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'ख़तरनाक' अस्पताल में चल रहा है मरीजों का इलाज

shri ram
31 Dec 2021 3:55 AM GMT
ख़तरनाक अस्पताल में चल रहा है मरीजों का इलाज
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श्री राम शॉ

नई दिल्ली। भाजपा शासित नॉर्थ एमसीडी के राजन बाबू अस्पताल की हालत जर्जर होने के बावजूद उसमें मरीजों का इलाज चल रहा है। अस्पताल की इमारत पर साफ लिखा है कि यह इमारत खतरनाक है। इसकी हालत को देखकर साफ अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वह किसी भी समय गिर सकती है।

'आप' विधायक आतिशी ने गुरूवार को राजन बाबू अस्पताल का निरीक्षण किया। उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता से सवाल किया कि "आपको दिल्ली के लोगों से इतनी नफरत क्यों है कि आज आपने उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया है।" उन्होंने कहा कि जिन लोगों के पास प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए पैसे नहीं होते हैं, वही लोग सरकारी अस्पताल में आते हैं। उनके पास पैसे नहीं हैं तो क्या एमसीडी उन्हें मरने के लिए छोड़ देगी?

आतिशी ने कहा कि अस्पताल की इमारत के सामने स्पष्टतौर पर एमसीडी के स्कूल द्वारा ही लिखा गया है कि यह इमारत खतरनाक है, आगे जाना मना है। इमारत जर्जर हालत में है, इसलिए उसे खतरनाक घोषित कर दिया गया है। वह किसी भी समय गिर सकती है। आजतक हम सुनते आ रहे थे कि भाजपा शासित एमसीडी में भ्रष्टाचार होता है। लेकिन आज इस अस्पताल को देखकर पता चलता है कि भाजपा को पैसे की ऐसी हवस है कि उन्होंने दिल्ली की जनता को मरने के लिए छोड़ दिया है। आज यहां जो मरीज इलाज करा रहे हैं, यदि उन्हें कुछ हो जाए तो? यह इमारत गिर जाए तो?

उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में कौन इलाज कराने आता है? आम लोग आते हैं, गरीब लोग आते हैं, जिनके पास प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होने के लिए पैसे नहीं हैं। तो क्या हम उनका यह हाल करेंगे कि उनको एक ऐसी इमारत में रख देंगे जो किसी भी समय गिर सकती है, जो इतनी जर्जर हालत में है।

भाजपा नेताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज

नॉर्थ एमसीडी के नेता प्रतिपक्ष विकास गोयल ने कहा कि जर्जर हालत के बावजूद अस्पताल में मरीजों का इलाज जारी रखने के लिए आम आदमी पार्टी ने नॉर्थ एमसीडी के भाजपा नेताओं के खिलाफ मुखर्जी नगर थाने में शिकायत दर्ज की जिसमें सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई और जर्जर इमारत को तत्काल प्रभाव से खाली कराने का अनुरोध किया गया है।

उन्होंने कहा कि अस्पताल परिसर में जगह-जगह साफ लिखा है कि यह इमारत खतरनाक है। इमारत को खतरनाक घोषित किए जाने के बावजूद इलाज जारी रखना न केवल निगम नियमों की धज्जियां उड़ाना है, बल्कि मरीजों और कर्मचारियों की जान के साथ खिलवाड़ करना भी है।

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