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परिणाम सामने आने के बाद इस पर अभी और अध्ययन किया जा रहा है।
निपाह वायरस से केरल में 12 वर्षीय लड़के की मौत के बाद यह बीमारी भारत में भी चिंता का विषय बन गई है। इसको लेकर अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम ने एक अच्छी जानकारी दी है कि निपाह वायरस में कोविशील्ड जैसी वैक्सीन कारगर हो सकती हैं। विज्ञानियों ने इसका सफल प्रयोग बंदरों पर किया है।
आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ ने आठ अफ्रीकी बंदरों पर इसका परीक्षण किया है। विज्ञानियों ने इन आठ अफ्रीकी बंदरों पर प्रयोग में सीएचएडीओएक्स1 एनआइवी (कोविशील्ड जैसी वैक्सीन) का प्रयोग करके देखा। इनमें से एक ग्रुप के चार बंदरों को इसकी एक या दो खुराक दी गई। इसके बाद सभी आठों बंदरों में कुछ को गले और कुछ को नाक के जरिये वास्तविक निपाह वायरस दिया गया।
इन बंदरों पर 14 दिन के बाद होने वाले प्रभावों का अध्ययन किया गया। सभी बंदरों का निपाह वायरस का टेस्ट किया गया। यह चौंकाने वाला था कि जिन बंदरों को वैक्सीन दी गई थी, उनमें निपाह वायरस के कोई लक्षण नहीं मिले। उनमें वैक्सीन के कारण एंटीबाडी विकसित हो गई थी। जिन बंदरों को टीका नहीं लगाया गया था, उनमें निपाह वायरस के लक्षण देखे गए। इस अध्ययन से यह पता चला है कि वैक्सीन निपाह वायरस में कारगर साबित हो सकती है। परिणाम सामने आने के बाद इस पर अभी और अध्ययन किया जा रहा है।
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