उत्तर प्रदेश

लोकसभा क्षेत्र कुर्मियों के गढ़ में बाहुबलियों में होगा संग्राम

20 Dec 2023 3:53 AM GMT
लोकसभा क्षेत्र कुर्मियों के गढ़ में बाहुबलियों में होगा संग्राम
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मिर्जापुर। मिर्जापुर आगामी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर जहां पक्ष और विपक्ष की गोलबंदी तेज हो रही है। मिर्जापुर संसदीय सीट को लेकर राजनीतिक दलों में सरगर्मी तेज हो गई हैं। एक तरफ़ जहां भाजपा में बैठकों का दौर जारी है तो वहीं इण्डिया गठबंधन के घटक समाजवादी पार्टी भी मिशन 2024 को लेकर जोर-शोर …

मिर्जापुर। मिर्जापुर आगामी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर जहां पक्ष और विपक्ष की गोलबंदी तेज हो रही है। मिर्जापुर संसदीय सीट को लेकर राजनीतिक दलों में सरगर्मी तेज हो गई हैं। एक तरफ़ जहां भाजपा में बैठकों का दौर जारी है तो वहीं इण्डिया गठबंधन के घटक समाजवादी पार्टी भी मिशन 2024 को लेकर जोर-शोर से जुट गई है। यह वही लोकसभा क्षेत्र है जहां पर दस्यु सुंदरी बाहुबली डकैत स्व. फूलन देवी समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव जीती थी।मिर्जापुर जिले में लोकसभा का चुनाव काफी अहम होने वाला है। एक तरफ जहां अनुप्रिया पटेल कुर्मियों की नेता हैं, तो सपा उनके टक्कर में डकैत ददुआ के भाई बाल कुमार पटेल को चुनावी मैदान में उतार सकती है।

मिर्जापुर की सीट को कहा जाता है कुर्मियों का गढ़

साल 2009 के चुनाव के पहले मिर्जापुर भदोही संसदीय क्षेत्र हुआ करता था, लेकिन परिसीमन के बाद मिर्जापुर संसदीय सीट की संरचना की गई, जिसके चलते राजनीतिक दलों के समीकरण डगमग हो गए और नए समीकरण के तहत चुनाव मैदान में राजनीतिक दल के उम्मीदवार को उतारा गया। लोकसभा सीट पर पहली बार इस चुनाव में भाजपा के कद्दावर नेता ओम प्रकाश सिंह ने अपने बेटे अनुराग सिंह को चुनाव मैदान में उतार दिया। तब मुलायम सिंह ने तुरुप का इक्का फेंकते हुए समाजवादी पार्टी ने कुर्मी मतों को साधने के लिए बाल कुमार पटेल को मैदान में उतारकर सीधे चुनौती पेश कर दी। इसका नतीजा यह रहा कि इस कुर्मी बाहुल्य इलाके में सजातीय उम्मीदवार भाजपा के उतारने के बावजूद भी बाल कुमार पटेल ने करारी शिकस्त दिया बल्कि भाजपा को तीसरे नंबर पर ढकेल दिया।

कभी होता था छत्तीस का आंकड़ा

राजनीति में केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और कुर्मियों के नेता ओम प्रकाश सिंह छत्तीस का रिश्ता रहा है। ओम प्रकाश सिंह की जब बीजेपी में चली तो राजनाथ सिंह के बेटे पंकज का टिकट कटवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया था। उस समय भाजपा में मुरली मनोहर जोशी से ओम प्रकाश सिंह की निकटता जगजाहिर थी। बेटे के टिकट से नाखुश राजनाथ सिंह भी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ओम प्रकाश सिंह को भाजपा से साइडलाइन करने में जुट गए। साल 2014 के चुनाव में ओम प्रकाश सिंह के बेटे अनुराग सिंह की प्रबल दावेदारी थी लेकिन राजनाथ सिंह ने ऐसी चाल चली कि ओम प्रकाश सिंह अपने बेटे अनुराग सिंह को टिकट दिलाने में नाकाम रहे। गौरतलब बात यह है कि मिर्जापुर संसदीय क्षेत्र में पटेल मतों से मात्र 23 हजार वोट ब्राह्मण कम है जबकि चौथे स्थान पर ओबीसी में बिन्द निषाद है जिनकी संख्या पटेल से एक लाख पच्चीस हजार कम है दलित भी पटेल मतों से अट्ठानबे हजार कम है उधर इण्डिया गठबंधन की सहयोगी पार्टी त्रिणमूल कांग्रेस भी कांग्रेस एवं समाजवादी पार्टी से एक सीट मिर्जापुर अथवा चन्दौली अपने पार्टी के कद्दावर नेता मड़िहान के पूर्व विधायक ललितेशपति त्रिपाठी के लिए पेशकश किया है राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि श्री त्रिपाठी के लिए मिर्जापुर सीट वेहतर रहेगा क्योंकि वह दो बार मिर्जापुर में लोकसभा चुनाव कांग्रेस टिकट पर सफर कर चुके हैं और संतोष जनक पराजय झेल चुके हैं इसलिए वह मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र से ही चुनाव लडना चाहते हैं अब देखना यह है कि यूपी में इण्डिया गठबंधन टी एम सी के लिए सीट देती है या श्री त्रिपाठी को समाजवादी पार्टी के सिम्बल पर चुनाव लडने को मजबूर होना पड़ सकता है। हालांकि मिर्जापुर संसदीय क्षेत्र से मौजूदा परिस्थितियों में पूर्व विधायक ललितेशपति त्रिपाठी एवं पूर्व सांसद बाल कुमार पटेल ही ससक्त दावेदार हैं लेकिन पूर्व सांसद श्री पटेल जेल में बंद होने के नाते उनकी दावेदारी कमजोर प्रतीत होती है इसलिए ललितेशपति त्रिपाठी की सम्भावनाये मजबूत है।

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