दिल्ली। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को वकीलों से जब तक बहुत जरूरी न हो, तब तक मामले की सुनवाई स्थगित करने का आग्रह नहीं करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते कि सुप्रीम कोर्ट ‘तारीख पे तारीख कोर्ट’ बने। मुख्य न्यायाधीश ने वकीलों द्वारा बड़े पैमाने पर स्थगन आदेश के आग्रह के आंकड़ों का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अदालत की कार्यवाही शुरू होते ही वकीलों द्वारा बड़े पैमाने पर मामले की सुनवाई स्थगित करने के आग्रह का मुद्दा उठाया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पिछले दो महीनों में वकीलों ने 3,688 मामलों में सुनवाई स्थगित करने का आग्रह किया। मुख्य न्यायाधीश ने वकीलों से आग्रह किया कि जब तक बहुत जरूरी नहीं हो, तब तक कृपया स्थगन का अनुरोध नहीं करें। उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता कि यह सुप्रीम कोर्ट तारीख-पे-तारीख कोर्ट बने। उन्होंने कहा कि यह अदालतों के प्रति लोगों के विश्वास को कमजोर करता है। उन्होंने कहा, मैं बार के सदस्यों से एक अनुरोध करता हूं, अनावश्यक मामले की सुनवाई स्थगित करने का आग्रह नहीं करें।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि बार एसोसिएशनों की मदद से सुप्रीम कोर्ट में मामला दाखिल किए जाने के बाद नए मामलों को सूचीबद्ध करने में समय का अंतर काफी कम हो गया है। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर मामले की सुनवाई स्थगित किए जाने के आग्रह के चलते उसे दाखिल करने और सूचीबद्ध करने का उद्देश्य विफल हो गया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को 178 मामलों की सुनवाई स्थगित करने के अनुरोध की पर्चियां हैं। इसी तरह एक और तीन सितंबर तक प्रति विविध दिन औसतन 154 स्थगन आदेश की पर्चियां दाखिल की गईं। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसके उलट सितंबर 2023 से अब तक 2361 मामलों का उल्लेख (शीघ्र सुनवाई का अनुरोध) किया गया, जो कि हर दिन औसतन 59 मामले हैं।