उत्तराखण्ड। उत्तराखण्ड एक पर्वतीय एवं विषम भौगोलिक स्थितियों वाला राज्य है। प्रदेश के पर्वतीय, दुर्गम एवं दूरस्थ क्षेत्रों के साथ ही मैदानी क्षेत्रों में भी जनसामान्य के लिए विशेषीकृत चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध नहीं है। भारत सरकार द्वारा 90ः10 के अनुपात में केन्द्र पोषित योजना (सी०एस०एस०) के अन्तर्गत राजकीय मेडिकल कॉलेज, हरिद्वार को स्वीकृत किया गया है। राजकीय मेडिकल कॉलेज, हरिद्वार को वर्ष 2024-25 से एम०बी०बी०एस० कक्षायें संचालित किये जाने हेतु शासन स्तर से अनिवार्यता प्रमाण पत्र निर्गत किया जा चुका है। अतः एन०एम०सी० से एम०बी०बी०एस० कक्षायें संचालित किये जाने हेतु अनुमति प्राप्त किये जाने के संबंध में उक्त नवीन स्वीकृत मेडिकल कॉलेज के त्वरित संचालन, अन्य व्यवस्थाओं एवं पर्यवेक्षण आदि किये जाने हेतु ढांचा सृजित किया गया है।
1-चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, उत्तराखण्ड शासन।
राजकीय मेडिकल कॉलेज, हरिद्वार में 100 एम०बी०बी०एस० प्रशिक्षु क्षमता के संचालन हेतु आवश्यक पदों के सृजन के संबंध में।
2-चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, उत्त्तराखण्ड शासन।
राजकीय मेडिकल कॉलेज, पिथौरागढ़ में 100 एम०बी०बी०एस० प्रशिक्षु क्षमता के संचालन हेतु आवश्यक पदों के सृजन के संबंध में।
उत्तराखण्ड एक पर्वतीय एवं विषम भौगोलिक स्थितियों वाला राज्य है। प्रदेश को पर्वतीय, दुर्गम एवं दूरस्थ क्षेत्रों के साथ ही मैदानी क्षेत्रों में भी जनसामान्य के लिए विशेषीकृत चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध नहीं है। भारत सरकार द्वारा 90ः10 के अनुपात में केन्द्र पोषित योजना (सी०एस०एस०) के अन्तर्गत राजकीय मेडिकल कॉलेज, पिथौरागढ़ को रवीकृत किया गया है। राजकीय मेडिकल कॉलेज, पिथौरागढ़ को आगामी शैक्षणिक सत्र हेतु अनिवार्यता प्रमाण पत्र निर्गत किये जाने की कार्यवाही गतिमान है। अतः एन०एम०सी० से एम०बी०बी०एस० कक्षायें संचालित किये जाने हेतु अनुमति प्राप्त किये जाने के संबंध में उक्त नयीन रवीकृत मेडिकल कॉलेज के त्वरित संचालन, अन्य व्यवरथाओं एवं पर्यवेक्षण आदि किये जाने हेतु ढांचा सृजित किया गया है।
3-माध्यमिक शिक्षा विभाग
माध्यमिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत राजकीय हाईस्कूल एवं राजकीय इण्टर कालेजों में शिक्षकों के लम्बे अवकाश की स्थिति में छात्रहित में अस्थाई शिक्षकों को प्रतिवादन की दर से मानदेय पर कार्ययोजित किए जाने के सम्बन्ध में।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत शिक्षकों के रिक्त पदों के अतिरिक्त दीर्घावकाश यथा चिकित्सा अवकाश, मातृत्व अवकाश एवं बाल्य देखभाल अवकाश आदि के फलस्वरूप प्रदेश में हर समय लगभग 1500-2000 शिक्षक 15 दिन से 06 माह की अवधि तक अवकाश पर रहने के कारण छात्र-छात्राओं का शिक्षण कार्य प्रभावित होता है एवं शैक्षिक गुणवत्ता पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
2- उपरोक्त कठिनाई के दृष्टिगत सहायक अध्यापक एल०टी० तथा प्रवक्ता संवर्ग के महत्वपूर्ण
