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अर्जेंटीना में 10 लाख महिलाओं ने किया प्रदर्शन, चर्च और कानून नहीं देते अबॉर्शन की अनुमति, पढ़े पूरी खबर

Admin2
6 Dec 2020 3:31 AM GMT
अर्जेंटीना में 10 लाख महिलाओं ने किया प्रदर्शन, चर्च और कानून नहीं देते अबॉर्शन की अनुमति, पढ़े पूरी खबर
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अर्जेंटीना में 10 लाख महिलाओं ने प्रदर्शन किए। लाल कोट और हरे रंग के स्कार्फ में देश भर में महिलाओं ने प्रदर्शन किया।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | अर्जेंटीना में 10 लाख महिलाओं ने प्रदर्शन किए। लाल कोट और हरे रंग के स्कार्फ में देश भर में महिलाओं ने प्रदर्शन किया। महिलाओं ने मांग की कि गर्भपात को कानूनी रूप से वैध बनाया जाए ताकि वे गर्भधारण का फैसला खुद ले सकें। अर्जेंटीना कैथोलिक देश हैं, जहां अबॉर्शन बैन है। चर्च गर्भपात को गलत मानता है। ऐसे में दुष्कर्म और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही महिलाओं के अलावा किसी को भी गर्भपात की इजाजत नहीं है। विश्व के सबसे बड़े कैथोलिक धर्म गुरु पोप फ्रांसिस अर्जेंटीना के ही रहने वाले हैं। बुधवार को यहां की संसद गर्भपात की वैधता को लेकर फैसला करेगी।

महिलाओं ने लाल कोट का चुनाव मार्गरेट एटवुड की नॉवेल 'द हैंड्समेड टेल' की तर्ज पर किया। इस कहानी में महिलाओं को जबरदस्ती बच्चे पैदा करने वाली दासी बताया गया है, जो लाल कोट पहनती है। हरे रंग का स्कार्फ पिछले कुछ समय से महिलाओं में गर्भपात अधिकार आंदोलन का हिस्सा रहा है।
11 साल पहले कैंसर पीड़िता की मौत के बाद उठा मुद्दा : 2007 में जबड़े के कैंसर से जूझ रही 19 वर्षीय मारिया एसेवेडो को दो हफ्ते की प्रेग्नेंसी का पता चला था। इसके चलते डॉक्टरों ने उनकी कीमोथैरेपी रोक दी, ताकि उनके गर्भ पर कोई बुरा प्रभाव ना पड़े। बिना इलाज के उन पर मौत का खतरा लगातार बढ़ रहा था। अबॉर्शन बैन होने की वजह से डॉक्टरों पर मां और बच्चे दोनों को बचाने का दबाव था। मारिया की मां से डॉक्टरों ने कोर्ट का ऑर्डर लाने को कहा, तो अदालत ने उनसे डॉक्टरों को राजी करने के लिए कहा। इस बीच मारिया ने 6 महीने बाद ही एक बेटी को जन्म दिया, जिसकी 24 घंटे के अंदर ही मौत हो गई। मारिया की भी दो हफ्ते बाद जान चली गई। इसके बाद देशभर में कई हफ्तों तक अबॉर्शन को कानूनी दर्जा देने के लिए प्रदर्शन हुए। इस साल कांग्रेस के सामने मारिया की मां नॉर्मा के बयान के बाद एक बार फिर अर्जेंटीना में गर्भपात से जुड़ा कानून बनाने को लेकर बहस छिड़ गई। कई महीनों के प्रदर्शन के बाद इस साल की शुरूआत में संसद के निचले सदन में इससे जुड़ा एक बिल पास भी कर दिया गया था।
पोप फ्रांसिस ने की बिल को नामंजूर करने की अपील: खास बात यह है कि इस मामले में खुद पोप फ्रांसिस ने दिलचस्पी दिखाते हुए संसद से बिल को अस्वीकार करने की अपील की है। क्लारिन डेली न्यूजपेपर के मुताबिक, पोप ने बिल का विरोध करने वालों से सांसदों पर दबाव बनाने के लिए कहा है। दरअसल, कैथोलिक नियमों के मुताबिक, अजन्मे बच्चे को भी जीने का अधिकार है। इसी के चलते ज्यादातर ईसाई संस्थान गर्भपात से जुड़े बिल का विरोध कर रहे हैं। इस बिल को लेकर सांसदों में भी काफी दबाव है। हालांकि, देशभर की महिलाओं ने कानून को लेकर एकजुटता दिखाई है।
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