उत्तर प्रदेश

औद्योगिक भूखंडों के आवंटन की नई नीति पर लग मुुुहर

Nilmani Pal
3 Nov 2023 5:43 AM GMT
औद्योगिक भूखंडों के आवंटन की नई नीति पर लग मुुुहर
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नोएडा। नोएडा प्राधिकरण की 212वीं बोर्ड बैठक में औद्योगिक भूखंडों के आवंटन की नई नीति पर मुुुहर लग गई। साथ ही किसान मुद्दों समेत अन्य 15 प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई। साथ ही भवन मालिको को ओटीएस का भी तोहफा दिया गया।

ये बैठक अवस्थापन एंव औद्योगिक विकास आयुक्त व नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई है। इसमें अनिल कुमार सागर प्रमुख सचिव अवस्थापन एवं औद्योगिक विकास ऑनलाइन जुड़े। इसके अलावा नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम, यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण के सीईओ अरुण वीर सिंह, के अलावा एसीईओ मौजूद रहे।

प्राधिकरण की 211वीं बोर्ड में औद्योगिक भूखंडों के आवंटन के लिए आब्जैक्टिव क्राइटेरिया तय किया गया था। इसमें कुछ संशोधन के साथ 212वीं बोर्ड में प्रस्तुत किया गया। इसमें उप्र निवेश एंव “रोजगार प्रोत्साहन नीति 2022” में सनराइज सेक्टर और फोकस सेक्टर से संबंधित परियोजनाओं को वरयिता देने का निर्णय लिया गया।

बैठक में औद्योगिक भूखंडों के आवंटन की नई नीति पर भी मुहर लगी है। नीति के नए नियम और शर्तों के माध्यम से अगले सात दिनों में औद्योगिक प्लांट की स्कीम निकलेगी। 2019 से किसान मांग कर रहे थे कि उनको 10 प्रतिशत आबादी का भूखंड या इसके समतुल्य मुआवजा की धनराशि दी जाए। इसी को लेकर किसान धरना-प्रदर्शन कर रहे थे।

प्राधिकरण की 212वी बोर्ड बैठक में उनकी मांग को अनुमोदित करते हुए प्राधिकरण ने शासन को भेज दिया है। शासन स्तर पर तय किया जाएगा कि किसानों की ये मांग जायज़ है या नहीं। 80 क्यूसेक गंगाजल परियोजना की क्षतिग्रस्त लाइन की जांच के लिए गठित की गई समिति ने अपनी रिपोर्ट प्राधिकरण में प्रस्तुत की। इसके तहत पूर्व में डाली गई 500 एमएम, 800 एमएम और 900 एमएम व्यास की जीआरपी पाइप लाइन में जल प्रवाह के जरिए टेस्टिंग का काम किया गया। ऐसे में पाइप लाइन कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त मिली। इसकी मरम्मत के लिए 4.95 करोड़ किए जाएंगे। इन पाइपों की मरम्मत के बाद ही 35 किमी से अधिक की लाइन को क्रियाशील किया जा सकेगा। इससे नोएडा की 75 प्रतिशत आबादी को उच्च गुणवत्ता का पानी मिल सकेगा।

इसके अलावा 700 एमएम की 20 किमी पूर्व में डाल गई पाइप लाइन का परीक्षण भी जल्द किया जाएगा। ऐसे आंवटी जिनके भवनों का निरस्तीकरण भवनों के पट्‌टा प्रलेख (लीज डीड) नहीं न कराने, भवन की क़िस्त नहीं देने के कारण हुआ है। वह आंवटी ओटीएस स्कीम का लाभ ले सकते है लेकिन इससे पहले उन्हें भवन नियमावली के तहत भवनों का रिस्टोर कराना होगा। रिस्टोर शुल्क प्रचलित सेक्टर दर का 10 प्रतिशत प्रतिवर्ग मीटर है। यदि आवंटी की ओर से ओटीएस योजना का लाभ लिया जाता है तो ओटीएस योजना की नियम व शर्तों के अनुसार भवन की अतिदेय धनराशि का भुगतान करते हुए 30 दिन के अंदर भवन की लीज डीड निष्पादित कराना अनिवार्य कराना होगा। ऐसे आवंटी जिनके भवन निरस्त कर दिए गए है। निरस्तीकरण के विरोध में वह न्यायालय गए।

इस योजना में आवेदन करने से पहले उनको अपनी याचिका न्यायालय से वापस लेनी होगी। ओटीएस योजना तीन महीने तक रहेगी। ये योजना 2016-17 तक या उससे पूर्व की योजनओं में से केवल उन प्रकरणों में लागू होगी जो वर्तमान में किसी भी मद में डिफॉल्ट है। सरकारी संस्थाओं को आवंटित परिसंपत्तियां पर भी ओटीएस योजना लागू होगी।

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