उत्तराखंड

क्लोरीन के सिलेंडरों से गैस का रिसाव, क्षेत्र में हड़कंप

9 Jan 2024 10:55 AM GMT
क्लोरीन के सिलेंडरों से गैस का रिसाव,  क्षेत्र में हड़कंप
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देहरादून: देहरादून के निकट झाझरा में मंगलवार तड़के एक खुले मैदान में रखे क्लोरीन के सिलेंडरों से गैस का रिसाव होने से क्षेत्र में हड़कंप मच गया । पुलिस ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पास ही स्थित आवासीय परिसर से लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया जिससे किसी को …

देहरादून: देहरादून के निकट झाझरा में मंगलवार तड़के एक खुले मैदान में रखे क्लोरीन के सिलेंडरों से गैस का रिसाव होने से क्षेत्र में हड़कंप मच गया ।

पुलिस ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पास ही स्थित आवासीय परिसर से लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया जिससे किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ ।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने क्लोरीन गैस रिसाव की घटना को गंभीरता से लेते हुए आवासीय स्थानों पर इस प्रकार की नुकसानदेह गैसों के भंडारण की जांच करने के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं ।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, देहरादून जिला पुलिस नियंत्रण कक्ष को झाझरा के एक मैदान में क्लोरीन गैस के रिसाव की सूचना मिली । मौके पर जाकर पता चला कि क्लोरीन के छह बड़े सिलेंडरों में से दो में से गैस का रिसाव हो रहा है ।

घटना की सूचना मिलते ही देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह, एसडीआरएफ के कमान्डेंट और ‘केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल एंड न्यूक्लियर’ (सीबीआरएन) के विशेषज्ञ आवश्यक उपकरणों के साथ मौके पर पहुंचे ।

मौके पर पुलिस, राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के अलावा अग्निशमन सेवा एवं राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) को भी बुलाया गया ।

क्लोरीन गैस के रिसाव के संपर्क में आने से चक्कर आना, चेहरे और आंखों में जलन, सांस लेने में परेशानी और उल्टी तथा सिरदर्द की परेशानी होती है ।

घटनास्थल से कुछ ही दूर आवासीय परिसर होने के कारण पुलिस और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) ने आसपास के क्षेत्र में स्थित घरों से लोगों को निकाल कर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया ।

एनडीआरएफ के एक अधिकारी ने बताया कि जिन सिलेंडरों से गैस का रिसाव हो रहा था उन्हें पानी से भरकर जमीन में दबा दिया गया है । उन्होंने बताया कि जमीन के अंदर पानी में गैस का रिसाव कम होता है और वह ज्यादा नहीं फैलती है ।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार एनडीआरएफ के सहायक कमांडेंट प्रवीण कुमार ने बताया कि सिलेंडर के खाली हो जाने के बाद इसे जमीन में मिटटी के साथ दबा दिया जाएगा ।उन्होंने कहा कि यह सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीका है ।

उन्होंने कहा कि अभियान में लगे कार्मिकों तथा क्षेत्र के लोगों से हवा में क्लोरीन गैस का थोड़ा सा भी असर विद्यमान रहने तक मुंह पर मास्क लगाकर रखने को कहा गया है ।

कुमार ने क्लोरीन को 'चोकिंग एजेंट' बताते हुए कहा कि एक निश्चित मात्रा से ज्यादा अगर यह सांस के साथ अंदर चली जाए तो यह घातक हो भी सकती है ।

संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए कुमार ने कहा, ‘‘ मैं केवल यह कह सकता हूं कि यह गैस बहुत जहरीली है और इसके सिलेंडर आबादी क्षेत्र के पास नहीं रखे जाने चाहिए थे।’’

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में घरों के अंदर मौजूद लोगों से अपने दरवाजे और खिड़कियां बंद रखने को कहा गया है।

तड़के जब गैस का रिसाव शुरू हुआ, तब वहां के निवासियों को तुरंत कुछ समझ में नहीं आया। स्थानीय निवासी सुषमा रावत ने बताया कि पहले कुछ गंध आयी और उसके बाद आंखों और गले में जलन होने लगी । उनके अनुसार थोड़ी देर बाद उनके कुत्ते को लगातार छीकें आने लगीं जो धीरे-धीरे बढ़ती गयीं जिससे उन्हें कुछ ठीक नहीं होने का अंदेशा होने लगा ।

रावत ने कहा कि तभी उनका कोई पड़ोसी बाहर गया और उसने खाली मैदान में सिलेंडर पड़े हुए देखे। उन्होंने कहा कि हवा में गैस का असर इतना ज्यादा था कि वह ठीक से सांस भी नहीं ले पा रहा था और लगभग दौड़ते हुए घर लौटा ।

बाद में प्रशासन द्वारा गैस के रिसाव की घोषणा किए जाने पर रावत ने अपनी पुत्री को सुरक्षा की दृष्टि से अपने रिश्तेदार के यहां भेज दिया ।क्षेत्र में लोगों के घरों में लगी सब्जियों जैसे मूली, राई और पालक के पत्ते भी जहरीली गैस के प्रभाव से मुरझा गए ।

देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने कहा कि इस बात की जांच की जा रही है कि खाली प्लॉट में गैस सिलेंडरों को किन कारणों से रखा गया था ।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को क्लोरीन गैस रिसाव जैसी घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण के आदेश दिए हैं । उन्होंने कहा कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सतर्कता बरती जाए।

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