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अंटार्कटिका में टूट रहा 170312 KM लंबा ग्लेशियर, जानें इसके पीछे की वजह
Ritisha Jaiswal
14 Dec 2021 2:18 PM GMT
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धरती पर अथाह जल के स्रोत अंटार्कटिका (Antarctic’s doomsday glacier)पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है.
धरती पर अथाह जल के स्रोत अंटार्कटिका (Antarctic's doomsday glacier)पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है. इसके थ्वाइट्स ग्लेशियर (Thwaites Glacier)- में लंबा दरार आना शुरू हो गया है. यह ग्लेशियर 170,312 किमी लंबा है, जो अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य के बराबर है. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगले 5 साल में यह ग्लेशियर टूट जाएगा. इससे दुनियाभर के समुद्र में जलस्तर 25 इंच तक बढ़ जाएगा. ऐसे में मुंबई समेत दुनिया के तटीय शहरों के कई इलाके पानी में डूब सकते हैं.
सोमवार को जारी किए गए नए डेटा से पता चलता है कि महासागरों के गर्म होने से थ्वाइट्स ईस्टर्न आइस शेल्फ़ (टीईआईएस) पनडुब्बी शोल या बैंक पर अपनी पकड़ खो रही है, जो इसे बाकी ग्लेशियर में बनाए रखने के लिए एक पिनिंग पॉइंट के रूप में काम करता है. विशेषज्ञों ने कहा कि इस थवेट्स ग्लेशियर में आ रही दरार की गति बहुत ज्यादा है. इस बर्फ से निकला पानी वैश्विक स्तर पर समुद्र में जलस्तर में कुल बढ़ोतरी का 4 प्रतिशत होगा. सैटलाइट आंकड़ों को अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन की वार्षिक बैठक में पेश किया गया है.
इंटरनेशनल थ्वाइट्स ग्लेशियर कोलैबोरेशन यानी आईटीजीसी के यूएस लीड कोऑर्डिनेटर, ग्लेशियोलॉजिस्ट प्रोफेसर टेड स्कैम्बोस ने बीबीसी को बताया, 'ग्लेशियर के सामने एक दशक से भी कम समय में नाटकीय बदलाव होने जा रहा है. प्रकाशित और अप्रकाशित दोनों अध्ययन इसी दिशा में इशारा करते हैं.'
क्यों आ रही दरार?
वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया है कि अंटार्कटिका में फ्लोरिडा राज्य जितने बर्फ के टुकड़े के टूटने के पीछे सिर्फ ग्लोबल वॉर्मिंग की जिम्मेदार नहीं है, बल्कि अगस्त में किए गये स्टडी से पता चला है कि पृथ्वी के अंदर से भी काफी ज्यादा गर्मी निकल रही है. इससे बर्फ पिघल रहा है.
बता दें कि थ्वाइट्स ग्लेशियर- जिसे समुद्र के स्तर में वृद्धि पर इसके प्रभाव के कारण 'डूम्सडे ग्लेशियर' कहा जाता है, वो पृथ्वी की पपड़ी से निकलती गर्मी से प्रभावित हो रहा है. ये पश्चिमी अंटार्कटिका से करीब 10 से मील उत्तर अंदर है और पूर्व अंटार्कटिका से 25 मील की दूरी पर है.
Ritisha Jaiswal
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