उत्तर प्रदेश

जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों की मनमानी के कारण उसका पूरा लाभ कृषकों तक नहीं पहुंचता

8 Feb 2024 12:20 AM GMT
जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों की मनमानी के कारण उसका पूरा लाभ कृषकों तक नहीं पहुंचता
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लखनऊ: केंद्र और राज्य सरकारें किसानों के हित में योजनाओं का संचालन करते हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों की मनमानी के कारण उसका पूरा लाभ कृषकों तक नहीं पहुंचता है. जिस कारण छवि सरकारों और नेताओं की बिगड़ती है. कलेक्ट्रेट के बाहर मुख्य द्वार पर धरने के दौरान प्रगतिशील किसान जनमोर्चा के पदाधिकारियों ने …

लखनऊ: केंद्र और राज्य सरकारें किसानों के हित में योजनाओं का संचालन करते हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों की मनमानी के कारण उसका पूरा लाभ कृषकों तक नहीं पहुंचता है. जिस कारण छवि सरकारों और नेताओं की बिगड़ती है. कलेक्ट्रेट के बाहर मुख्य द्वार पर धरने के दौरान प्रगतिशील किसान जनमोर्चा के पदाधिकारियों ने यह बात कही.

वक्ताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का संचालन प्राकृतिक आपदाओं से फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए किया गया, जिससे किसान को कठिन परिस्थितियों में बीमा क्लेम का सहारा मिल सके. बेहतरीन मंशा के साथ संचालित इस योजना का संपूर्ण लाभ जनपद के किसानों को नहीं दिया जा रहा है. कुदरत की मार के बाद अधिकारी और कर्मचारी बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों की नजर से नुकसान का आंकलन करने लगते है. वह निष्पक्ष नहीं रहते.

तमाम बार मौके पर जाए बिना ही रिपोर्ट लगा दी जाती है. जिसकी वजह से किसानों को मिलने वाली क्षतिपूर्ति बहुत कम रहती है. इस नजरिये से अधिकारियों व कर्मचारियों को बाहर निकलना होगा. बैंक अफसर किसानों के अभिलेखों को सही ढंग से फीड नहीं करते हैं. जिसकी वजह से किसानों का बीमा उनको नहीं मिल पाता है. इस तरह के प्रकरणों में गलती बैंकों की होने के बजाए उनके दुष्परिणाम कृषक को भोगने पड़ रहे हैं. उनकी समस्याओं को तत्काल प्रभाव से ही हल करना पड़ेगा. अन्यता की स्थिति में किसान सड़क पर उतरकर आंलन करते रहेंगे. जमीन की नापजोख, खरसा, खतौनी, नामांतरण आदि में किसानों से वसूली करना आपत्तिजनक है.कृषि विभाग की योजनाओं में गड़बड़झाला नहीं चलेगा.

क्लेम कम करने को कम दिखाते उत्पादकता
आंलन के दौरान कुछ किसानों ने यह भी कहा कि विभिन्न फसलों की उत्पादकता के आंकड़ों व जमीनी हकीकत में बड़ा फर्क है. उत्पादन अधिक होने के बावजूद उत्पादकता को जानबूझकर कम दर्शाया जाता रहा है, जिससे फसल की क्षति के बाद बीमा क्लेम देते समय बीमा कंपनियों को अधिक धनराशि नहीं जारी करनी पड़े.

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