विषयों के शिक्षक / शिक्षिकाओं के कम से कम एक माह के दीर्घ अवकाश की स्थिति में सम्बन्धित विद्यालय के प्रधानाचार्य की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा विज्ञप्ति प्रकाशित की जायेगी। निर्धारित शैक्षिक एवं प्रशिक्षण अर्हता रखने वाले अभ्यथी को मैरिट के आधार पर सहायक अध्यापक एल०टी० के विषयों हेतु रू0 200.00 (दो सौ) एवं प्रवक्त्ता के विषय हेतु 250.00 (दो सौ पचास) प्रतिवादन की दर से मानदेय पर शिक्षण कार्य हेतु तात्कालिक / नितान्त अस्थायी व्यवस्था पर सम्बन्धित खण्ड शिक्षा अधिकारी से अनुमोदनोपरान्त कार्ययोजित किया जायेगा। विद्यालय के सेवित क्षेत्र के निकटस्थ निर्धारित योग्यता रखने वाले अभ्यर्थी को वरीयता प्रदान की जायेगी। उक्त योजना प्रदेश हित में लागू किए जाने का निर्णय मा० मंत्रिमण्डल द्वारा लिया गया है।
4-वित्त विभाग
उत्तर प्रदेश के समय से तैनात आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारियों की तदर्थ सेवाओं को अर्हकारी सेवा के रूप में आगणित करते हुए पेंशन एवं सेवानिवृत्तिक लाभ अनुमन्य कराये जाने के सम्बन्ध में।
दिनांक-01 अक्टूबर, 2005 से पूर्व तदर्थ रूप से नियुक्त राज्य सरकार के अन्तर्गत आयुष विभाग के चिकित्सक एवं अन्य कार्मिक तथा राज्य सरकार के अन्य राजकीय विभागों में कार्यरत समस्त कार्मिक, जो दिनाक 01 अक्टूबर, 2005 के उपरान्त विनियमित किये गये हों या जिनका विनियमितीकरण आदेश निर्गत करने से पूर्व निधन हो गया हो, अथवा सेवानिवृत्त हो गये हों तथा जो उत्तराखण्ड विनियमितीकरण नियमावली, 2002 के सुसंगत प्राविधानों के अन्तर्गत दिनांक 01 अक्टूबर, 2005 से पूर्व विनियमितीकरण की अर्हता रखते हों, एवं तत्समय नियमित पद रिक्त हो, के सम्बन्ध में कार्यवाही की जानी प्रस्तावित है।
5-वित्त अनुभाग-9
उत्तराखण्ड राज्य में लेखपत्रों के निबंधन की प्रक्रिया में Virtual Registration की प्रक्रिया को पंजीकरण की कार्यवाही में कार्यान्वयन किये जाने के सम्बन्ध में।
वर्तमान में राज्य में लेखपत्रों के निबंधन में पक्षकारों को अभी कार्यालय में उपस्थित हो कर बयान दर्ज कराने के पश्चात निबंधन कराना पड़ता है। Virtual Registration की प्रक्रिया के अस्तित्व में आने के पश्चात पक्षकार अपने ही स्थान से लेखपत्र को तैयार कर आनलाइन लिंक के माध्यम से प्रस्तुत कर सकेंगें साथ ही उम्रदराज, बीमार एवं असहाय लोगों को कार्यालय में उपस्थित हो कर लेखपत्रों का निबंधन कराने से मुक्ति प्राप्त होगी। पक्षकारों के दूरस्थ स्थानों पर होने के फलस्वरूप विलेखों का पंजीकरण सम्भव नही हो पाता है, अतः ऐसे विलेखों का पंजीकरण आसान होगा। उक्त के अतिरिक्त Virtual Registration की प्रक्रिया को लागू होने से औद्योगिक निवेश को बल मिलेगा।
उप निबंधक कार्यालय Video KYC के माध्यम से पक्षकारों का सत्यापन एवं विलेख में वर्णित तथ्यों का परीक्षण कर विलेखों के पंजीकरण की कार्यवाही को E-Sign के माध्यम से पूर्ण करेंगें। पक्षकार विलेख की Digitally Singed Copy को आनलाइन अपलोड करना भी सम्भव होगा। Virtual Registration की प्रक्रिया को आधार प्रमाणीकरण से भी अंर्तसम्बन्धित (लिंक) किया जायेगा जिससे कि जनसुविधा के साथ साथ फर्जीवाड़े पर भी रोक लग सके।
उक्त क्रम में भारत सरकार द्वारा निम्न कार्यों हेतु आधार प्रमाणिकरण का ऐच्छिक रूप से प्रयोग किये जाने हेतु अनुमति प्रदान की गयी है-
1. विलेखों का पंजीकरण ।
2. विवाह पंजीकरण।
3. विवाह प्रमाण एवं लेखपत्रों की प्रमाणित प्रति निर्गत करना।
