यूक्रेन पर जारी रूसी हमले के बीच व्लादिमीर पुतिन ने पिछले दिनों सैनिकों की संख्या में इजाफे का ऐलान किया था। इसके तहत 3 लाख रिजर्व फोर्स यानी सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त नागरिकों की सेना में तैनाती की जानी है। व्लादिमीर पुतिन के आदेश के बाद से दो सप्ताह के अंदर ही दो लाख लोग सेना को जॉइन कर चुके हैं। रूसी डिफेंस मिनिस्टर सेरगेई शोइगु ने यह बात कही है। यूक्रेन की ओर से लगातार हमलों के चलते पिछले दिनों रूसी सेना को बैकफुट पर आना पड़ा था। इसके बाद व्लादिमीर पुतिन ने रिजर्व सैनिकों के मोबिलाइजेशन का आदेश दिया था। इसके तहत उन 3 लाख लोगों को मोर्चे पर लाने का फैसला लिया गया, जिन्हें सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त है।
पुतिन की ओर से जारी आधिकारिक आदेश में रिजर्व सैनिकों की संख्या नहीं बताई गई थी। हालांकि कहा जा रहा है कि यह आंकड़ा कहीं ज्यादा हो सकता है क्योंकि सेना की ओर से उन लोगों को भी कॉल लेटर दिए जा रहे हैं, जिन्हें कभी कोई ट्रेनिंग नहीं मिली है। इसके चलते लोगों में दहशत और कुछ लोगों ने विरोध भी दर्ज कराया है। पिछले दिनों तो यह भी खबर थी कि बड़ी संख्या में रूसी लोग देश छोड़कर जा रहे हैं ताकि उन्हें जबरिया तौर पर सेना में न भर्ती किया जा सके। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर व्लादिमीर पुतिन की यूक्रेन से युद्ध को लेकर प्लानिंग क्या है।
बता दें कि बीते शुक्रवार को ही यूक्रेन के 4 इलाकों के रूस ने खुद में विलय के लिए जनमत संग्रह कराया था। अब क्रेमलिन से इस संबंध में कानून भी पारित करा लिया गया है। ऐसे में यू्क्रेन के पूर्वी इलाकों पर रूस ने कब्जे की तैयारी पूरी कर ली है। इसके अलावा व्लादिमीर पुतिन की ओर से लगातार अमेरिका समेत नाटो देशों को धमकी दी जा रही है कि यदि वे दखल देंगे तो अंजाम भुगतना होगा। व्लादिमीर पुतिन कई बार कह चुके हैं कि पश्चिमी देश उनकी परमाणु अटैक की धमकी को हल्के में न लें। गौरतलब है कि रूस के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं।
यूक्रेन में युद्ध को सात महीने से भी ज्यादा का वक्त हो गया है। पुतिन ने हाल ही में यूक्रेन के बड़े हिस्सों पर कब्जा करने की घोषणा की थी। रूस ने यूक्रेन के चार बड़े इलाकों पर कब्जा करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। युद्ध शुरू होने के बाद से पुतिन कई बार परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दे चुके हैं। ऐसे में एक ही सवाल सामने आ रहा है कि क्या राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन परमाणु हथियार का इस्तेमाल करेंगे? रूसी राष्ट्रपति कार्यालय यानी क्रेमलिन पर नजर रखने वाले यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या रूसी नेता की परमाणु धमकी सिर्फ झांसा है? क्योंकि मौजूदा हालातों में इससे अहम और कठिन सवाल नहीं हो सकता।