अमेरिकी संसद के निचले सदन (प्रतिनिधि सभा) में सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद इल्हान उमर ने भारत विरोधी तेवर जारी रखते हुए एक प्रस्ताव पेश किया है। इसमें विदेश मंत्री से धार्मिक आजादी के कथित उल्लंघन के लिए भारत को विशेष रूप से चिंता वाला देश घोषित करने की मांग की गई है। हालांकि इस प्रस्ताव के पारित होने की उम्मीद नहीं है।
सांसद रशीदा तालिब व जुआन वर्गास द्वारा सह-प्रायोजित, प्रस्ताव में बाइडन प्रशासन से अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की सिफारिशों को लागू करने का आग्रह किया गया है, जिसने लगातार तीन वर्षों तक भारत को विशेष चिंता वाला देश घोषित करने की मांग की।
यह प्रस्ताव आवश्यक कार्रवाई के लिए सदन की विदेश मामलों की समिति के पास भेज दिया गया है। सांसद उमर ने भारत के मुद्दे पर पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया है। भारत से जुड़ी कई सुनवाइयों में भी उमर ने भारत विरोधी रुख दिखाया है।
भारत पहले ही कर चुका आलोचना
उमर द्वारा प्रस्ताव पेश करने से पहले भारत ने धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट में उसकी आलोचना को खारिज करते हुए कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी 'वोट बैंक की राजनीति' की जा रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि भारत पर यह रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण है। भारत ने उमर की पीओके यात्रा की भी निंदा की थी। भारत ने इस यात्रा को देश की संप्रभुता का उल्लंघन बताते हुए उनकी 'संकीर्ण मानसिकता' वाली राजनीति कहा था।
मानवाधिकारों व लोकतंत्र के महत्व पर बाइडन का रुख साफ : व्हाइट हाउस
व्हाइट हाउस प्रवक्ता केरिन ज्यां-पियरे ने कहा, राष्ट्रपति जो बाइडन का मानवाधिकारों व लोकतंत्र के महत्व पर स्पष्ट रुख है। उन्हें इन मामलों में विश्व नेताओं से सीधे तौर पर बात करने में कोई परेशानी नहीं है। पियरे से पूछा गया था कि क्या बाइडन पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित विवादित टिप्पणियों के बाद भारत में हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शनों के मद्देनजर पीएम नरेंद्र मोदी के साथ अल्पसंख्यक अधिकारों को लेकर बात करेंगे। बाइडन इस्राइल यात्रा के दौरान मोदी और यूएई के राष्ट्रपति से डिजिटल माध्यम से मुलाकात कर सकते हैं। पियरे ने यह नहीं बताया कि उनकी चर्चा के मुद्दे क्या होंगे।