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पाकिस्तानी मछुआरे के जाल में फंसी 18 क्रोकर फिश, रातों रात बना लखपति

Neha Dani
18 May 2022 7:32 AM GMT
पाकिस्तानी मछुआरे के जाल में फंसी 18 क्रोकर फिश, रातों रात बना लखपति
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जैसे पीले क्रोकर और बाजा कैलिफोर्निया की टोटोबा मछली खत्म होने के कगार पर हैं।

पाकिस्तान में एक मछुआरे ने मछली पकड़ने के लिए जाल फेंका तो उसकी किस्मत चमक गई। बलोचिस्तान के दरन, जिवानी में 15 मई को मछुआरे को 18 बड़ी क्रोकर मछली मिली है। बलोच भाषा में इस मछली को कीर कहते हैं। मछलियों के कीमत की बात करें तो यह लाखों की हैं। सबसे बड़ी मछली लगभग पांच लाख की है, जबकि छोटी मछलियों की कीमत एक लाख रुपए की है।

नाव के कैप्टन सज्जाद उमर इन मछलियों को पकड़ कर बहुत खुश थे। उन्होंने कहा कि एक दिन मछलियों की तलाश से लाखों रुपए मिले हैं। क्रोकर और जापानी मीगर दो ऐसी मछलियां हैं जो पाकिस्तानी समंदर में पाई जाती हैं और बेहद महंगी बिकती हैं। इनके बड़ी कीमतों के पीछे इनके बड़े ब्लैडर (मूत्राशय) हैं। जिनका इस्तेमाल इलाज में किया जाता है।
इन चीजों में होता है इस्तेमाल
इस मछली के ब्लैडर का इस्तेमाल गर्भावस्था में होता है। जोड़ों के दर्द के लिए इसका सूप बनाया जाता है जो बेहद कारगर माना जाता है। एक सिंगल स्विम ब्लैडर से एक लाख रुपए तक मिल सकते हैं। चीन के कई हिस्सों में तो यह 25-30 लाख रुपए प्रति किलो बिकती है। पाकिस्तान में मांस की उच्च गुणवत्ता के लिए इस मछली को इस्तेमाल किया जाता है। इस मछली के ब्लैडर का निर्यात 170 साल पहले शुरू हुआ था, तब यूरोप में इससे वाइन और बीयर को छाना जाता था।
चीन देता है सबसे ज्यादा रुपया
बीयर और वाइन छानने के लिए आज दूसरी पद्धतियों का इस्तेमाल होता है, जिसके कारण अब चीन इस मछली की सबसे बड़ी मार्केट है। चीन मछली के ब्लैडर की सबसे ज्यादा कीमत देता है। मछली के ब्लैडर को सुखा कर इसे निर्यात किया जाता है। चीन के बाजार में छलियों के बढ़ती मांग से कई प्रजातियां अंत की ओर भी पहुंचने लगी हैं। जैसे पीले क्रोकर और बाजा कैलिफोर्निया की टोटोबा मछली खत्म होने के कगार पर हैं।पाकिस्तान में एक मछुआरे ने मछली पकड़ने के लिए जाल फेंका तो उसकी किस्मत चमक गई। बलोचिस्तान के दरन, जिवानी में 15 मई को मछुआरे को 18 बड़ी क्रोकर मछली मिली है। बलोच भाषा में इस मछली को कीर कहते हैं। मछलियों के कीमत की बात करें तो यह लाखों की हैं। सबसे बड़ी मछली लगभग पांच लाख की है, जबकि छोटी मछलियों की कीमत एक लाख रुपए की है।
नाव के कैप्टन सज्जाद उमर इन मछलियों को पकड़ कर बहुत खुश थे। उन्होंने कहा कि एक दिन मछलियों की तलाश से लाखों रुपए मिले हैं। क्रोकर और जापानी मीगर दो ऐसी मछलियां हैं जो पाकिस्तानी समंदर में पाई जाती हैं और बेहद महंगी बिकती हैं। इनके बड़ी कीमतों के पीछे इनके बड़े ब्लैडर (मूत्राशय) हैं। जिनका इस्तेमाल इलाज में किया जाता है।
इन चीजों में होता है इस्तेमाल
इस मछली के ब्लैडर का इस्तेमाल गर्भावस्था में होता है। जोड़ों के दर्द के लिए इसका सूप बनाया जाता है जो बेहद कारगर माना जाता है। एक सिंगल स्विम ब्लैडर से एक लाख रुपए तक मिल सकते हैं। चीन के कई हिस्सों में तो यह 25-30 लाख रुपए प्रति किलो बिकती है। पाकिस्तान में मांस की उच्च गुणवत्ता के लिए इस मछली को इस्तेमाल किया जाता है। इस मछली के ब्लैडर का निर्यात 170 साल पहले शुरू हुआ था, तब यूरोप में इससे वाइन और बीयर को छाना जाता था।
बीयर और वाइन छानने के लिए आज दूसरी पद्धतियों का इस्तेमाल होता है, जिसके कारण अब चीन इस मछली की सबसे बड़ी मार्केट है। चीन मछली के ब्लैडर की सबसे ज्यादा कीमत देता है। मछली के ब्लैडर को सुखा कर इसे निर्यात किया जाता है। चीन के बाजार में छलियों के बढ़ती मांग से कई प्रजातियां अंत की ओर भी पहुंचने लगी हैं। जैसे पीले क्रोकर और बाजा कैलिफोर्निया की टोटोबा मछली खत्म होने के कगार पर हैं।


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