दिल्ली के अलीपुर अग्निकांड में किसी ने बेटा खोया तो किसी ने बाप
दिल्ली: दिल्ली के अलीपुर इलाके में रिहायशी इलाके में बनी पेंट बनाने की फैक्टरी में वीरवार शाम भीषण आग लग गई। आग इतनी भीषण थी कि फैक्टरी से सटे घरों की दीवारें भी जल गई। हादसे में जहां लाखों का सामान जल गया। वहीं आग की चपेट में करीब 11 फैक्ट्री कर्मचारियों की मौत हो गई। जबकि 22 गाडिय़ां और पांच दुकानें भी चपेट में आ गई।
इस अग्निकांड के शिकार लोगों के परिजन अपनों की तलाश में रात भर धक्के खाते रहे। ऐसे ही एक पीड़ित ने बताया - साहब सामने धुंआ जहां से निकल रहा है वही फैक्ट्री में हमारा बेटा किसी का बाप तो किसी की बेटी काम करती थी। काफी कर्मचारी पास में ही रहने के कारण घर लांच करके फैक्ट्री दोबारा काम करने गए थे। लेकिन नही पता था कि वो अब वापिस नही आने वाले हैं। फैक्ट्री सबको निगल लेगी।
अगर पता होता तो शायद जिनका अभी तक पता नही चल पा रहा है। वो बच जाते। जो फैक्ट्री में कमाने गए थे। व्व परिवार का आर्थिक सहारा ही बने हुए थे। हम फ़ैक्टरी के पास हैं और बाकी परिवार वाले भूखे प्यासे अस्पतालों में चक्कर लगा रहे हैं। मोर्चरी में जो शव रखे हुए हैं व्व बुरी तरह से जले हुए हैं। काले पड़े हुए हैं। उनको पहचान पाना नामुमकिन है। कई शव तो शायद पूरे भी नही हैं। किसी का हाथ लटका हुआ था तो किसी का पैर। फैक्ट्री में 20 से 21 कर्मचारी काम करते थे। उनको कोई भी कर्मचारी नही दिखाई दिया। बाकी कर्मचारी किधर गए। कोई अधिकारी भी बताने को राजी नही है।
सिलेंडर फटने की आवाज सुनाई दी लोगों को
स्थानीय लोगों ने बताया कि फैक्टरी में आग लगने के बाद सिलेंडर फटने की कई आवाजें सुनाई दी थी। जिसके बाद दहशत का माहौल बन गया था। फैक्टरी में पेंट बनाने का काम होने के कारण वहां पर काफी ज्यादा ज्वलनशील पदार्थ रखा हुआ था। जिससे आग काफी तेजी से फैली थी। आग लगने के कारण लोगों ने अपने घरों को भी छोड़ दिया था। उनको बाद में डर था कि आग की चपेट में अगर उनका घर आ जाता है तो जिंदगी की जमा पूंजी जल जाएगी।
रात भर अस्पतालों के चक्कर काटते रहे परिवार वाले
हादसे के बाद से फैक्ट्री में काम करने वाले लोगो के परिवार अस्पतालों के चक्कर काटते रहे। उनको जिसने भी जिस अस्पताल में होने की जानकारी दी। वो वहीं पर जाकर अपने को तलाशने लगा। परिवार वालो का आरोप है कि हम तो वैसे ही होश खो बैठे थे और अपने को तलाश कर रहे थे। अस्पताल वाले डॉक्टर और सिक्योरिटी गार्ड हमको डांट रहे थे। हमको वहाँ से भगा रहे थे।
22 कारें व कई दुकानें आई चपेट में
स्थानीय लोगों ने बताया कि आग लगने के बाद फैक्टरी के आसपास खड़ी पांच दुकानों और करीब 22 कारें आग की चपेट में आ गई। जिनसे आग लगने पर और ज्यादा दहशत का माहौल बन गया था। दुकान और कार मालिकों का कहना है कि रिहायशी इलाके में फैक्टरी के आग लगने से कौन हमारा नुकसान भरेगा।
धमाके में चिल्लाने की आवाजें दब गई थी- पड़ोसी
फैक्ट्री के पास रहने वाले लोगो ने बताया कि फैक्ट्री से चिल्लाने की यो आवाज सुनी थी। कुछ समझ पाते धमाका हुआ। आग का गोला सा निकला। उसके बाद चिल्लाने की आवाजें भी उसी धमाके में दबकर रह गई थी। फैक्ट्री से बस आग और आसमान में धुँआ ही दिखाई दे रहा था। गली में भगदड़ मची हुई थी। आग फ़ैक्टरी के गेट से बाहर की तरफ आ रही थी। देखते देखते फैक्ट्री के बाहर खड़े वाहन भी उसकी चपेट में आ गए थे। दुकानों में भी आग लग गई थी। जिसमे लाखों का सामान रखा हुआ था।
नंद का फ़ोन बंद है हादसे के बाद से ही- सीमा
