा. जब जांचकर्ताओं ने एक टिप ऑफ पर एक्ट करते हुए उसे उसके पड़ोस में बिना किसी व्हीलचेयर या बैसाखी की सहायता के घूमते हुए वीडियो में कैद किया.
मिली 6 महीने की जेल
डेली मेल की खबर के अनुसार, अधिकारियों ने टोपहम के सास-ससुर का फेसबुक पेज भी चेक किया, जिसमें वह बिना बैसाखी के अपने पैरों पर खड़ी थी और रॉकबिली डांस इवेंट्स में भाग ले रही थीं. जांच के बाद टोपहम ने परिस्थितियों में बदलाव की बात स्वीकार की और उन्हें 6 महीने की जेल की सजा दी गई है. टोपहम शुरू में अपनी कहानी पर अड़ी रहीं लेकिन जब फुटेज दिखाया गया, तो उन्होंने बताया कि अगस्त 2017 में एक ऑपरेशन ने उसकी स्थितियों में सुधार किया था. इसका मतलब यह हुआ कि वह अब उन लाभों के लिए योग्य नहीं रही जिनका उन्होंने सालों पहले दावा किया था और लाभ ले रही थीं.
साभार: ज़ी न्यूज़
Next Story