x
इस बीच तालिबान और युवा देशभक्तों के बीच राष्ट्रीय ध्वज को लेकर संघर्ष बढ़ने लगा है।
अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने के बाद से दूसरे देश अपने नागरिकों व दूतावास के अधिकारियों को वहां से निकालने में जुट गए हैं। तीसरे निकासी विमान के बाद काबुल से आस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान के 160 से अधिक नागरिकों को निकाला जा चुका है। यह जानकारी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्काट मारिसन (Scott Morrison) ने शुक्रवार को दी।
मारिसन ने बताया कि अफगानिस्तान में 20 साल तक चले युद्ध के दौरान आस्ट्रेलिया की मदद करने वाले अफगान लोगों और ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को मिलाकर 60 लोगों को रात में विमान के जरिए संयुक्त अरब अमीरात भेजा गया। उन्होंने बताया कि पहले विमान से 94 लोगों को शुक्रवार को पश्चिमी तटीय शहर पर्थ पहुंचाया गया। मारिसन के अनुसार आस्ट्रेलिया काबुल एयरपोर्ट के अतिरिक्त अफगानिस्तान के अन्य हिस्सों से लोगों को नहीं निकाल सका। आस्ट्रेलियाई सरकार ने 600 आस्ट्रेलियाई और अफगान लोगों को निकालने संबंधी खबरों पर कोई टिप्पणी नहीं की।
मारिसन ने कहा कि 20 सालों की जंग में आस्ट्रेलिया की मदद करने वाले आस्ट्रेलियाई और अफगान नागरिकों को बचाया गया। इन्हें रातों-रात संयुक्त अरब अमीरात पहुंचाया गया। पहली आस्ट्रेलियाई फ्लाइट में 94 शरणार्थी को निकाला गया जो शुक्रवार को आस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट पर्थ पहुंचे। उन्होंने बताया कि काबुल एयरपोर्ट के अलावा अफगानिस्तान के दूसरे हिस्सों में फंसे लोगों को निकालना मुश्किल है।
दूसरी ओर अफगनिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों को लेकर उनके स्वजन बुरी तरह परेशान हैं तो यहां भविष्य संवारने आए अफगानी छात्र-छात्राओं को अपने परिवार वालों की चिंता खाए जा रही है। इन पर तालिबान का खौफ इस कदर है कि वे अपने देश लौटने को तैयार नहीं हैं। आइएएनएस केे अनुसार भारत सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर अफगानिस्तान में फंसे भारतीय कामगारों को बचाने का फैसला किया है और उनसे जल्द से जल्द संपर्क करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। अफगानिस्तान पर एक बार फिर से तालिबान ने अपना कब्जा कर लिया है और देश आजादी के 102वें साल के दौरान तालिबानी कब्जे में चला गया है। इस बीच तालिबान और युवा देशभक्तों के बीच राष्ट्रीय ध्वज को लेकर संघर्ष बढ़ने लगा है।
Next Story