4. भार मुक्त प्रमाण (Non Encumbrance Certificate)
5. पंजीकृत लेखपत्रों के ई-सर्च।
उपरोक्त कार्यों के सफल कियान्वयन हेतु स्टाम्प एवं निबन्धन विभाग को Sub-KUA (e-KYC User Agency) के रूप में अधिकृत किये जाने हेतु भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण एवं NIC/C-DAC के साथ एम.ओ.यू. की प्रक्रिया जल्द सम्पन्न की जायेगी। आधार प्रमाणीकरण हेतु शासन से अनुमति के उपरान्त अधिसूचना निर्गत की जा चुकी है।
6-उत्कृष्ट विद्यालयों (Centre For Excellence) की स्थापना के सम्बन्ध में।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु माध्यमिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत छात्र-छात्राओं को आधुनिक तकनीकी का प्रयोग करते हुए अनुकूल वातावरण के अन्तर्गत गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान किये जाने हेतु प्रदेश में 559 उत्कृष्ट विद्यालयों की स्थापना की जानी है। उत्कृष्ट विद्यालय के रूप में ऐसे विद्यालय का चयन किया जाएगा जिसके 15 कि0मी की परिधि में अधिक से अधिक राजकीय हाईस्कूल एवं राजकीय इण्टर कालेज संचालित हों।
2- उत्कृष्ट विद्यालयों में आवश्यक भौतिक संसाधनों के अन्तर्गत यथाआवश्यक खेल का मैदान, कक्षा-कक्ष, शौचालय, पेयजल तथा चाहरदीवारी की समुचित व्यवस्था की जायेगी। विद्यालय में इण्टर स्तर पर भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, कम्प्यूटर तथा गणित विषय की प्रयोगशालायें विकसित की जायेंगी तथा हाईस्कूल स्तर पर विज्ञान, गणित एवं कम्प्यूटर की प्रयोगशलायें स्थापित की जायेगी। उत्कृष्ट विद्यालय में प्रत्येक विषय हेतु शिक्षकों की व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने के साथ-साथ विद्यालय में स्मार्ट क्लासरूम भी विकसित किये जाने होंगे, जिससे आधुनिकतम शैक्षिक तकनीकी का उपयोग छात्र-छात्राओं के शैक्षिक उन्नयन हेतु किया जायेगा। योजना में लगभग 240 करोड़ का व्यय सम्भावित है।
3- उत्कृष्ट विद्यालयों में निकटवर्ती क्षेत्रों से आने वाले विद्यार्थियों हेतु स्थानीय स्तर पर ट्रांस्पोर्ट की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। उक्त योजना प्रदेश हित में लागू किए जाने का निर्णय मा० मंत्रिमण्डल द्वारा लिया गया है।
7-ग्रामीण निर्माण विभाग।
‘मुख्यमंत्री ग्राम सम्पर्क योजना’ प्रारम्भ किये जाने के सम्बन्ध में।
मा० मुख्यमंत्री जी के निर्देशों के कम में ग्रामीण निर्माण विभाग, उत्तराखण्ड शासन द्वारा प्रस्तावित ‘मुख्यमंत्री ग्राम सम्पर्क योजना’ के अन्तर्गत उत्तराखण्ड राज्य के ऐसे गाँव/तोक जिनकी आबादी 250 तक है, को मुख्य सड़कों से जोड़ने के लिए नई योजना अनुमोदित की गयी है, जिसमें ऐसे गाँवों / बसावटों को सम्पर्क में लाया जायेगा, जो कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अथवा लोक निर्माण विभाग की कार्ययोजना / मानकों में सम्मिलित नहीं है। वर्तमान में प्रदेश की लगभग 2035 बसावटें मुख्य मोटर मागों से नहीं जुड़ी हैं तथा 1142 बसावटें ऐसी हैं जो ग्रामीण सड़कों के मानकों के अनुसार नहीं बनी हैं। इस प्रकार कुल 3177 बसावटों को मुख्य मार्गों से जोड़ने हेतु नई योजना में सम्मिलित किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत मोटर मागों के अतिरिक्त पैदल पुलिया, मोटरपुल, अश्वमार्ग, झूला पुल निर्माण आदि प्रस्तावित किए जा सकेंगे।
