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चीनी सरकार के आंकड़े से बहुत अधिक थी. कुछ चीनी सूत्रों ने बताया कि इस भूकंप में पांच लाख से अधिक लोग मारे गए.
चीन (China) में आज की तारीख एक भयानक आपदा से जुड़ी हुई है. दरअसल, 1976 में आज ही के दिन चीन ने अपनी अब तक की सबसे भीषण आपदाओं में से एक का सामना किया. 28 जुलाई तड़के 3:42 बजे रिक्टर स्केल पर 7.8 और 8.2 तीव्रता वाला भूकंप आया. इस भूकंप की वजह से 10 लाख की आबादी वाला चीनी औद्योगिक शहर तांगशान (Tangshan Earthquake) ताश के पत्तों की तरह बिखर गया. रात का समय होने की वजह से लोग अभी सो रहे थे. इस वजह से बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. भूकंप की वजह से 2,42,000 लोग मारे गए.
इसे आधुनिक समय का सबसे भयंकर भूकंप माना जाता है. भारतीय और प्रशांत टेक्टोनिक प्लेट्स के बीच में स्थित चीन हमेशा से ही भूकंप के लिए एक सक्रिय लोकेशन रही है. भूकंप ने चीन की संस्कृति और विज्ञान में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यही वजह है कि चीनी लोग सबसे पहले काम करने वाले सीस्मोमीटर विकसित करने वालों में से थे. तांगशान भूकंप से प्रभावित उत्तरी चीन का क्षेत्र विशेष रूप से प्रशांत प्लेट की वजह से चपेट में आया. तांगशान भूकंप से पहले सिर्फ दो ही भूकंपीय घटनाओं में सबसे अधिक लोगों की मौत हुई थी. इसमें कोलकाता में 1737 में आया भूकंप और शांक्सी में 1556 में आया भूकंप शामिल है.
भूकंप से पहले शहर में हो रही थीं अजीबोगरीब घटनाएं
भूकंप आने से कुछ दिन पहले ही तांगशान में अजीबोगरीब घटनाएं हो रही थीं. कुएं का जलस्तर कभी बढ़ जाता तो कभी घटने लगता. दिन के उजाले में चूहों को भागते हुए देखा जा सकता था. इसके अलावा, मुर्गियों ने खाना खाना बंद कर दिया था. 27 जुलाई की शाम और 28 जुलाई की सुबह के दौरान लोगों ने रंगीन रोशनी और कड़कड़ाती बिजली चमकने की जानकारी दी. फिर भी लोग आराम से सो रहे थे. तभी 3:42 बजे जबरदस्त भूकंप के झटके आए. ये करीब 23 सेकेंड तक रहा और इसने पूरे शहर की 90 फीसदी इमारतों को धराशायी कर दिया. शहर की एक चौथाई आबादी मारी गई और 1,60,000 लोग घायल हुए.
सेना को मदद के लिए उतारा गया
चीनी सरकार इस पैमाने की आपदा के लिए तैयार नहीं थी. भूकंप के अगले दिन हेलीकाप्टरों और विमानों ने शहर में भोजन और दवाएं गिराना शुरू कर दिया. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के करीब एक लाख सैनिकों को तांगशान में तैनात किया गया, जबकि कई लोगों को जिंझोऊ से 180 मील से अधिक दूरी पैदल पूरी करनी पड़ी. 30,000 निर्माण मजदूरों के साथ लगभग 30,000 मेडिकल कर्मियों को बुलाया गया. चीनी सरकार ने आत्मनिर्भरता का दावा करते हुए विदेशी राहत सहायता को लेने से इनकार कर दिया. भूकंप के बाद पहले हफ्ते में ही कई लोगों की चिकित्सा देखभाल के अभाव में मौत हो गई.
भूकंप में मारे गए लोगों की संख्या को लेकर संदेह
यहां गौर करने वाली बात ये है कि सैनिकों को बचाव कर्मियों को इस तरह के बचाव अभियान की ट्रेनिंग नहीं थी. इस वजह से ये लोग मलबे से लोगों को बाहर नहीं निकाल पाए. वहीं, लूटपाट की घटनाओं में भी वृद्धि होने लगी. दूसरी ओर 1,60,000 से अधिक परिवार बेघर हो गए थे और 4,000 से अधिक बच्चे अनाथ हो गए. भूंकप रोधी तकनीक से फिर से तांगशान को बनाया गया. आज लगभग 20 लाख लोग वहां रहते हैं. ऐसी अटकलें हैं कि 1976 के भूकंप से मरने वालों की संख्या 2,42,000 के आधिकारिक चीनी सरकार के आंकड़े से बहुत अधिक थी. कुछ चीनी सूत्रों ने बताया कि इस भूकंप में पांच लाख से अधिक लोग मारे गए.
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