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16 साल की लड़की को मिला 1 दिन के लिए प्रधानमंत्री का पावर, बनी टाइम पर्सन ऑफ द ईयर

Neha Dani
9 Oct 2020 5:16 AM GMT
16 साल की लड़की को मिला 1 दिन के लिए प्रधानमंत्री का पावर,  बनी टाइम पर्सन ऑफ द ईयर
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अमेरिका की प्रतिष्‍ठित मैगजीन टाइम (Time) ने इस साल पर्सन ऑफ द ईयर 16 साल की ग्रेटा थनबर्ग|

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| अमेरिका की प्रतिष्‍ठित मैगजीन टाइम (Time) ने इस साल पर्सन ऑफ द ईयर 16 साल की ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) को चुना है. स्‍वीडन की ग्रेटा थनबर्ग सुर्खियों में छाई हुई हैं. मैगजीन ने ग्रेटा के लिए लिखा, 'साल भर के अंदर ही स्टॉकहोम की 16 साल की लड़की ने अपने देश की संसद के बाहर प्रदर्शन किया और फिर विश्वभर में युवाओं के आंदोलन का नेतृत्व किया. यूरोप में 'फ्राइडेज फॉर फ्युचर' प्रदर्शन की अगुवाई की थी तो वहीं संयुक्त राष्ट्र में दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेताओं के सामने उनका 'आपकी इतनी हिम्मत' भाषण काफी चर्चा में रहा.' आइए जानते हैं कौन है ये 16 साल की लड़की और टाइम मैगजीन इन्हें क्यों पर्सन ऑफ द ईयर चुना है.

जनवरी 2003 में स्वीडन में जन्मी Greta Thunberg (ग्रेटा थनबर्ग/ग्रैता तुनबैर) की मां ओपेरा सिंगर और पिता एक्टर हैं. ग्रेटा आज जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनियाभर में काम कर रही है. उन्होंने पहली बार 8 साल की उम्र में, 2011 में क्लाइमेट चेंज के बारे में सुना था. 11 साल की उम्र में जलवायु परिवर्तन के संकट को समझना शुरू किया था. अब वे दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन (Climate change) की आवाज बन चुकी है.



ग्रेटा का स्कूल स्ट्राइक फॉर क्लाइमेट या फ्यूचर फॉर फ्राइडे कैंपेन पूरी दुनिया में मशहूर है. पिछले साल अगस्त से उन्होंने इस कैंपेन की शुरुआत की थी. ग्रेटा ने इस कैंपेन की शुरुआत करते हुए शुक्रवार के दिन स्कूल जाना छोड़ दिया था. वो हर शुक्रवार को स्कूल छोड़कर स्टॉकहोम में स्वीडन की संसद के बाहर तख्ती लेकर प्रदर्शन करतीं. सांसदों और वहां आने जाने वाले लोगों से दुनिया बचाने की अपील करती हैं.

16 साल की एक लड़की का स्कूल छोड़कर दुनिया बचाने की मुहिम पर निकल पड़ना, पूरी दुनिया में मशहूर हुआ. आज ग्रैता तुनबैर का ये आंदोलन दुनियाभर के कई देशों में चल रहा है. जलवायु परिवर्तन पर अपनी मुहिम को लेकर ग्रैता पूरी दुनिया में मशहूर हो चुकी हैं. वे पिछले साल दिसंबर में पोलैंड में जलवायु परिवर्तन के संयुक्त राष्ट्र के प्रोग्राम में बोल चुकी हैं. लंदन और फ्रांस की संसद में अपनी बात रख चुकी ग्रेटा को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया जा चुका है.

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