इस योजना के दूरगामी सकारात्मक प्रभाव होंगे, जिससे सीमान्त क्षेत्रों को मुख्य मार्गों से जोड़ने के फलस्वरूप पर्यटन, आजीविका बढोत्तरी से स्थानीय लोग लाभान्वित होंगे तथा आकस्मिकता / आपदा की स्थिति में राहत एवं बचाव कार्यों में भी आसानी होगी।
8-कार्मिक एवं सतर्कता विभाग।
उत्तराखण्ड उच्चतर न्यायिक सेवा नियमावली, 2004 के नियम 27 के उपनियम (1) एवं (2) में संशोधन ।
उत्तराखण्ड शासन की अधिसूचना संख्या-4072, दिनांक 20 नवम्बर, 2004 द्वारा उत्तराखण्ड उच्चतर न्यायिक सेवा नियमावली, 2004 प्रख्यापित की गई है, जिसमें उत्तराखण्ड न्यायिक सेवा में भर्ती का स्त्रोत, अर्हतायें, आयु, योग्यता, पदोन्नति, स्थायीकरण, वेतनमान, ज्येष्ठता इत्यादि सेवा की शर्तें निर्धारित की गई हैं। मा० उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली में योजित सिविल रिट याचिका संख्या 643/2015 ऑल इण्डिया जजेस एसोसियेशन बनाम भारत संघ व अन्य में मा० उच्चतम न्यायालय द्वारा दिनांक 19.05.2023 को सुनवाई उपरान्त पारित आदेश के अनुपालन एवं तत्क्रम में मा० उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय द्वारा प्रदत्त संस्तुति के क्रम में उत्तराखण्ड उच्चतर न्यायिक सेवा नियमावली, 2004 के नियम 27 के उपनियम (1) एवं (2) में संशोधन करते हुए उच्चतर न्यायिक सेवा संवर्ग के 35 प्रतिशत पदों पर चयन वेतनमान (सेलेक्शन ग्रेड) एवं संवर्ग की सदस्य संख्या के 15 प्रतिशत पदों पर सुपर टाईम स्केल अनुमन्य किये जाने का निर्णय लिया गया है।
9-कार्मिक एवं सतर्कता विभाग।
उत्तराखण्ड न्यायिक सेवा नियमावली, 2005 में ‘सिविल न्यायाधीश’ एवं ‘वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश’ के पदनाम में संशोधन ।
उत्तराखण्ड शासन की अधिसूचना संख्या-2041/XXX(4)/2022-04(07)/2016, दिनांक 19 अक्टूबर, 2022 द्वारा उत्तराखण्ड न्यायिक सेवा नियमावली, 2005 में ‘सिविल न्यायाधीश (कनिष्ठ श्रेणी)’ का पदनाम परिवर्तित करते हुए ‘सिविल न्यायाधीश’ और ‘सिविल न्यायाधीश (वरिष्ठ श्रेणी)’ का पदनाम परिवर्तित करते हुए ‘वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश’ किया गया है। मा० उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली में योजित सिविल रिट याचिका संख्या 643/2015 ऑल इण्डिया जजेस एसोसियेशन बनाम भारत संघ व अन्य में मा० उच्चतम न्यायालय द्वारा दिनांक 19.05.2023 को सुनवाई उपरान्त पारित आदेश के अनुपालन एवं तत्क्रम में मा० उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय द्वारा प्रदत्त संस्तुति के क्रम में ‘सिविल न्यायाधीश’ का पदनाम परिवर्तित करते हुए ‘सिविल न्यायाधीश (कनिष्ठ श्रेणी)’ एवं ‘वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश’ का पदनाम परिवर्तित करते हुए ‘सिविल न्यायाधीश (वरिष्ठ श्रेणी)’ किये जाने हेतु उत्तराखण्ड न्यायिक सेवा नियमावली, 2005 में पदनाम परिवर्तित किये जाने का निर्णय लिया गया है।
10-नागरिक उड्डयन विभाग
