झारखंड में ओबीसी कमीशन के अध्यक्ष की नियुक्ति न होने पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में ओबीसी कमीशन (पिछड़ा जाति वर्ग आयोग) के अध्यक्ष की नियुक्ति न होने पर नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। राज्य सरकार को शपथ पत्र दायर कर बताने को कहा गया है कि कमीशन के अध्यक्ष की नियुक्ति कब तक होगी?
कोर्ट ने कहा है कि ऐसा न होने पर राज्य के कार्मिक सचिव को सशरीर हाजिर होना पड़ेगा। जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की बेंच ने राज्य में नगर निकायों के लंबित चुनाव जल्द कराने की मांग को लेकर दायर रिट याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया।
याचिका रांची नगर निगम की पूर्व पार्षद रोशनी खलखो सहित अन्य की ओर से दाखिल की गई है। इसमें बताया गया कि राज्य के सभी नगर निकायों का कार्यकाल बीते अप्रैल महीने में ही समाप्त हो गया है। नया चुनाव 27 अप्रैल, 2023 तक करा लिए जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने के पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का फैसला लिया है। ओबीसी आरक्षण के प्रतिशत का निर्धारण ओबीसी कमीशन के जरिए किया जाना है, लेकिन अब तक इस कमीशन में अध्यक्ष की नियुक्ति ही नहीं हुई है।
अप्रैल के बाद सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को सरकारी प्रशासकों के हवाले कर दिया गया है। नया चुनाव होने तक इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पूरी तरह समाप्त हो गई है।
याचिका में मांग की गई है कि जब तक नगर निकायों का चुनाव पूरा नहीं होता है तब तक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत प्रशासक की बजाय निकायों के पूर्व निर्वाचित प्रतिनिधियों को अधिकार दिया जाना चाहिए। याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में हैरानी जताई कि नगर निकाय के निर्वाचित प्रतिनिधियों का टर्म पूरा होने के बाद भी करीब छह माह बीत चुके हैं, लेकिन अब तक सरकार ने डेडीकेटेड कमीशन के चेयरमैन की नियुक्ति नहीं की है, जबकि कमीशन को ओबीसी के डाटा का अध्ययन कर उनके लिए आरक्षण पर निर्णय लिया जाना है।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि छह माह में राज्य में नगर निकायों का चुनाव करा लिया जाएगा।