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गाजियाबाद: नगर आयुक्त ने डंपिंग ग्राउंड के लिए जमीन उपलब्ध कराने को जिलाधिकारी और जीडीए वीसी को पत्र लिखा है. उन्होंने 40 एकड़ जमीन मांगी है.
नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने पत्र में लिखा है कि शहर से रोजाना 1400 मीट्रिक टन कूड़ा निकल रहा. डंपिंग ग्राउंड नहीं होने से वैज्ञानिक तरीके से कूड़ा निस्तारण में परेशानी हो रही. वर्ष 2018 में हापुड़ के गालंद गांव में 42.25 एकड़ जमीन पर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट बनाने के लिए नीदरलैंड की कंपनी से शासन का अनुबंध हुआ था, लेकिन विरोध के कारण काम शुरू नहीं हो सका. वहीं, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में मामला उच्चतम न्यायालय और चार वाद एनजीटी में हैं. वर्तमान में मेसर्स जिरोन फर्म पाइप लाइन रोड पर कूड़ा निस्तारण कर रही है, लेकिन पर्याप्त भूमि उपलब्ध न होने से उक्त स्थल पर भी कूड़ा निस्तारण में परेशानी हो रही. इन्दिरापुरम जीडीए के नियंत्रण में है, उसका कूड़ा निस्तारण निगम को करना पड़ रहा. जीडीए ने मास्टर प्लान में भी ठोस अपशिष्ट प्रबंधक और निस्तारण के लिए भूमि का प्रावधान नहीं किया. ऐसे में पर्याप्त भूमि उपलब्ध कराने में जीडीए का सहयोग जरूरी है.
जलभराव होने से दिक्कत बरकरार: अर्थला में गंदे पानी की निकासी को लेकर चल रहा धरना भले ही खत्म हो गया है, लेकिन सड़क पर जलभराव से दिक्कत बरकरार है. इससे आवागमन प्रभावित हो रहा.
से क्षेत्र में निगम ने पानी निकालने की शुरुआत तो की, लेकिन पानी नाले में डालने के बजाय जीटी रोड पर छोड़ा जा रहा. इससे जाम की स्थिति बनी रहती है. रोजाना – वाहन चालक हादसे का शिकार हो रहे. लोगों का कहना है कि क्षेत्र में गंदगी से बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. मोहन नगर के जोनल प्रभारी आरपी सिंह का कहना है कि पानी पहले जीटी रोड पर निकाला जा रहा है और इसके बाद नाले में डलवाया जा रहा है.