राज्य सरकार के सशक्त उत्तराखण्ड मिशन के तहत, राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से सुरम्य गंतव्य स्थानों तक पहुंच, आपातकालीन चिकित्सा और आपदा सेवाओं में आ रही चुनौतियों का सामना करने के लिए राज्य में हैलीपैड एवं हैलीपोर्ट की अपार संभावनाओं को देखते हुए, उत्तराखण्ड सरकार के अंतर्गत उत्तराखण्ड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा या प्राधिकरण), जो कि राज्य में नागरिक उड्डयन अवसंरचना एवं पारिस्थतिकी के विकास हेतु प्रमुख निकाय है, द्वारा ‘उत्तराखण्ड हैलीपैड एवं हैलीपोर्ट नीति 2023’ (या नीति) प्रस्तावित की है। इस नीति में दो विकल्प प्रस्तावित किये गये हैं जिनमें प्रथम विकल्प के अनुसार चयनित भूमि मालिक हैलीपैड / हैलीपोर्ट विकास के लिए प्राधिकरण को 15 साल के लिए पट्टे पर भूमि प्रदान कर सकते हैं जिस पर प्राधिकरण द्वारा चयनित भूमि पार्सल पर डीजीसीए नियमों द्वारा लागू डिजाइन और विशिष्टताओं के आधार पर हैलीपैड / हैलीपोर्ट को विकसित किया जायेगा। वित्तपोषण और विकास की लागत प्राधिकरण द्वारा वहन की जायेगी। आवेदक/भू-स्वामी को प्रतिवर्ष 100 रूपये प्रति वर्ग मी किराया भुगतान किया जायेगा एवं इसके अतिरिक्त, चयनित आवेदक/भू-स्वामी को निर्मित हैलीपैड / हैलीपोर्ट के संचालन एवं प्रबंधन से प्राप्त होने वाले राजस्व का 50 प्रतिशत भुगतान किया जायेगा।
दूसरे विकल्प के तहत चयनित आवेदक/भू-स्वामी द्वारा लागत में किसी भी वृद्धि सहित हेलीपैड / हेलीपोर्ट के वित्तपोषण और विकास की पूरी लागत का वहन किया जाएगा। हैलीपैड के लिए लगभग 10 से 20 लाख तथा हैलीपोर्ट के लिए लगभग 2 से 3 करोड़ की पूंजीगत आवश्यकता रहेगी। हैलीपैड / हैलीपोर्ट के विकास, संचालन एवं प्रबंधन (O&M) हेतु सभी प्रासंगिक अनुमोदन (डी०जी०सी०ए० लाईसेंस/संचालन अनुमति सहित) प्राप्त करने की जिम्मेदारी आवेदकों/भू-स्वामियों की होगी। प्राधिकरण प्रासंगिक अनुमोदन (डी०जी०सी०ए० लाईसेंस / संचालन अनुमति सहित) प्राप्त किये जाने हेतु सहायता करेगा। चयनित आवेदक/भू-स्वामी द्वारा भूमि पार्सल को, प्राधिकरण द्वारा उपलब्ध कराये गये डिजाइन और विशिष्टताओं के अनुरूप, हैलीपैड / हैलीपोर्टस के रूप में विकसित किया जायेगा। डी०जी०सी०ए० लाईसेंस/अनुमोदन की वैधता की अवधि के दौरान, आवेदक/भू-स्वामी हैलीपैड / हैलीपोर्ट उपयोगकर्ताओं से सभी राजस्व एकत्र करेंगे। वाणिज्यिक संचालन तिथि से न्यूनतम 10 साल तक, प्राधिकरण सम्बन्धित हैलीपैड/हैलीपोर्ट के लिए, पात्र पूंजीगत सम्पत्ति (Eligible Capital Assets) के विकास पर होने वाले वास्तविक पूंजी व्यय या यूकाडा द्वारा उपलब्ध कराये गये पूंजीगत व्यय (CAPEX) का आंकलन, इनमें से जो भी कम हो के 50 प्रतिशत के बराबर पूंजीगत सब्सिडी प्रदान करेगा। पूंजीगत सब्सिडी का भुगतान दो बराबर किश्तों में किया जायेगा।
दोनों ही विकल्पों पर आवेदक/भू-स्वामी हेतु प्रस्तावित नीति में निर्धारित सभी मानकों/शर्तों तथा हैलीपैड हेतु न्यूनतम 1000 वर्ग मी० समतल भूमि क्षेत्र (30X30 मी०) एवं मू-क्षेत्र तथा हैलीपोर्ट हेतु न्यूनतम 4,000 वर्ग मीटर समतल भूमि क्षेत्र (प्रत्येक तरफ लगभग 50 मीटर) या जैसा प्राधिकरण द्वारा निर्दिष्ट की जायें, को पूरा किया जाना होगा।
11-विभाग का नाम – राजस्व विभाग (अनुभाग-2)
गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, गढ़वाल इकाई श्रीनगर को ग्राम गुगली, पट्टी चौरास, तह० कीर्तिनगर, जनपद टिहरी गढ़वाल में सःशुल्क आवंटित भूमि के नजराने में छूट प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में।
