महामारी कोविड-19 रोधी टीकाकरण के दायरे में आने वालों की संख्या एक करोड़ के करीब पहुंचने का मतलब है कि देश एक और उपलब्धि के मुहाने पर है। यह उपलब्धि करीब आने के बाद भी इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि उतनी संख्या में स्वास्थ्य एवं सफाई कर्मियों और महामारी का आगे आकर मुकाबला करने वाले अन्य लोगों का टीकाकरण नहीं हो पाया, जितना अपेक्षित था। यह देखे जाने की जरूरत है कि ऐसा क्यों हुआ? इसी क्रम में इसकी भी पड़ताल की जानी चाहिए कि टीके की पहली खुराक लेने वाले दूसरी खुराक लेने में उत्साह क्यों नहीं दिखा रहे हैं? इस सवाल का समाधान इसलिए किया जाना चाहिए, क्योंकि जल्द ही टीकाकरण का दूसरा चरण शुरू होने वाला है। इसके तहत 50 साल से अधिक आयु के लोगों को टीका लगाया जाएगा। इस दूसरे चरण में उन कारणों का निवारण भी अवश्य किया जाना चाहिए, जिनके चलते पहले चरण में टीकाकरण का संभावित लक्ष्य अपेक्षित समय में पूरा होता नहीं दिख रहा है। इसके लिए लोगों को जागरूक करने के साथ ही टीकाकरण अभियान की कमियों को भी दूर करने की जरूरत है। यह काम इसलिए प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए, क्योंकि भारत एक बड़ी आबादी वाला देश है। नि:संदेह यह भी अपेक्षित है कि आम जनता भी टीकाकरण के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाए। वैसे भी टीकाकरण का अभी तक का अभियान यह साबित करता है कि टीके से बचने-डरने की कोई जरूरत नहीं।