अमेरिका में एक बार फिर से आर्थिक मंदी (Economic Recession) की आशंका को लेकर डर का माहौल है. कहा यह भी जा रहा है कि जीडीपी के आंकडे़ आने से पहले राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) मंदी की परिभाषा को ही बदलने पर काम कर रहे हैं. बाइडन को डर है कि जीडीपी के आंकड़े से आर्थिक गिरावट के संकेत मिल सकते हैं. इस बीच बाइडन ने सोमवार को कहा कि उन्हें इस बात की अपेक्षा नहीं है कि अमेरिका आर्थिक मंदी का सामना करेगा. वह भी तब जब इस सप्ताह आने वाले जीडीपी के आंकड़े लगातार दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था के सिकुड़ने की ओर इशारा कर सकते हैं. इस बीच ब्लूमबर्ग की ओर से कराए गए एक ताजा सर्वे में कहा गया है कि भारत के आर्थिक मंदी में फंसने की आशंका सबसे कम है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक राहत भरी खबर है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा, "मेरे विचार में, हम अभी मंदी के दौरा में नहीं जा रहे हैं. अमेरिका में बेरोजगारी दर अभी भी इतिहास में सबसे कम है. यह मात्र 3.6 फीसदी क्षेत्र में है. हम अभी भी खुद को निवेश करने वाले लोगों के साथ पाते हैं…"
भारत को छोड़ ज्यादातर बड़े देशों पर पड़ेगी मंदी की मार
भारत को छोड़कर अमेरिका और चीन जैसे दुनिया के ज्यादातर बड़े देशों में मंदी की आशंका गहराती जा रही है. आर्थिक संकेतकों के आधार पर ब्लूमबर्ग की ओर से दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों के बीच कराए गए सर्वे में दावा किया गया है, पहले से ही आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे कई एशियाई देश भी मंदी की चपेट में आ सकते हैं.
चीन के मंदी में फंसने की 20 फीसदी आशंका
सर्वे के मुताबिक, चीन के मंदी में फंसने की आशंका 20 फीसदी है. अमेरिका की 40 फीसदी व यूरोप की 55 फीसदी है. अर्थशास्त्रियों ने कहा कि महंगाई पर काबू पाने के लिए दुनिया के केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं. इससे मंदी की आशंका बढ़ गई है. एशियाई अर्थव्यवस्थाएं यूरोप और अमेरिका के बजाय ज्यादा लचीली नजर आ रही हैं. मोटे तौर पर एशियाई देशों के मंदी में घिरने की आशंका 20 से लेकर 25 फीसदी है.