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वर्षों से पर्यावरण के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक माने जाने के बावजूद सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादन को लेकर कोताही बरती जाती रही है।
वर्षों से पर्यावरण के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक माने जाने के बावजूद सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादन को लेकर कोताही बरती जाती रही है। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दुनिया का आधा प्लास्टिक अकेले 20 बड़ी कंपनियां बनाती हैं। इनमें अमेरिकी कंपनियां एक्सन और डाउ , चीनी पेट्रोकेमिकल कंपनी शिनोपेक मोबिल और बैंकॉक की इंडोरामा वेंचर्स शीर्ष पर हैं।
ऑस्ट्रेलिया के एक गैरलाभकारी संगठन माइंडरू की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और स्टॉकहोम एनवायरनमेंट इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर तैयार इस रिपोर्ट के मुताबिक, 13 करोड़ टन सिंगल यूज प्लास्टिक हर साल औसतन बनता है।
इतना ही नहीं अगले पांच वर्षों में इसका उत्पादन 30 फीसदी बढ़ने के आसार हैं। पर्यावरण रक्षा की जोर-शोर से बात करने वाले विकसित देश गरीब देशों के मुकाबले इसका कहीं ज्यादा इस्तेमाल करते हैं ।
कई देशों में सरकारें खुद उत्पादक
वित्त, म्यूचुअल फंड और रिटायरमेंट बचत से जुड़ी कंपनियां इसमें पैसा लगाती हैं। इनमें वैनगार्ड और ब्लैकरॉक शामिल हैं। बार्कले और जेपी मॉर्गन चेज जैसे दुनिया के बड़े बैंक भी आर्थिक सहायता देते हैं>
कई देशों में सरकारें बड़ी उत्पादक है। चीन और सऊदी अरब समेत कई देशों में 40 फीसदी सिंगल यूज प्लाटिक उत्पादन सरकारों के हाथ में है।
आठ फीसदी ही हो पाता है रिसाइकल
अमेरिका में सिर्फ आठ फीसदी प्लास्टिक ही रिसाइकल हो पाता है। पर्यावरण रक्षा संगठनों द्वारा लोगों से प्लास्टिक का कम इस्तेमाल करने की अपील का कोई खास असर नहीं हुआ है। दुनिया में बड़ी चुनौती यह है कि ज्यादातर अर्थव्यवस्थाएं प्लास्टिक के उत्पादन को प्रोत्साहित करती हैं।
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