भारत ने भूकंप के बाद पुनर्निर्माण के लिए नेपाल को 1 हजार करोड़ की सहायता की घोषणा की
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काठमांडू। भारत ने गुरुवार को विदेश मंत्री स्तर पर नेपाल-भारत संयुक्त आयोग की सातवीं बैठक के दौरान नेपाल के पुनर्निर्माण को लिए 1,000 करोड़ रुपये (नेपाली रुपया) अनुदान की घोषणा की है। इससे पहले, हिमालयी राष्ट्र में 2015 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद, भारत ने नेपाल के पुनर्निर्माण के लिए 1 बिलियन डॉलर के …
काठमांडू। भारत ने गुरुवार को विदेश मंत्री स्तर पर नेपाल-भारत संयुक्त आयोग की सातवीं बैठक के दौरान नेपाल के पुनर्निर्माण को लिए 1,000 करोड़ रुपये (नेपाली रुपया) अनुदान की घोषणा की है। इससे पहले, हिमालयी राष्ट्र में 2015 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद, भारत ने नेपाल के पुनर्निर्माण के लिए 1 बिलियन डॉलर के अनुदान और ऋण की घोषणा की थी।
उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाको कार्यान्वयन, दीर्घकालीन ऊर्जा व्यापार, नवीकरणीय ऊर्जा विकासमा सहकार्य, मुनाल स्याटेलाइट सम्बन्धी सहमतिपत्रमा हस्ताक्षर सम्पन्न भयो । सोही अवसरमा जाजरकोटका भूकम्प पीडितका लागि पाँचौं चरणको राहत सामग्री हस्तान्तरण गरियो ।
साथै हामीले तीनवटा… https://t.co/PLWb5wdl9g
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) January 4, 2024
एक अधिकारी ने बताया कि 1,000 करोड़ रुपये की घोषित सहायता नई है। इस समझौते पर भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की काठमांडू यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए। जयशंकर गुरुवार को दो दिवसीय यात्रा पर काठमांडू (नेपाल) पहुंचे। उन्होंने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल से शिष्टाचार मुलाकात की।
अन्य तीन समझौते नेपाल में 'उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं' का कार्यान्वयन हैं, जिसके लिए भारत अपने पड़ोसी राष्ट्र में प्रत्येक छोटी परियोजना के लिए 200 मिलियन एनपीआर प्रदान करेगा। दूसरा समझौता दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक बिजली व्यापार के लिए है, जिसमें नेपाल अगले 10 वर्षों में 10,000 मेगावाट तक ऊर्जा निर्यात कर सकता है।
इसी तरह, दोनों पक्षों ने नेपाल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अकादमी द्वारा विकसित नैनो उपग्रह के लिए सेवा समझौता शुरू किया है। समझौते पर नेपाल एकेडमी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के बीच हस्ताक्षर किए गए। एक अधिकारी ने कहा कि दूसरा समझौता ज्ञापन नेपाल विद्युत प्राधिकरण और एनटीपीसी लिमिटेड, भारत के बीच नवीकरणीय ऊर्जा विकास में सहयोग के लिए था।
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