दयाल मार्किट इलाके में ही किराए के मकान पर रहने वाली सीमा ने बताया कि उसकी नंद मीरा भी इस फैक्ट्री में कुछ महीने से काम करती है। सुबह नंद फैक्ट्री गई थी। हादसे के वक़्त वो फैक्ट्री में ही थी। हमको जब हादसे की जानकारी मिली तभी से उसको फ़ोन मिलाकर सम्पर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। उसका फ़ोन स्विच ऑफ है। पुलिस वालों से भी जब पूछा कि तीन शव किसके हैं। उन्होंने कोई जवाब नही दिया था। घंटों हो गए हैं नंद के बारे में कोई जानकारी नही दे रहा है। फैक्ट्री में काम करने वालो से भी सम्पर्क नही हो पा रहा है। भगवान करे वो सही हो और जल्दी से मिल जाये।
- इलाके में ही रहने वाले सुनील ठाकुर ने बताया कि उसका भाई अनिल ठाकुर भी इसी फैक्ट्री में काफी समय से काम कर रहा था। सुबह वो घर से फैक्ट्री आया था। जब हमको फैक्ट्री में आग लगने की खबर मिली। वह तुरंत फ़ैक्टरी पहुँचा था। आग लगी हुई थी। कुछ समझ भी नही आ रहा था। भाई फैक्ट्री में 4 मैन की पोस्ट काम कर रहा है। पिछले 4 सालों से काम कर रहा था। कोई भाई के बारे में बताने को राजी नही है। मालिक ने फ़ोन बंद कर दिया ह। पुलिस वाले बस बोल रहे हैं कि अस्पताल चले जाओ। सभी को वही ले गए हैं। भाई अनिल के बच्चे और बीवी आई थी। बस भटक ही रहे हैं हम तो।
पिंटू गोड़ ने बताया कि हम तो इलाके में ही रहते हैं
साला कुछ समय पहले ही नोकरी करने आए था। सुबह ही घर से निकलकर फैक्ट्री आया था। उसका कुछ पता नही चल पा रहा है। फ़ोन भी नही मिल रहा है। पता नही कहाँ पर है। कोई बताने को कुछ राजी नही है। हमारी कोई कुछ सुन भी नही रह है। फैक्ट्री के पास अधिकारी होने पर वहां पर भी जाने नही दिया जा रहा है। एम्बुलेंस में जो शव जा रहे हैं उनको भी नही देखने दिया जा रहा है।
-राम सरन सिंह ने बताया कि हमारे तीन बच्चे फैक्ट्री में काम कर रहे हैं। किसी का कुछ नही पता चल रहा है। फैक्ट्री के आसपास वालो से जो बात की है उनका कहना है कि बस धमाका सुना था और उसके बाद तो फैक्ट्री आग ही देखी थी। बच्चे केसे हैं। नही पता चल रहा है। बात ही नही कर रहा है कोई हमसे।
भाई का कुछ नहीं पता चल रहा,लंच करने तो आया था वो- श्यामू
मूलरूप से घोंडा के रहने वाले श्यामू ने बताया कि वह फैक्टरी से दो गली छोडक़र ही परिवार के साथ रहता है। करीब दस दिन पहले घोंडा से छोटा भाई शुभम(20)आया था। जिसने सात आठ दिन पहले खुद ही फैक्टरी में नौकरी की बात कर ली थी। वह रोज फैक्टरी से लंच में घर पर खाना खाकर जाता था। दोपहर भी खाना खाकर फैक्टरी गया था।
शाम को परिवार वालों ने फैक्टरी में आग लगने पर उसको बताया था। जब वह तुरंत घर आया तो शुभम को फोन मिलाया था। पहले तो घंटी बज रही थी। मगर कुछ मिनट बाद ही फोन स्वीच ऑफ हो गया था। भाई का कुछ पता नहीं चल पा रहा है। शुभम ने बताया था कि फैक्टरी में 20 से 21 लडक़े काम करते हैं। सभी परिवार के लोग अस्पताल व फैक्टरी आकर अपनों के बारे में जानने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन कोई उनको कोई कुछ नहीं बता रहा है।
जनवरी फरवरी में हुए हादसे
बता दें कि बीते एक माह में दिल्ली में कई बड़े हादसे हो चुके है। 10 फरवरी को के गांधी नगर के फर्नीचर मार्केट में भीषण आग लग गई, 11 फरवरी को अलीपुर के जूता फैक्ट्री में आग लग गई थी, 29 जनवरी की देर रात वजीराबाद में पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में भीषण आग लग गई थी, 27 जनवरी को शाहदरा इलाके में आग लगने से 04 लोगों की मौत हो गई थी और 20 जनवरी को दिल्ली के पीतमपुरा इलाके में घर में आग लगने से चार महिलाओं सहित 06 लोगों की मौत हो गई थी।