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प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मामले में सुनवाई शुक्रवार को टाल दी और अगली सुनवाई के लिए पांच दिसंबर की तिथि निर्धारित की।
वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया कमेटी ने इस मस्जिद के स्थान पर मंदिर बहाल करने की मांग वाले वाद की पोषणीयता को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार आज यह मामला सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध था। जब इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई, अंजुमन इंतेजामिया कमेटी और दूसरे पक्ष की ओर से सुनवाई टालने का अनुरोध किया गया जिस पर अदालत ने अगली तिथि पांच दिसंबर निर्धारित की।
इससे पूर्व, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने 28 अगस्त, 2023 को पारित आदेश के तहत इस मामले को न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया से स्वयं के लिए यह कहते हुए स्थानांतरित कर दिया था कि रोस्टर के मुताबिक, इस मामले पर सुनवाई उनके (प्रकाश पाडिया के) न्यायिक क्षेत्र में नहीं था, उन्होंने दो वर्षों से अधिक समय तक इस पर सुनवाई की।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि एकल न्यायाधीश से इस मामले को लेकर मुख्य न्यायाधीश की अदालत में भेजने का निर्णय न्यायिक संपत्ति, न्यायिक अनुशासन और पारदर्शिता के हित में प्रशासनिक स्तर पर किया गया था।
मुख्य न्यायाधीश 22 नवंबर, 2023 को सेवानिवृत्त हो गए और उनकी सेवानिवृत्ति के बाद आज इस मामले को न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था।
अंजुमन इंतेजामिया कमेटी के वकील एसएफए नकवी के मुताबिक, इस याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद का एक समग्र सर्वेक्षण करने का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को दिए गए निर्देश को भी चुनौती दी गई है। यह निर्देश वाराणसी की एक अदालत ने आठ अप्रैल, 2021 को दिया था।