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RBI रिपोर्ट: प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पैदा करती है ग्राहकों की सुरक्षा के लिए जोखिम, धोखाधड़ी की भी है संभावना

Neha Dani
30 Dec 2021 4:56 AM GMT
RBI रिपोर्ट: प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पैदा करती है ग्राहकों की सुरक्षा के लिए जोखिम, धोखाधड़ी की भी है संभावना
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उनके पूंजी विनियमन ढांचे को कमजोर कर सकती है।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को जारी अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक टीप्पणी जाहिर की है। आरबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी ग्राहकों की सुरक्षा के लिए तत्काल जोखिम पैदा करती है और इससे धोखाधड़ी के साथ कीमत में काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव का खतरा भी होता है। नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के प्रसार ने नियामकों और सरकारों को संबंधित जोखिमों के प्रति संवेदनशील बना दिया है। आरबीआइ द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में यह कहा गया है कि, "प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी ग्राहकों की सुरक्षा और एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (एएमएल) या आतंकवाद के वित्तपोषण (सीएफटी) जैसी समस्याओं का मुकाबला करने के लिए तत्काल जोखिम पैदा करती है। क्रिप्टोकरेंसी की अत्यधिक सट्टा प्रकृति को देखते हुए इससे धोखाधड़ी और अत्यधिक मूल्य अस्थिरता का खतरा भी बना हुआ है।

इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी को लेकर लंबी अवधि में पूंजी प्रवाह प्रबंधन, वित्तीय और मैक्रो-आर्थिक स्थिरता, मौद्रिक नीति संचरण और मुद्रा प्रतिस्थापन से संबंधित चिंताएं भी बनी हुई हैं। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के अनुसार, वर्चुअल एसेट इकोसिस्टम ने एनोनिमिटी-एन्हांस्ड क्रिप्टोकरेंसी (AECs), मिक्सर और टंबलर, विकेन्द्रीकृत प्लेटफॉर्म और एक्सचेंज, प्राइवेसी वॉलेट और अन्य प्रकार के उत्पादों और सेवाओं का उदय देखा गया है जो कि, कम पारदर्शिता और वित्तीय प्रवाह में वृद्धि की अनुमति देते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्चुअल-टू-वर्चुअल लेयरिंग योजनाओं के बढ़ते उपयोग सहित नए अवैध वित्तपोषण के प्रकार उभर रहे हैं, जो तुलनात्मक रूप से आसान, सस्ते और गुमनाम तरीके से इस तरह लेनदेन को आगे बढ़ाते हैं।
22 दिसंबर को समाप्त हुए संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करने के लिए आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 की क्रिप्टोक्यूरेंसी और विनियमन को लोकसभा बुलेटिन-भाग II में शामिल किया गया था। बुलेटिन के अनुसार इस पेश ना हो सकने वासा विधेयक में आरबीआई द्वारा जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक ढांचा बनाने की मांग की गई थी। इसके साथ ही इस विधेयक में भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने की भी मांग की गई थी। इस विधेयक में कुछ अपवादों को क्रिप्टोकुरेंसी और इसके उपयोग की अंतर्निहित तकनीक को बढ़ावा देने की अनुमति भी दी गई है।
शीर्ष 100 क्रिप्टोकरेंसी का कुल बाजार पूंजीकरण 2.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। केंद्रीय बैंक के द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, निवासियों के लिए क्रिप्टो परिसंपत्तियों की मुफ्त पहुंच उनके पूंजी विनियमन ढांचे को कमजोर कर सकती है।
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