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बीजिंग। कर्ज के मकड़जाल से कोई भी देश बच नहीं पा रहा है। नागरिकों के ऊपर कर्ज का बोझ आसमानी मुसीबत के रूप में देखा जा रहा है। सरकारों, राज्य सरकारों एवं नगरीय निकायों के ऊपर सारी दुनिया के सभी देशों में पिछले वर्षों में भारी कर्ज की देनदारी बनी है। कर्ज और ब्याज के बोझ से नगरीय क्षेत्रों की हालत बहुत खराब हो गई है।
हाल ही में गोल्डमैन सैसे ने जो रिपोर्ट जारी की है। उसके अनुसार चीन की नगर निगमो के ऊपर 1900 लाख करोड रुपए से ज्यादा का कर्ज हो गया है। कई नगरीय निकायों में इमरजेंसी घोषित कर दी गई है। रूस की सीमा से लगे हुए चीन के हैंगांग शहर की हालत सबसे ज्यादा खराब है। अन्य नगर निगमों में भी आपातकाल घोषित करने की तैयारी शुरू हो गई है। जिन शहरों की आबादी 10 लाख से ज्यादा की है। वहां नगर निगमों ने टैक्स,जुर्माने और शुल्क को काफी बढ़ा दिया है। व्यवस्थाएं एक-एक करके चरमरा रही हैं। सफाई कर्मचारियों को 2 माह से अधिक का वेतन नहीं मिला है। शिक्षकों को भय है, कि उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा। टैक्स वसूली का जिम्मा निजी क्षेत्रों को सौंपा जा रहा है। नागरिक आर्थिक वोट से कराह रहे हैं।
चीन भी कर्ज के मकड़जाल में बुरी तरह से फंस गया है। वह किस तरह से इस स्थिति का मुकाबला करेगा। वहां की सरकार को समझ में नहीं आ रहा है। चीन के नागरिकों का कर्ज और ब्याज के बोझ से आर्थिक कष्ट बढ़ गया है। वहीं नागरिक सुविधाओं में भी लगातार कटौती हो रही है। शहरों में सफाई नहीं हो पा रही है। स्वास्थ्य सेवा अस्त-व्यस्त हो रही हैं। जिसका गुस्सा नागरिकों में अब देखने को मिलने लगा है।
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