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दुबई। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने हिजाब के खिलाफ देशभर में जारी विरोध-प्रदर्शनों पर सोमवार को चुप्पी तोड़ी और हिंसक दंगों की निंदा की। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदर्शनों की साजिश में अमेरिका और इजराइल का हाथ है। खामनेई ने ईरान की धर्माचार पुलिस की हिरासत में 22 वर्षीय महसा अमीनी की मौत को ''दुखद घटना'' करार दिया। गौरतलब है कि कथित तौर पर हिजाब ठीक से नहीं पहनने के चलते धर्माचार पुलिस ने अमीनी को हिरासत में लिया था और बाद में उनकी मौत के बाद देशभर में विरोध-प्रदर्शन होने लगे।
महसा अमीनी की हिरासत में मौत की घटना के तीन सप्ताह बाद भी देश भर में हिजाब विरोधी प्रदर्शन जारी हैं। ईरान सरकार इन प्रदर्शनों को लेकर बेहद कड़ा रुख अपना रही है। खामनेई ने विरोध-प्रदर्शनों को ''विदेशी साजिश'' करार देते हुए इसकी निंदा की और दावा किया कि इसका इरादा ईरान को अस्थिर करना है। तेहरान में पुलिस प्रशिक्षुओं के कैडर को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ''यह सुनियोजित दंगे थे। मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि इन दंगों के पीछे अमेरिका और यहूदी शासन का हाथ था।'' इस बीच, सोमवार को पुलिस और छात्रों के बीच करीब एक घंटा चले गतिरोध के बाद ईरान को अपने शीर्ष प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को बंद करना पड़ा।
प्रदर्शन के नये केंद्र के रूप में उभरे इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से पुलिस ने सैकड़ों युवाओं को गिरफ्तार कर लिया। तेहरान में शरीफ प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने घोषणा की कि अगली सूचना तक केवल 'डॉक्टरेट' कर रहे छात्रों को परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। वहीं, प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया है कि सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी विश्वविद्यालय के कट्टर समर्थक छात्रों से भिड़ गए थे। नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी छोड़े। विश्वविद्यालय के छात्र संघ ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने विश्वविद्यालय को चारों तरफ से घेर लिया और कम से कम 300 छात्रों को हिरासत में लिया गया।
सोर्स- अमृत विचार
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