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एग्जिट पोल अब एग्जिट पोल न रहा

Gulabi Jagat
29 Nov 2023 5:33 AM GMT
एग्जिट पोल अब एग्जिट पोल न रहा
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दिल्ली। देश के पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों के लिए अंतिम वोटिंग कल 30 नवंबर को तेलंगाना में होगा और कल ही शाम पांच बजे मतदान खत्म होते ही देश के सभी एग्जिट पोल सरकार बनने को लेकर अपने-अपने अनुमान न्यूज चैनलों में प्रसारित करेंगे। सभी एग्जिट पोल के नतीजों में अलग-अलग परिणाम होने की संभावना है। अधिकतर एग्जिट पोल करने वाली कंपनियों ने एग्जिट पोल करने के उपरांत पिछले 10 दिनों में हवा का रुख जनता की राय और हो चुके चुनाव पर टिप्पणी को लेकर अलग-अलग विश्लेषण के साथ एग्जिट पोल में शामिल करते हुए एग्जिट पोल बताएंगे। दरअसल मतदान के तुरंत बाद लिए गए मतदाताओं की राय के आधार पर ही एग्जिट पोल आता है जो सटिक होता है लेकिन इस मायने में सिर्फ तेलंगाना के ही अनुमान सटिक हो सकते हैं बाकी राज्यों के अनुमान को एग्जिट पोल के बजाय ओपिनियन पोल कहना ज्यादा सही होगा, क्योंकि इन राज्यों के एग्जिट पोल में अब विश्लेष्कों की राय भी शामिल होगा। एग्जिट पोल का असली मतलब तभी होता चुनाव खत्म के उपरांत मतदाताओं की राय के आधार पर एग्जिट पोल का प्रसारण होता लेकिन आचार संहिता के चलते और अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होने के कारण चुनाव आयोग ने 30 तारीख के प्रसारण की व्यवस्था की थी जिसके चलते एग्जिट पोल अब एग्जिट पोल ना हो कर विचार, सलाह, राय और अफवाहों का पोल बन ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

अधिकांश एग्जिट पोल कांग्रेस और बीजेपी और अन्य पार्टी को ऐसे आंकड़ों पर उलझा कर अपनी बात सही बतानेे का प्रयास करेंगे क्योंकि एग्जिट पोल के अनुसार अगर वह अपना प्रसारण 30 तारीख को सही और सटीक करते हैं तो जनता की राय और जनता में चल रही चर्चाओं को सम्मिलित नहीं कर सकते जिसके चलते एग्जिट पोल के दिन की बातें और चुनाव हो जाने के बाद खुलकर मतदाताओं के द्वारा कही गई बातों को मिलान नहीं किया जा सकता। अधिकांश एजेंसियां अपने अनुमान मतदाताओं के द्वारा खुलकर बोले गए बातों पर केंद्रित रखते हैं और लगभग सभी एग्जिट पोल दोनों पार्टी को करीब का और टक्कर का मुकाबला बताने से भी नहीं चुकने वाले जबकि वास्तविकता एग्जिट पोल की राय से कोसों दूर रहने की संभावना है। जानकर यह भी मानते हैं कि एग्जिट पोल दोनों पार्टी को कम से ज्यादा और ज्यादा से कम ऐसे आंकड़ों को दर्शाएंगे जो आंकड़े बाद में एग्जिट पोल की कम्पनी के लिए सुविधाजनक रहे यह बताने के लिए कि हमारा एग्जिट पोल सही था। रहा सवाल एग्जिट पोल के विश्वास पर जिसकी धरातल पर उतरने की संभावना नहीं के बराबर है क्योंकि चुनाव हो जाने के कई दिन के उपरांत एग्जिट पोल अब एग्जिट पोल मतदाताओं द्वारा कही गई बातों, राय और अफवाहों पर केन्द्रीत होगी।

पांचो राज्यों के एग्जिट पोल पर सभी कंपनियों ने ईमानदारी से काम किया होगा यह मानकर भी चला जाए तो क्या एग्जिट पोल के 2 दिन बाद या तीन दिन बाद कंपनियों के सर्वे करने वाले कर्मचारियों पर जनता के द्वारा कही बात और जनता के द्वारा बताए अपने मताधिकार के बारे में पूरा विवरण कैसे कंपनियां या सर्वे करने वाले अपने सर्वे में शामिल नहीं करेंगे यह भी एक सोच का विषय है यह मानकर चलना चाहिए की सभी एग्जिट पोल करने वाले इस बात का भी ध्यान रखेंगे कि वह अलग-अलग कैटेगरी के अनुसार भी सर्व दे सकते हैं। एग्जिट पोल करने वाली सभी कंपनियों ने अपने एग्जिट पोल को तीन भागों में बताकर एग्जिट पोल किया गया है यह दर्शकों को बताना होगा। राजनीतिक जानकारी यह भी मान रहे हैं कि अब एग्जिट पोल सभी पार्टियों की उत्सुकता बड़ा रहा है सभी पार्टियों को 30 तारीख की शाम का इंतजार बेसब्री से है। अब देखना यह है कि एग्जिट पोल में बताए जाने वाले आंकड़े कितने सटिक होते हैं।

पहले जान लीजिए ये एग्जिट पोल है क्या?

