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चीन-पाकिस्तान आर्थिक कोरिडोर गिलगित-बाल्टिस्तान को पहुंचा रहा नुकसान, जो जलवायु परिवर्तन के लिए हो सकता है घातक साबित

Renuka Sahu
11 Jun 2022 6:30 AM GMT
China-Pakistan Economic Corridor is harming Gilgit-Baltistan, which may prove fatal for climate change
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फाइल फोटो 

चीन अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में लगातार निवेश कर रहा है। जिसके कारण पाकिस्तान में प्रदूषण जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीन अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में लगातार निवेश कर रहा है। जिसके कारण पाकिस्तान में प्रदूषण जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं। हालांकि, पाकिस्तान ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को देश की बीमार अर्थव्यवस्था के लिए एक गेम-चेंजर करार बताया है। लेकिन तथ्य यह है कि चीनी मेगा परियोजनाएं गिलगित-बाल्टिस्तान के पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव दिखा रही हैं। जिससे अनियंत्रित प्रदूषण और जलीय पारिस्थितिक तंत्र की कमी हो रही है।

दरअसल, ग्लोबल आडर के अनुसार, CPEC के बैनर तले पाकिस्तान और चीन गिलगित-बाल्टिस्तान में मेगा-डैम, तेल और गैस पाइपलाइन और यूरेनियम और भारी धातु निष्कर्षण पर काम शुरू कर रहे हैं। गिलगित-बाल्टिस्तान भी पाकिस्तान और चीनी मेगा परियोजनाओं को अपने आधे से अधिक पीने और सिंचाई के पानी प्रदान कर रहा है, लेकिन ये परियोजनाएं स्थानीय जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव दिखा रही हैं, जिससे अनियंत्रित प्रदूषण और जलीय पारिस्थितिक तंत्र की कमी हो रही है।
हाल ही में, पाकिस्तान के हसनाबाद में एक हिमनद झील फट गई थी। जिसने काराकोरम राजमार्ग पर घरों को बहा दिया था और एक बड़े पुल को धराशायी कर दिया था। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन को माना गया। जलवायु परिवर्तन को देखते हुए विश्व बैंक ने चेतावनी दी थी कि इस सदी के अंत तक इनमें से एक तिहाई ग्लेशियर गायब हो जाएंगे। जिससे पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर अकाल पड़ सकता है। इसमें पिघलने वाली बर्फ की चादरें हजारों वर्षों से बंद वायरस को भी छोड़ देंगी, जिससे दुर्लभ बीमारियों की घटनाओं में अभूतपूर्व वृद्धि होगी।
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र ने दावा किया कि अगले तीन दशकों में पाकिस्तान में जलवायु आपदाएं 300,000 से अधिक लोगों को मार सकती हैं और अगर हम महामारियों से होने वाली मौतों को शामिल करते हैं तो ये संख्या कई गुना तक पहुंच जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार गिलगित-बाल्टिस्तान में भूस्खलन का प्रमुख कारण वनों की कटाई है। वृक्षारोपण जलवायु के मुद्दे को उलट सकता है और यहां तक ​​​​कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी कहा कि दस अरब पेड़ का कटना एक सुनामी की आहट है।
वहीं, पाकिस्तानी सेना ने स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा करने के बजाय उनकी स्वदेशी जमीनें छीन लीं और उन पर चीनी हितों को थोप दिया। स्थानीय लोगों की बार-बार चेतावनी के बावजूद सेना ने डायमर, शिगर, घीज़र, गिलगित और हुंजा जैसी जगहों पर सैकड़ों-हजारों एकड़ निजी भूमि को जब्त कर लिया है और उन्हें चीनी कंपनियों को दे दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, सीपीईसी से संबंधित आर्थिक क्षेत्र बनाने के लिए एक चीनी कंपनी को निजी जमीन देने के लिए सेना ने मकपोंडास में घरों पर बुलडोजर चलाकर उसे समतल कर दिया था।
विशेषज्ञों का दावा है कि 2030 तक चीन गिलगित-बाल्टिस्तान में चल रही जलविद्युत परियोजनाओं से पाकिस्तान के लिए बारह गीगावाट बिजली का उत्पादन करने में सक्षम होगा। उन परियोजनाओं में से एक डायमर-भाशा है, जो दुनिया का सबसे बड़ा रोलर काम्पैक्ट कंक्रीट बांध है। हालांकि, डायमर बांध भूगर्भीय रूप से अस्थिर क्षेत्र में बनाया जा रहा है, जहां भूकंप एक दैनिक घटना है।
ऐसे हालात को देखते हुए स्थानीय लोगों ने सीपीईसी के निर्माण के खिलाफ आवाज उठाई है। लेकिन सरकार उनकी एक भी आवाज नहीं सुनती है। भूमि चोरी और पर्यावरण विनाश के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों पर पाकिस्तानी सेना केस दर्ज कर रही है। स्थानीय लोगों ने तर्क दिया है कि प्रतिष्ठान चीन के लिए स्थानीय लोगों की भलाई का त्याग करके वास्तविक देशद्रोह कर रहा है।
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