जी०बी० पन्त राष्ट्रीय हिमालयी संस्थान एवं इसके क्षेत्रीय केन्द्रों द्वारा विभिन्न अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों के माध्यम से उत्तराखण्ड राज्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा रहा है। उक्त संस्थान द्वारा राज्य में विभिन्न पर्यावरण योजनाओं और जैव विविधता संबंधी कार्यों यथा कृषि, मृदा संरक्षण, बागवानी, वाटरशेड प्रबंधन आदि के संबंध में प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। उत्तराखण्ड राज्य के परिप्रेक्ष्य में उक्त संस्थान के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, गढ़वाल इकाई श्रीनगर को शासनादेश दिनांक 14.06.2023 द्वारा ग्राम गुगली, तहसील कीर्तिनगर अन्तर्गत सःशुल्क आवंटित भूमि के नजराने की धनराशि में छूट प्रदान किये जाने हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा रहा है।
12-उत्तराखण्ड सूचना प्रौद्योगिकी (परिवहन विभाग में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड दाखिल, सृजित एवं जारी करने का यूजर चार्ज) (संशोधन) नियमावली, 2023 के सम्बन्ध में।
राज्य एवं विभाग हित के दृष्टिगत् इलेक्ट्रानिक रिकार्ड्स दाखिल, सृजित एवं जारी करने के लिये प्रति संव्यवहार यूजर चार्ज की धनराशि व अन्य कतिपय नियमों में संशोधन किये जाने के उद्देश्य से मूल नियमावली, 2011 के नियम-2, 3, 5, एवं 7 में संशोधन के तहत ‘आटोमेटिड ड्राईविंग टेस्ट ट्रैक’ दुपहिया वाहन अथवा हल्के मोटरयान का वाहन चालन परीक्षण सुगमता से किया जाना, चालक लाईसेन्स प्राप्त करने हेतु आने वाले आवेदकों से यूजर चार्ज के अतिरिक्त वाहन चालन परीक्षा हेतु पृथक से रू0 100.00 यूजर चार्ज दिया जाना, ‘राष्ट्रीयकृत बैंक’ शब्दों के स्थान पर ‘अधिसूचित बैंक’, ‘चैक पोस्ट पर’ शब्दों के स्थान पर ‘सचल प्रर्वतन दल के कार्यालय में’ एवं आटोमेटिड ड्राईविंग टेस्ट ट्रैक हेतु सेन्सर, मोबाईल फोन, सीसीटीवी, साफ्टवेयर तथा अन्य आवश्यक उपकरणों का क्रय एवं अनुरक्षण जोड़ा जाना प्रस्तावित है। उक्त प्रस्ताव पर मा० मंत्रिमण्डल द्वारा सहमति प्रदान की गयी है।
13-महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग।
‘नन्दा देवी कन्याधन योजना-हमारी कन्या हमारा अभिमान’ योजनान्तर्गत वंचित लाभार्थियों को लाभान्वित किये जाने के संबंध में।
‘नन्दा देवी कन्याधन योजना-हमारी कन्या हमारा अभिमान’ योजनान्तर्गत शासनादेश में उल्लिखित प्राविधानानुसार वर्ष 2009 से वर्ष 2016-17 तक आवेदित लाभार्थियों में से लाभ प्राप्त करने से छूटे / वंचित जनपदवार कुल 35088 लाभार्थियों को रू0 15,000/- की दर से कुल धनराशि रू0 52,63,20,000/- प्रदान की जानी है।
14-औद्योगिक विकास (खनन) विभाग।
भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के संरचनात्मक ढांचे के पुर्नगठन के सम्बन्ध मैं।
विभागीय आवश्यकताओं की पूर्ति एवं राजस्व वृद्धि को बढ़ाये जाने के निमित्त मानव संशाधनों की पर्याप्त उपलब्धता हेतु भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के पूर्व से सृजित 19 अनुपयोगी पदों को समाप्त करते हुए विभागीय ढांचे को पुर्नगठित कर 62 अतिरिक्त पद सृजित किये जाने के सम्बन्ध में।