सौर तूफान 'जियोमैग्नेटिक' के चलते स्पेसएक्स के उपग्रहों का नया बेड़ा कक्षा से बाहर हो रहा है। कंपनी द्वारा निचली कक्षा में धरती से 130 मील दूर हाल में भेजे गए 40 स्टारलिंक सैटेलाइट नष्ट हो गए हैं। चार फरवरी को प्रक्षेपित 49 में से 40 उपग्रह या तो वातावरण में पुन: प्रवेश करके जल गए हैं अथवा इस प्रक्रिया से गुजरने वाले हैं। यह भू-चुंबकीय तूफान पिछले शुक्रवार को आया।
स्पेसएक्स कंपनी ने बताया कि इस तूफान के चलते स्टारलिंक उपग्रहों पर खिंचाव बढ़ गया और वे प्रभावी रूप से नष्ट हो गए। इस खिंचाव को कम करने के लिए तकनीकी रूपसे कई कोशिशें की गईं लेकिन यह इतना तेज था कि उपग्रह एक उच्च और अधिक स्थिर कक्षा में जाने में नाकाम रहे।
स्पेसएक्स के पास अब भी करीब 2,000 स्टारलिंक उपग्रह हैं, जो पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं और दुनिया के दूरदराज के हिस्सों में इंटरनेट सेवा प्रदान कर रहे हैं। वे 340 मील (550 किलोमीटर) से अधिक की दूरी पर पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं।
कंपनी के अनुसार, सौर तूफान की चपेट में आए उपग्रह अस्थायी स्थिति में थे। कुछ वायरल हो रही फुटेज में अंतरिक्ष मलबे को भी दिखाया जा रहा है लेकिन कंपनी का कहना है कि इनके नष्ट होने से दूसरे उपग्रहों को कोई खतरा नहीं होगा।
धरती को फिलहाल खतरा नहीं
आमतौर पर इस तरह की घटना में इतने उपग्रहों का नष्ट होना काफी गंभीर मामला है। लेकिन कंपनी का कहना है कि नष्ट हुए उपग्रहों से धरती को फिलहाल कोई खतरा नहीं है। कंपनी का ये भी कहना है कि इन उपग्रहों को इस तरह तैयार किया गया था कि किसी खतरे में ये धरती के वातावरण में दोबारा आकर राख बन जाएं। इस तूफान की वजह से कंपनी के करीब 80 फीसदी उपग्रह प्रभावित हुए हैं।
कई प्रभाव छोड़ता है सौर तूफान
भू-चुंबकीय (जियोमैग्नेटिक) तूफान एक जबरदस्त सौर तूफान होता है। ये तूफान सूर्य में होने वाले विस्फोटों के चलते उससे निकलने वाली ऊर्जा होते हैं, जिसका असर जीपीएस, सैटेलाइट कम्युनिकेशंस और रेडियो पर पड़ता है। ऐसे तूफान जीपीएस नेविगेशन प्रणाली और हाई-फ्रीक्वेंसी रेडियो कम्युनिकेशंस को भी प्रभावित करते हैं। इनसे हवाई सेवा, पावर ग्रिड्स व स्पेस एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम्स को भी खतरा होता है।