उत्तराखंड

प्रैक्टिस से पहले आयुष डॉक्टरों को देना होगा कड़ा इम्तिहान

5 Jan 2024 3:06 AM GMT
प्रैक्टिस से पहले आयुष डॉक्टरों को देना होगा कड़ा इम्तिहान
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नैनीताल: आयुष डॉक्टरों को प्रैक्टिस से पहले देश-प्रदेश स्तर पर पंजीकरण-लाइसेंस के लिए नेशनल एग्जिट टेस्ट देना होगा. यह टेस्ट हर साल फरवरी और अगस्त में होगा. यह व्यवस्था 20 से लागू होगी. इसके साथ ही, आयुष कॉलेजों में शिक्षण के लिए नेशनल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट देना अनिवार्य होगा. यह परीक्षा हर वर्ष राष्ट्रीय स्तर …

नैनीताल: आयुष डॉक्टरों को प्रैक्टिस से पहले देश-प्रदेश स्तर पर पंजीकरण-लाइसेंस के लिए नेशनल एग्जिट टेस्ट देना होगा. यह टेस्ट हर साल फरवरी और अगस्त में होगा. यह व्यवस्था 20 से लागू होगी.
इसके साथ ही, आयुष कॉलेजों में शिक्षण के लिए नेशनल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट देना अनिवार्य होगा. यह परीक्षा हर वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर मई में आयोजित की जाएगी. यह व्यवस्था 20 से लागू कर दी जाएगी. आयुर्वेद विवि हर्रावाला के परिसर निदेशक प्रो. राधाबल्लभ सती के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. आयुष ग्रेजुएट एवं डिग्रीधारकों को एग्जिट टेस्ट और शिक्षक के लिए पीजी डिग्रीधारकों को नेशनल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट में 50 प्रतिशत न्यूनतम अंक लाने जरूरी होंगे.
अप्रैल तक यूजी इंटर्नशिप करनी होगी डॉ. नवीन जोशी के मुताबिक आयुष कॉलेजों में यूजी इंटर्नशिप हर साल अप्रैल से पहले करानी होगी. एआईएपीजीईटी हर साल अप्रैल में आयोजित होगा. दसवीं के बाद भी प्री-आयुर्वेद नीट एग्जाम दिया जा सकता है. लेकिन, प्रवेश 12वीं के बाद ही मिलेगा.
अच्छे डॉक्टर और शिक्षक मिलेंगे

आयुर्वेद विवि के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजीव कुरेले, वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक नवीन जोशी के अनुसार, यह अच्छा फैसला है. इससे आयुष कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार होगा. पंजीकरण एवं लाइसेंस के लिए परीक्षा होने से अच्छे डॉक्टर मिल सकेंगे और फर्जी पंजीकरण पर रोक लग सकेगी.

टेस्ट दस वर्ष के लिए मान्य
नेशनल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट उत्तीर्ण करने के बाद यह 10 साल तक के लिए मान्य होगा. इसके बाद दोबारा यह टेस्ट देना होगा. राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग की ओर से इसका प्रमाण पत्र दिया जाएगा. देशभर के 500 आयुष कॉलेजों में लाखों शिक्षकों के लिए यह व्यवस्था लागू होगी. अकेले उत्तराखंड में करीब सात हजार आयुष डॉक्टर हैं.

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