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ब्रिटेन में एक बगीचे से मिली 10वीं शताब्दी की भारतीय देवी की मूर्ति, मंदिर से 40 साल पहले हुई थी चोरी

Neha Dani
15 Jan 2022 5:54 AM GMT
ब्रिटेन में एक बगीचे से मिली 10वीं शताब्दी की भारतीय देवी की मूर्ति, मंदिर से 40 साल पहले हुई थी चोरी
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पाकिस्तान में बौद्ध काल का सबसे प्राचीन मंदिर बताया गया था।

उत्तर प्रदेश के एक गांव के मंदिर से 40 साल पहले अवैध रूप से हटाई गई 10वीं शताब्दी की एक मूर्ति इंग्लैंड में एक बगीचे से मिली, जो शुक्रवार को मकर संक्रांति के अवसर पर भारत को लौटा दी गई। ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त गायत्री इस्सर कुमार ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में, मूर्ति को वापस भेजने में मदद करने वाले संगठन आर्ट रिकवरी इंटरनेशनल के क्रिस मारिनेलो से मूर्ति को औपचारिक रूप से अपने नियंत्रण में लिया।

मूर्ति बुंदेलखंड के बांदा जिले में लोखरी मंदिर में स्थापित एक योगिनी का हिस्सा है। इसे अब नई दिल्ली में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भेजा जाएगा। कुमार ने इस संबंध में इंडिया हाउस में हुए समारोह में कहा, 'मकर संक्रांति पर इस योगिनी को प्राप्त करना बहुत शुभ है।' उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2021 में उच्चायोग को इसके बारे में सूचित किए जाने के बाद प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया को रेकॉर्ड समय में पूरा किया गया है। इसे अब एएसआई को भेजा जाएगा और हम मानते हैं कि वे इसे राष्ट्रीय संग्रहालय को सौंप देंगे।
पेरिस में भी मिली योगिनी की मूर्ति
कुमार ने 'अजब संयोग' को याद करते हुए बताया कि पेरिस में अपने राजनयिक कार्यकाल के दौरान एक भैंस के सिर वाली योगिनी की मूर्ति को बरामद किया गया था और भारत वापस भेज दिया गया था। यह मूर्ति भी संभवतः लोखरी के उसी मंदिर से चुराई गई थी। 2013 में उस मूर्ति को नई दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थापित किया गया था। योगिनी तांत्रिक पूजा पद्धति से जुड़ी शक्तिशाली देवियों का एक समूह है। उन्हें एक समूह के रूप में पूजा जाता है और माना जाता है कि उनके पास अनंत शक्तियां हैं।
पाकिस्तान में मिला था बौद्ध काल का मंदिर
पिछले महीने उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान में पाकिस्तानी और इतालवी पुरातत्वविदों के एक संयुक्त दल ने बौद्ध काल के 2,300 साल पुराने एक मंदिर की खोज की थी। इसके साथ ही कुछ अन्य बेशकीमती कलाकृतियां भी खुदाई में मिली थीं। यह मंदिर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वात जिले में बारीकोट तहसील के बौद्ध काल के बाजीरा शहर में मिला था। इस मंदिर को पाकिस्तान में बौद्ध काल का सबसे प्राचीन मंदिर बताया गया था।

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