देव दिवाली, सुरंग में फंसे मजदूरों की सकुशलता के लिए 21 हजार दीपक जलाए गए
उत्तराखंड। हरिद्वार में देव दिवाली के मौके पर सिल्क्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों के लिए प्रार्थना करते हुए हर की पौड़ी में 21 हजार दीपक जलाए गए।
दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा पर देवताओं की दीपावली होती है. ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को मनाने के लिए देवता स्वर्ग से काशी के पावन गंगा घाटों पर अदृश्य रूप में अवतरित होते हैं और महाआरती में शामिल श्रद्धालुओं के मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं. ये पर्व काशी की प्राचीन संस्कृति का खास अंग है.
देव दीपावली का वर्णन शिव पुराण में मिलता है कि जब कार्तिक मास में त्रिपुरासुर नामक राक्षस ने देवताओं पर अत्याचार शुरू किया और उनको मारने लगा तब भगवान शिव ने इस क्रूर राक्षस का वध इसी दिन किया था और देवताओं ने दीपावली मनाई थी. वहीं ऐसी भी मान्यता है कि काशी नरेश ने अपने शहीद सैनिकों के लिए घाटों पर दीप प्रज्ज्वलन की प्रथा शुरू की थी. घाटों पर गंगा की महाआरती में लोग मानों आस्था के समुंद्र में गोते लगाते हैं. पंचगंगा घाट से शुरू हुई देव दीपावली का दीप आज काशी के सभी घाटों पर जगमगाने लगी है.