भरतपुर बर्ड सेंचुरी से गुड न्यूज़ : कोरोना भी देशी-विदेशी पक्षियों को रोक नही सका
गत वर्ष राजस्थान के सांभर में हुई विदेशी पक्षियों की मौतों के बाद लग रहा था कि इस वर्ष भी यह दौर आरंभ रह सकता है परंतु इस बार ऐसा नहीं हुआ। विदेशों से आने वाले,खासकर ठंडे देशों से आने वाले पक्षियों ने फिर से यहां की धरती पर अपना डेरा डाल लिया है। सांभर के बाद भरतपुर के केवलादेव में इनकी अठखेलियां और कलरव पर्यटकों का मन मोह रही हैं।
वर्ष 2022 में अब जब सर्दी अपने पीक पर है और राजस्थान के सबसे बड़े पक्षी विहार केवलादेव नेशनल पार्क और नमक उत्पादन के लिए दुनियाभर में फेमस संभार लेक देशी-विदेशी पक्षियों के कलरव से चहक रहे हैं। यहां पर गत दो वर्षों के लॉकडाउन के बाद पर्यटकों की भी भरपूर आमद हुई है। भरतपुर का केवलादेव नेशनल पार्क जिसे घना पक्षी विहार के नाम से भी जाना जाता है,इस समय साइबेरिया से आने वाले तथा दूसरे ठंडे मुल्कों से आने वाले पक्षियों की रंगीन दुनिया से आबाद हो चुका है। 29 वर्ग किलोमीटर में फैले इस उद्यान में इस समय कम से तीन दर्जन से अधिक पक्षियों की प्रजतियां स्पष्ट नजर आ रही हैं जबकि दूसरी अन्य प्रजातियों के पक्षी भी इनके साथ अठखेलियां करते हुए अपने परिवार के साथ बच्चों के कलरव से माहौल को खुशनुमा बना रहे हैं।
केवलादेव में यूं तो लाखों की संख्या में देशी-विदेशी पक्षी आते हैं लेकिन यहां पर सर्वाधिक चाहत साइबेरियन सारस को देखने की होती है,परंतु गत कई वर्षों से यह यहां पर नहीं आए हैं। साइबेरिया से आने वाले साइबेरियन सारस सन.2000 से पहले तक ठीक-ठाक संख्या में आते रहे हैं पर उसके बाद इनका आना लगभग बंद हो गया है। इनके न आने की मुख्य वजह मंगोलिया,काबुल तथा अफगानिस्तान की सीमाओं पर इनका अवैध शिकार माना जाता है। पक्षी विशेषज्ञ यहां पर लगभग 350 प्रजतियों के पक्षियों के आने की बात मानते हैं और जो पक्षी सर्वाधिक यहां पर आते हैं उनमें पैराग्रीन,पोचार्ड, कूटस, आबाबील, पेंटेड स्टार्क,बिल स्टार्क, बुडकाक, सुखान ,कोमरेट, बटेर, हमिंग बर्ड,कामन डक, स्रेक बर्ड,पनडुब्बी,गीन पिजन,भारतीय सारस,ग्रीन हॉर्न आदि शामिल हैं। जलमुर्गी तो यहां बहुतायत में मिल जाती हैं। दरअसल यहां कौन से पक्षी कितनी संख्या में आए हैं इनकी सहीं संख्या बता पाना बहुत मश्किल है। देशी पक्षियों की तो लगभग हर प्रजाति यहां पर इन दिनों मौजूद है और आने वाले पक्षी प्रेमियों का मन मोह रही है। कुछ पक्षियों के बच्चे भी अब काफी बड़े हो चुके हैं और उनके कलरव ने यहां आने वाले पर्यटकों को अपने पास रोकने के लिए अठखेलियों दिखाना आरंभ कर दिया है। सांभर में जहां गत वर्ष बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत हुई थी वहां पर भी पक्षियों की खासकर विदेशी पक्षियों की संख्या में इस बार वृद्धि हुई है। पर दोनों में से कहीं पर भी साइबेरियन सारस नजर नहीं आ रहे हैं। हां,यह जरूर है कि सारसों की दूसरी प्रजातियों को दिखाकर उन्हें कुछ गाइड जरूर साइबेरियन सारस बताने की प्र्रयास करते हैं। केवलादेव में भारतीय पर्यटकों की आमद काफी है जबकि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के बंद होने से विदेशी मेहमान न के बराबर यहां नजर आ रहे हैं। केवलादेव के मुख्य तालाब में पानी भी कम नहीं हैं जिसके कारण पक्षियों की अठखेलियों और कलरव से पूरा पार्क चहक रहा है। पार्क भ्रमण कराने वाले गाइड स्वीकारते हैं कि यहां पर जो पक्षी आते हैं वह दूसरे पक्षी विहारों के मुकाबले अधिक होते हैं। इसके पीछे बड़ा कारण यह है कि यहां पर उन्हें उनका भोजन मछलियां और उनकी पसंदीदा घास भी काफी मात्रा में है।