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वर्ल्ड न्यूज़ : आखिर कजाकिस्तान में क्यों हो रहा है इतना बवाल, क्यों थम नही रहा विरोध

Admin Delhi 1
7 Jan 2022 11:58 AM GMT
वर्ल्ड न्यूज़ : आखिर कजाकिस्तान में क्यों हो रहा है इतना बवाल, क्यों थम नही रहा विरोध
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कजाकिस्तान (Kazakhstan) में अचानक अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है. लोगों का विरोध प्रदर्शन बढ़ता गया जिससे एक समय वहां सरकार गिरने की स्थिति बन गई थी. पुलिस और लोगों के बीच की झड़प में दर्जनों की मौत हो गई है. इसमें सुरक्षाकर्मियों सहित सरकारी इमारतों पर हमला करने वाले लोग, दोनों शामिल हैं. राष्ट्रपति कासिम जोमार्त तोकायेव (Kassym-Jomart Tokayev) हालात को काबू करने की कोशश में लगे हैं. लेकिन यह बात कई लोगों को हैरान कर रही है कि तेल का उत्पादन और निर्यात करने वाले देश (Oil producing Nation) में आखिर पेट्रोल डीजल की कीमतों को लेकर इतनी हायतौबा कैसे हो गई.


तेल कीमतों में वृद्धि का विरोध

इस साल के शुरू में ही कार ईंधन की कीमतों में वृद्धि ने विरोध प्रदर्शन की शुरुआत की. पश्चिम के तेल उत्पादन वाले शहर से हुआ विरोध कई शहरों में फैल गया, जहां हजारों लोग सड़कों पर विरोधप्रदर्शन के लिए उतर आए. राष्ट्रपति कासिम जोमार्त तोकायेव सक्रिय हुए कीमतों को कम किया, बुधवार को सरकार को बर्खास्त किया.

पड़ोसियों के लिए भी चिंता

इसके बाद उनके रवैये में भी बदलाव दिखा. पहले उन्होंने प्रदर्शनकारियों को आतंकी कहा, उसके बाद उन्होंने सहयोगी देश रूस से, कलेक्टव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गोनाइजेशन (CSTO) के तहत सैन्य सहायता मांगी. रूस की शांति सेना भी कजाकिस्तान पहुंच चुकी है. इस अस्थिरता से केवल सहयोगी और पड़ोसी देश रूस ही नहीं चीन भी चिंतित है, जो कजाकिस्तान से तेल खरीदता है



कजाकिस्तान के हालात

कजाकिस्तान सोवियत संघ के बिखराव के बाद बने पांच मध्य एशियाई देशों में से एक है. यह इन देशों में सबसे समृद्धशाली और बड़ा देश है. यहां तेल, प्राकृतिक गैस, यूरेनियम और कीमती धातुओं के भंडार हैं. इस देश में मजबूत मध्यवर्ग होने के अलावा बहुत अमीर लोगों का समूह भी बना. औसत मासिक राष्ट्रीय वेतन 600 डॉलर से भी कम है. बैंकिंग क्षेत्र गैर निष्पदन कर्जों की वजह से गहरे संकट में है. भ्रष्टाचार चरम पर है.

पहले भी होता रहा है विरोध प्रदर्शन

वर्तमान संकट की शुरुआत पश्चिम में तेल उत्पादन वाले झाना जेन शहर से हुई. लंबे समय से लोगों में इस बात का गुस्सा पनप रहा था कि इलाके के अमीर लोग स्थानीय लोगों में ईंधन का लाभ समान रूप से बंटने नहीं दे रहे थे. इससे पहले साल 2011 में भी लोगों के विरोध प्रदर्शन में पुलिस की गोलियों से 15 लोग मारे गए थे. उस समय हड़ताल कर रहे तेल मजदूरों को बर्खास्त करने के विरोध में प्रदर्शन हो रहा था.

आवाज दबाना सामान्य बात

बीते शनिवार को जब एलपीजी के दामों में 15 दिन में दो गुनी वृद्धि हो गई, लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और पूरे देश में विरोध होने लगा. कजाकिस्तान में ऐसे विरोधों की आवाज दबाना लंबे समय से सामान्य बात हो गई है. इस आंदोलन में किसी तरह का नेतृत्व सामने नहीं दिखा है.

पूर्व और वर्तमान राष्ट्रपति

तीन साल पहले तक कजाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबेयेव के हाथ में सत्ता थी, लेकिन 2019 में उन्होंने सत्ता छोड़ी लेकिन देश की सुरक्षा परिषद के प्रमुख बने रहे जो सैन्य और सुरक्षा बलों का काम देखती है. नजरबेयेव का प्रभाव भी कायम ही रहा. ताजा विरोध प्रदर्शन नजरबेयेव के खिलाफ ज्यादा था जबकि वर्तमान राष्ट्रपति तोकायेव ने संकट पर कहा था कि वे नजरबेयेव को सुरक्षा परिषद से हटा रहे हैं.

सड़कों पर प्रदर्शन में भी नजरबेयेव के खिलाफ गुस्सा ज्यादा रहा. सड़कों पर 'शाल केट' के नारे ज्यादा सुनाई दिए जिसका मतलब 'बूढ़े आदमी जाओ' होता है. बढ़ती भीड़ को देखते हुए तोकायेव को रूस से मदद लेने पर मजबूर कर दिया. अपने मदद के बचाव में उन्होंने कहा कि विरोध में अंतरराष्ट्रीय आतंकी समूह सक्रिय हैं. उम्मीद कम ही है कि तोकायेव के बदलाव किए बिना ही सरकार गिर ही जाए. प्रदर्शनकारियों में भी नेतृत्व का अभाव एक समस्या ही है.



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