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बुर्किना फासो नरसंहार में 130 लोगों का हुआ कत्लेआम, उसे 12-14 साल के बच्चों ने दिया अंजाम

Rani Sahu
25 Jun 2021 5:25 PM GMT
बुर्किना फासो नरसंहार में 130 लोगों का हुआ कत्लेआम, उसे 12-14 साल के बच्चों ने दिया अंजाम
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पश्चिम अफ्रीकी देश बुर्किना फासो से एक हैरान कर देने वाली खबर आई है

Burkina Faso Massacre: पश्चिम अफ्रीकी देश बुर्किना फासो से एक हैरान कर देने वाली खबर आई है. इस महीने इस देश में 130 लोगों की हत्या कर दी गई थी (Burkina Faso Massacre News). इन लोगों को मारने वाले हत्यारों में ज्यादातर 12 और 14 साल की उम्र के बच्चे शामिल थे. इस बात की जानकारी संयुक्त राष्ट्र और इस देश की सरकार ने दी है. यहां के सोलहन गांव में 4 जून की शाम अचानक हथियारों के साथ कुछ लोग आ गए थे, जिन्होंने घरों को आग लगा दी. साथ ही इंसानों को भी जिंदा जला दिया था.

इस इलाके में हुआ ये अब तक का सबसे घातक हमला है. यहां से आए दिन कत्लेआम से जुड़ी ऐसी खबरें आती रहती हैं. ज्यादातर इलाकों पर इस्लामिक स्टेट और अल कायदा से जुड़े जिहादियों का कब्जा है. सरकार के प्रवक्ता ओउसेनी तंबौरा का कहना है कि हमलावरों में ज्यादा बच्चे थे. जिसकी संयुक्त राष्ट्र ने काफी निंदा की है. संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी यूनिसेफ (UNICEF) ने कहा, 'हम सशस्त्र समूहों द्वारा बच्चों और किशोरों की भर्ती किए जाने की कड़ी निंदा करते हैं. यह उनके मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है.'
जारी हैं इस्लामी चरमपंथियों के हमले
संयुक्त राष्ट्र शांति दूतों और अंतरराष्ट्रीय सशस्त्र बलों की लाख कोशिशों के बावजूद पड़ोसी देश नाइजर और माली सहित पश्चिम अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में इस्लामी चरमपंथियों के हमले जारी हैं (United Nations on Burkina Faso). बुर्किना फासो के उत्तरी हिस्से के स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि बीते कुछ सालों से इस्लामिक समूह बच्चों का इस्तेमाल कर रहा है. लेकिन इस हफ्ते हुआ हमला अब तक का सबसे बड़ा मामला है. यह एक गरीब पश्चिम अफ्रीकी देश के लिए बेहद बुरा है, जहां 2018 से नागरिकों और सैनिकों पर हमले बढ़े हैं.
लाखों लोगों को छोड़ना पड़ा घर
यूनिसेफ का कहना है, बुर्किना फासो में हजारों की संख्या में लोगों को मारा गया है और 12 लाख से अधिक लोगों को अपना घर छोड़कर विस्थापित होना पड़ा है (Massacre in Burkina Faso). ज्यादातर लोग उत्तर, पूर्व और केंद्रीय क्षेत्र में स्थित सूखे स्थान पर कैंप में रहने को मजबूर हैं. जबकि इससे बच्चों की पढ़ाई को काफी नुकसान हुआ है. अभी तक 2200 से अधिक स्कूल बंद हो गए हैं. जिससे तीन लाख से अधिक बच्चे प्रभावित हुए हैं.


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