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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में वीगर मुसलमानों के साथ दुर्व्यवहार के मामले पर 47 देशों ने एक संयुक्त बयान जारी कर चिंता जताई है. इन देशों की मांग है कि संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचेलेट वहां की स्थिति पर लंबे समय से विलंबित रिपोर्ट प्रकाशित करें. मिशेल ने पिछले महीने शिनजियांग की यात्रा की थी लेकिन उसकी रिपोर्ट तैयार होने के बावजूद अभी तक प्रकाशित नहीं की गई है.
अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र में डच राजदूत पॉल बेकर्स ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में कहा, 'हम शिनजियांग में वीगर मुसलमानों के मानवाधिकार की स्थिति के बारे में गंभीर रूप से चिंतित हैं.'
47 देशों की ओर से एक संयुक्त बयान देते हुए बेकर्स ने शिनजियांग से सामने आई कई विश्वसनीय रिपोर्टों का जिक्र किया. शिनजियांग से सामने आई कई रिपोर्टों से ये पता चलता है कि चीन ने दस लाख से अधिक वीगर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को मनमाने ढंग से हिरासत में लेकर रखा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन डिटेंशन सेंटर्स में वीगरों के मानवाधिकारों का हनन किया जाता है, उनकी नसबंदी की जाती है और महिलाओं से रेप किया जाता है.
चीन स्वीकार करता है कि उसने सेंटर्स बना रखे हैं लेकिन वो इन सेंटर्स को कट्टरपंथ से लड़ने के लिए बनाए गए वोकेशनल स्किल्स ट्रेनिंग सेंटर कहता है.
डच राजदूत पॉल बेकर्स ने इसी बात का जिक्र करते हुए मानवाधिकार परिषद में कहा, 'हमें ऐसी रिपोर्टों के बारे में पता चला है कि डिटेंशन सेंटर्स में वीगरों और अल्पसंख्यकों की व्यापक निगरानी की जाती है और उनके खिलाफ भेदभाव किया जाता है.'
47 देशों के संयुक्त बयान में वीगर मुसलमानों के साथ प्रताड़ना, उनके साथ क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार, उन्हें सजा देना, जबरन नसबंदी, यौन और लिंग आधारित हिंसा, जबरन श्रम, और अधिकारियों द्वारा बच्चों को उनके माता-पिता से जबरन अलग करने की रिपोर्टों के बारे में भी चिंता व्यक्त की गई.
बेकर्स ने आगे कहा, 'चीन हमारी इन चिंताओं को तत्काल दूर करने के लिए प्रयास करे. चीन मुस्लिम वीगरों और अन्य अल्पसंख्यक लोगों की मनमानी हिरासत को खत्म करे.'
सभी देशों की तरफ से चीन से ये मांग की गई कि वो संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं और विशेषज्ञों को शिंजियांग की स्थिति का स्वतंत्र रूप से निरीक्षण करने के लिए बिना किसी रोकटोक के जाने दे.
चीन ने शिनजियांग में विदेशी पत्रकारों और मानवाधिकार समूहों के स्वतंत्र प्रवेश पर रोक लगाई है. बहुत मुश्किल से अगर किसी को वहां जाने की इजाजत मिलती भी है तो उस पर गहरी निगरानी रखी जाती है.
संयुक्त राष्ट्र की तरफ से भी बहुत समय पहले मांग की गई थी कि मानवाधिकार उच्चायुक्त को शिनजियांग में जाने की स्वतंत्र रूप से इजाजत मिले. संयुक्त राष्ट्र के इस मांग के महीनों बाद उच्चायुक्त मिशेल बैचेलेट को पिछले महीने वहां जाने की इजाजत मिली थी. ये 17 सालों में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख की पहली यात्रा थी.
लेकिन उनकी ये यात्रा काफी विवादित रही थी. मिशेल ने यात्रा से पहले और उसके दौरान चीन के कथित अत्याचारों के खिलाफ मजबूती से अपनी बात नहीं रखी थी. इसे लेकर उनकी काफी आलोचना हुई थी. माना जाता है कि मिशेल पर चीनी अधिकारियों का भारी दबाव था, इसी कारण उन्होंने शिनजियांग में चीन के ज्यादातियों के खिलाफ नहीं बोला.
47 देशों ने अपने संयुक्त बयान में इस बात का जिक्र करते हुए कहा कि मिशेल चीनी अधिकारियों द्वारा लगाए गए यात्रा प्रतिबंध सहित अन्य मुद्दों पर विस्तार से टिप्पणी करें.
संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत चेन जू ने संयुक्त बयान पर बेहद गुस्से में प्रतिक्रिया दी. नीदरलैंड्स समेत संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने वाले सभी देशों की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि ये सब चीन को निशाना बनाने, झूठ और अफवाह फैलाने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने कहा, 'हम इन आरोपों को स्पष्ट रूप से खारिज करते हैं.'
जू ने बैचेलेट की यात्रा की सराहना करते हुए जोर देकर कहा कि इससे चीन के मानवाधिकारों को लेकर उनकी समझ में बढ़ोतरी हुई है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख पर दबाव बढ़ रहा है कि वो जल्द से जल्द शिनजियांग की रिपोर्ट जारी करें. राजनयिकों का कहना है कि रिपोर्ट तैयार है लेकिन जारी नहीं किया जा रहा है.
वहीं, मिशेल ने सोमवार को घोषणा की है कि उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद वो दोबारा अपना पद नहीं संभालेंगी. उन्होंने वादा किया है 31 अगस्त को अपना पद छोड़ने से पहले शिनजियांग की रिपोर्ट जारी कर दी जाएगी.
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