सीमांत गांवों में पलायन से सीमाएं हुईं कमजोर: लाखीराम जोशी
ऋषिकेश: उत्तराखंड पूर्व विधायक संगठन के अध्यक्ष पूर्व मंत्री लाखीराम जोशी ने कहा कि उत्तराखंड की सीमा से लगे लगभग तीन हजार गांव लोगों के पलायन के कारण खाली हो गए हैं, ये गांव चीन तथा नेपाल की सीमा से लगे हुए हैं. सीमा से लगे गांव खाली होने से देश की सीमा कमजोर हुई है. यह काफी गंभीर मामला है. सरकार को इस पर गंभीरता से विचार कर प्रभावी कदम उठाने चाहिए.
संगठन के संरक्षक चौधरी यशवीर सिंह ने कहा कि इस संगठन में सभी दलों के पूर्व विधायक जुड़े हुए हैं. सभी को राज्य के विकास के लिए राजनीति से ऊपर उठकर सहयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इकबालपुर शुगर मिल में कई वर्षों से गन्ना किसानों का लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपया अटका हुआ है. संगठन के पूर्व विधायकों को आगे आकर किसानों को उनका भुगतान कराने के लिए मुख्यमंत्री से मिलना चाहिए. किसी भी क्षेत्र में अगर विकास कार्य नहीं हो रहे हैं तो संगठन के सभी सदस्यों को मुख्यमंत्री से मिलकर काम कराने चाहिए.
पूर्व विधायक देशराज कर्णवाल ने कहा कि संगठन के सदस्यों को मुख्यमंत्री तथा विधानसभा अध्यक्ष के सामने अपनी समस्याएं रखनी चाहिए. उत्तराखंड के किसानों की अधिकांश जमीन फैक्ट्री, रेलवे लाइन तथा सड़कें बनाने में चली गई हैं. ऐसे में सरकारी तथा गैर सरकारी नौकरियों में राज्य के युवाओं को 70 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए. पूर्व विधायक हरिदास ने कहा कि जन सेवा से जुड़ा कोई भी काम हो, संगठन के लोगों को करवाने के लिए तत्पर रहना चाहिए.
झबरेड़ा के मौजूदा कांग्रेस विधायक वीरेंद्र जाति ने कहा कि पूर्व विधायक संगठन की बात वह पुरजोर ढंग से विधानसभा में रखेंगे. कार्यक्रम की अध्यक्षता अध्यक्ष लाखीराम जोशी ने तथा संचालन पूर्व विधायक भीमलाल ने किया. इस दौरान पूर्व राज्य मंत्री डॉ गौरव चौधरी, पूर्व विधायक केदार सिंह, शूरवीर सिंह सजवाण, ज्ञानचंद, राजेश कुमार, हीरा सिंह बिष्ट, सुरेश आर्य, दिवाकर भट्ट, पूर्व सांसद राजेंद्र बॉडी, पूर्व विधायक ललित कुमार, सुरेश राठौर, निरुपमा गौड़, रामयश सिंह, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, तस्लीम अहमद, नारायण पाल, पूर्व सांसद ईसम सिंह शामिल रहे.
राज्य आंदोलनकारियों की हो रही अनदेखी पूर्व विधायक काशी सिंह ऐरी ने कहा कि जिस वजह से उत्तराखंड राज्य का निर्माण कराया गया था, उस हिसाब से राज्य का विकास नहीं हो पाया. राज्य आंदोलनकारियों की सरकार में कोई सुनवाई नहीं हो रही है. मुख्यमंत्री आंदोलनकारियों से मिलने तक का समय नहीं देते हैं.