इस्लामाबाद। अपने सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ बैठक समाप्त हो गई है. पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार बैठक को पाकिस्तान के वित्त मंत्री, इशाक डार ने काफी सकारात्मक बताया जिसके तहत सरकार कई तरह के बदलाव करने जा रही है. डार ने बताया कि पाकिस्तान को ऋण कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने के लिए एक मिनी-बजट के माध्यम से 170 अरब रुपये का कर लगाना होगा.
मीडिया से बात करते हुए, पाकिस्तान के मंत्री ने पुष्टि की कि देश को वाशिंगटन स्थित ऋणदाता से आर्थिक और वित्तीय नीतियों के ज्ञापन का मसौदा प्राप्त हुआ है. उन्होंने यह भी दोहराया कि वर्तमान सरकार द्वारा जिस कार्यक्रम को लागू किया जा रहा है, वह वही है जिस पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने 2019-2020 में आईएमएफ के साथ हस्ताक्षर किए थे. मौजूदा सरकार एक "संप्रभु प्रतिबद्धता" के रूप में एक समझौते पर पहुंचने के लिए बातचीत कर रही है, उन्होंने कहा, "यह एक पुराना समझौता है जिसे पहले निलंबित और बाद में टाल दिया गया था".
आयात क्षमता घटकर सिर्फ 10 दिन
डिफ़ॉल्ट (Default) होने के करीब पहुंच चुका पाकिस्तान अब IMF से अपनी कंगाली मिटाने की आस लगा रहा है. हालांकि IMF की कई शर्तों ने उसे परेशान कर दिया है. कम होते डॉलर भंडार के बाद पाकिस्तान अपने खाद्य संकट से भी नहीं निपट पा रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार को नौ वर्षों में पहली बार देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3 बिलियन डॉलर (2.9 बिलियन डॉलर) से नीचे खिसक गया है. इन पैसों से पाकिस्तान महज दस दिनों तक अपने एक्सपोर्ट के बिलों का भुगतान कर पायेगा.