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कुल मिलाकर इस घटना में 248 लोगों की मौत हुई और 93 लोग जख्मी हुए.
रेल यातायात (Train Travel) ने मानव सभ्यता के विकास में बहुत बड़ा योगदान दिया है. पटरी पर दौड़ती ट्रेन (Train) बड़ी संख्या में लोगों और सामान को एक-जगह से दूसरी जगह पहुंचाकर दूरियों को मिटाती है. लेकिन कई बार ये हादसों का शिकार हो जाती है और कितने ही लोगों को अपने प्रियजनों से बिछड़ना पड़ता है. ऐसा ही एक हादसा आज से करीब 100 साल पहले सेंट्रल अमेरिका कोस्टा रिका (Costa Rica) में आज ही के दिन हुआ था, जब यात्रियों से खचाखच भरी ट्रेन पुल से नीचे गिर गई. इस हादसे में 248 लोगों की मौत हो गई थी.
14 मार्च 1926 को हुए इस हादसे की यादें अभी भी लोगों के जेहन में जिंदा हैं. इस दिन यात्रियों से भरी एक ट्रेन कार्टेगो (Cartago) में हादसे का शिकार हो गई थी. तेज रफ्तार ट्रेन वीरिला नदी (Virilla river) पर पहुंचते ही डगमगा गई और पुल से 70 मीटर नीचे नदी में गिर गई. दरअसल, ट्रेन में सवार यात्री एलाजुएला (Alajuela) से कार्टेगो जा रहे थे, क्योंकि यहां चर्च द्वारा एक उत्सव का आयोजन किया जा रहा था. कार्टेगो कोस्टा रिका के संरक्षक संत ला नीग्रिटा (La Negrita) का घर भी था, ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों ने यहां जाने के लिए सहमति जताई.
क्षमता से ज्यादा लोग हुए ट्रेन में सवार
इस ट्रेन में छह बोगियां थीं और इनकी क्षमता 300 यात्रियों की थी. लेकिन चर्च के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए एक हजार से अधिक लोग ट्रेन में सवार हो गए. यात्रियों से खचाखच भरी ट्रेन सुबह 7.30 बजे एलाजुएला (Alajuela) से कार्टेगो (Cartago) के लिए रवाना हुई. ट्रेन इस कदर भरी हुई थी कि आने वाले स्टेशनों पर हाथों में टिकट लिए यात्रियों को भी बैठने की जगह नहीं मिल पाई. ट्रेन में मौजूद इंजीनियरों को ये बात पता चल गई थी ट्रेन खचाखच भरी हुई है. ऐसे में उन्होंने अधिक सावधानी बरतना शुरू किया.
पुल पर पहुंचने से पहले एक ट्रेन को एक घुमाव से गुजरना था
ट्रेन ने अब रफ्तार पकड़ ली थी और वो तेजी से अपने गंतव्य की ओर बढ़ रही थी. खुली खिड़कियों वाली ट्रेन में बैठे यात्री बाहर के नजारे का आनंद उठा रहे थे. भले ही ट्रेन में हिलने की जगह नहीं थी, लेकिन लोगों का उत्साह कम नहीं हो रहा था. अब ट्रेन विरिला नदी (Virilla River) पर बने पुल तक पहुंचने वाली थी. पुल पर पहुंचने से पहले एक मामूली घुमाव था. आम दिनों में ट्रेन की रफ्तार को कम करते हुए इसे मोड़ दिया जाता था. फिर पुल पर पहुंचने पर रफ्तार तेज कर पहाड़ी के ऊपर से होते हुए गुजरना होता था. लेकिन इस ट्रेन में बोगियां के साथ-साथ लोगों की भीड़ भी अधिक थी.
बोगियां पुल से नीचे गिरीं और खिलौने की तरह नीचे गिरने लगे लोग
ट्रेन के इंजन और तीन बोगियां आसानी से घुमते हुईं पुल पर पहुंच गई. लेकिन चौथे बोगी के पुल पर पहुंचते ही ये थोड़ा सा झुक गई. इससे बिना जाली वाली खिड़कियों के किनारे बैठे लोग ट्रेन से नीचे गिर गए. इसके बाद पीछे की दो बोगियां पूरी तरह से पुल से नीचे उतर गईं और 70 मीटर नीचे जा गिरीं. इस घटना में इन बोगियों में सवार लगभग सभी लोग मारे गए. ये घटना ट्रेन के गंतव्य के लिए रवाना होने के एक घंटे से कम समय में ही हो गई. कुछ चश्मदीदों ने बताया कि लोग खिलौने की तरह पुल से नीचे गिर रहे थे.
बैलगाड़ी पर रखकर अस्पताल भेजी गईं लाशें
घटना की जानकारी आग की तरह पास के कस्बों तक फैल गई. ऐसे में आनन-फानन में बचाव दल घटनास्थल पर पहुंचा. पुलिस और सेना के लोगों ने लोगों को नदी से बाहर निकालना शुरू किया. कुछ लाशों को टुकड़ों में निकाला गया, जो ट्रेन के नीचे दबकर कट गई थीं. कुछ लोगों की पहचान करने वाला कोई नहीं मिला, क्योंकि इस हादसे में उनका पूरा परिवार ही मारा गया. लाशों को बैलगाड़ी पर रखकर अस्पताल भेजा गया. एलाजुएला का कोई भी ऐसा परिवार नहीं था, जिसका कोई सगा-संबंधी इस हादसे में न मारा गया हो. कुल मिलाकर इस घटना में 248 लोगों की मौत हुई और 93 लोग जख्मी हुए.
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