दरअसल एग्जिट पोल एक तरह का चुनावी सर्वे होता है। मतदान वाले दिन जब मतदाता वोट देकर पोलिंग बूथ से बाहर निकलता है तो वहां अलग-अलग सर्वे एजेंसी और न्यूज चैनल के लोग मौजूद होते हैं। वह मतदाता से वोटिंग को लेकर सवाल पूछते हैं। इसमें उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसको वोट दिया है? इस तरह से हर विधानसभा के अलग-अलग पोलिंग बूथ से वोटर्स से सवाल पूछा जाता है। मतदान खत्म होने तक ऐसे सवालों के बड़ी संख्या में जवाब एकत्र हो जाते हैं। इन आंकड़ों को जुटाकर और उनके उत्तर के हिसाब से अंदाजा लगाया जाता है कि पब्लिक का मूड किस ओर है? मैथमेटिकल मॉडल के आधार पर ये निकाला जाता है कि कौन सी पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती हैं? इसका प्रसारण मतदान खत्म होने के बाद ही किया जाता है।

कितने लोगों से सवाल पूछा जाता है?

एग्जिट पोल कराने के लिए सर्वे एजेंसी या न्यूज चैनल का रिपोर्टर अचानक से किसी बूथ पर जाकर वहां लोगों से बात करता है। इसमें पहले से तय नहीं होता है कि वह किससे सवाल करेगा? आमतौर पर मजबूत एग्जिट पोल के लिए 30-35 हजार से लेकर एक लाख वोटर्स तक से बातचीत होती है। इसमें क्षेत्रवार हर वर्ग के लोगों को शामिल किया जाता है।

ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल में क्या होता है अंतर?

ओपिनियन पोल: ओपिनियन पोल चुनाव से पहले कराए जाते हैं। ओपिनियन पोल में सभी लोगों को शामिल किया जाता है। भले ही वो वोटर हों या नहीं हों। ओपिनियन पोल के रिजल्ट के लिए चुनावी दृष्टि से क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों पर जनता की नब्ज को टटोलने का प्रयास किया जाता है। इसके तहत क्षेत्रवार यह जानने की कोशिश की जाती है कि जनता किस बात से नाराज और किस बात से संतुष्ट है।

एग्जिट पोल: एग्जिट पोल मतदान के तुरंत बाद किया जाता है। एग्जिट पोल में केवल वोटर्स को ही शामिल किया जाता है। मतलब इसमें वही लोग शामिल होते हैं, जो वोट डालकर बाहर निकलते हैं। एग्जिट पोल निर्णायक दौर में होता है। मतलब इससे पता चलता है कि लोगों ने किस पार्टी पर भरोसा जताया है। एग्जिट पोल का प्रसारण मतदान के पूरी तरह से खत्म होने के बाद ही किया जाता है। ओपिनियन पोल के बारे में रोचक जानकारी दुनिया में चुनावी सर्वे की शुरुआत सबसे पहले अमेरिका में हुई। जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने अमेरिकी सरकार के कामकाज पर लोगों की राय जानने के लिए ये सर्वे किया था। बाद में ब्रिटेन ने 1937 और फ्रांस ने 1938 में अपने यहां बड़े पैमाने पर पोल सर्वे कराए। इसके बाद जर्मनी, डेनमार्क, बेल्जियम तथा आयरलैंड में चुनाव पूर्व सर्वे कराए गए। एग्जिट पोल के बारे में रोचक जानकारी एग्जिट पोल की शुरुआत नीदरलैंड के समाजशास्त्री और पूर्व राजनेता मार्सेल वॉन डैम ने की थी। वॉन डैम ने पहली बार 15 फरवरी 1967 को इसका इस्तेमाल किया था। उस समय नीदरलैंड में हुए चुनाव में उनका आकलन बिल्कुल सटीक रहा था। भारत में एग्जिट पोल की शुरुआत इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन (आईआईपीयू) के प्रमुख एरिक डी कोस्टा ने की थी। 1996 में एग्जिट पोल सबसे अधिक चर्चा आए। उस समय दूरदर्शन ने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज (सीएसडीएस) को देशभर में एग्जिट पोल कराने के लिए अनुमति दी थी।1998 में पहली बार टीवी पर एग्जिट पोल का प्रसारण किया गया।

ये एजेंसी और चैनल कराते हैं सर्वे

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