अशोक पटेल “आशु ” धमतरी
रायपुर। छत्तीसगढ़ी भाखा के जब बात होथे।त सबले पहिली हमर छत्तीसगढ़ राज के सपना देखईया सियनहा,महान विभूति मन के सुरता हर आ जाथे। ए राज के सपना ल ओमन देखिन अउ ओ सपना ल पुरा करे मा कोनो कोर-कसर ल नई छोडिन।जेमन अपन स्वाभिमान,अस्मिता, संस्कृति अउ अधिकार ल बचाय खातिर अलग छत्तीसगढ़ राज के सपना ल पुरा करिन।ए महान विभूति मन के प्रयास,योगदान,बलिदान ल कभु भुलाए नई जा सकय।ए मन युगों-युगों तक हमेशा अमर रही सुरता आत रही।अउ प्रेरणा देत रही।अइसन बेरा मा जब हमन ल अपन राज-पाठ मिलगे ता संगे-संग हमर मान,बढ़ाई,अस्मिता,स्वाभिमान अउ विचार अभिव्यक्ति के अधिकार भी मिलना चाहिए रिसे।जेकर से हमर पहिचान बने हे,जे पहिचान से हमन ल अपन राज मिलिस। जे भाखा ले हमर छत्तीसगढ़ राज बनिस।बात छत्तीसगढ़ी भाखा के हे।अउ इही छत्तीसगढ़ी भाखा बर हमन ल कतका किसम-किसम के उदिम करे बर लागत हे।
बात छत्तीसगढ़ी भाखा ल “राज भाषा” बनाय के हे।जेकर से
जे भाखा,से हमर चिन्हारी होईस उही भाखा बोली के लिए हमन
आज ललावत हावन।अर्थात
“ललहा ला कसावर नोहर” होगे।
वइसे तो हमर छत्तीसगढ़ी भाखा ह,हमर राज नई बने रिसे ओकर पहिली ले समृद्ध होगे रिसे। जेमा की हमर महान स्वतन्त्रता सेनानी जेला छत्तीसगढ़ के गांधी कहे जाथे प.सुंदर लसल शर्मा जी प्रथम छ. गढ़ी प्रबंध काव्य “दानलीला”, प.लोचन प्रसाद पाण्डेय जी प्रथम छ. गढ़ी गद्य लेखन, पाण्डेय बंशी धर शर्मा कि प्रथम उपन्यास “हीरु के कहिनी”,सीताराम मिश्र के प्रथम छ. गढ़ी कहिनी ” सूरही गईया”,काव्यो पाध्याय हिरालाल के प्रथम छ. गढ़ी “व्याकरण”,प.लोचन प्रसाद पाण्डेय के प्रथम छ. गढ़ी नाटक ” कलिकाल”,शरद कोठारी के प्रथम छ. गढ़ी “व्यंग्य”,अउ डा.विनय कुमार पाठक के प्रथम छ. गढ़ी ” “समीक्षा” के रचना करिन।जेमन हमर छत्तीसागढ़ के लिए गौरव अउ सम्मान के बात आय। इही परम्परा म रेवाराम बाबू,प्रहलाद दुबे, लक्ष्मण कवि,दायशंकर शुक्ल,कोडुराम दलित,माधवराव सप्रे, बलदेव प्रसाद मिश्र,पदुम लाल पुन्ना लाल बक्शी,श्याम लसल चतुर्वेदी,विनोद शुक्ल,नरेन्द्र वर्मा,कपिल नाथ कश्यप,सन्त पवन दिवान,द्वारिका प्रसाद तिवारी, लक्ष्मण मस्तूरिहा,छत्तीसगढ़ी साहित्य ल जम के समृद्ध करिन।अउ वर्तमान म सुरेंद्र दुबे,सुशील कुमार वर्मा,परदेशी राम वर्मा,गुलाल वर्मा,दानेश्वर शर्मा,सुधा वर्मा मन सुघर साहित्य सृजन करत हे,अउ हमर साहित्य ल पोठ करत हें। त एमा राज भाखा ल राज भाषा बने म कोनो प्रकार के अड़चन नई होना चाहिए।
रहिस बात मनकीकरण के, देवनगरी लिपि के 52 वर्ण ल बउरे के बात भी होथे। वइसे राज बने के बाद म ए भाखा ल राज भाषा के दर्जा दिलाय बर सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ राज भाषा आयोग विधेयक 28 नवंबर 2007 म परित करे गिस। संगे -संग 2007 के जुलाई म एला राजपत्र म प्रकाशित भी करे गिस।एहर एक अच्छा अउ सराहनीय पहल माने गिस। समय-समय म प्रांतीय सम्मेलन आदि भी करवाय जात हे।अउ हमर राज के मंत्री विधायक नेता मन, आयोग के अध्यक्ष सचिव मन भी बार-बार बोलथें कि- “ए भाखा ल लोक व्यवहार म अउ लोक जीवन म लाना चाहिए।” अर्थात ए भाखा ल लोक-जीवन के साथ-साथ सरकारी काम- काज म भी लाना चाहिए ताकि एकर ज्यादा से ज्यादा विस्तार हो सके।
एकर अलावा जो पुनीत कारज करे जाथे ओ हर आय “बिजहा कार्य” जेमा हमर छत्तीसगढ़ी शब्द विलुप्त होवत हे ओला एमा संग्रहित करे के कारज होवत हे।अइसनहे कारज “माई कोठी योजना” संचालित करे जाथे। जेमा छत्तीसगढ़ी म लिखे साहित्य किताब मन ल संग्रहित करे जाथे।ए सब हर शासन के महत्वपूर्ण अउ महती कारज आय।जेकर से निश्चित ही हमर साहित्य हर समृद्ध होही।संगे-संग हमर राज म किसम-किसम के पत्र-पत्रिका अखबार विशेषाँक भी निकलत हे जइसे की देशबंधु म “मड़ई”, पत्रिका म “पहट”, हरिभूमि म “चौपाल” ,लोकसदन म “झाँपी”, अउ इही छत्तीसगढ़ म रायगढ़ से “सुग्घर छत्तीसगढ़”,रायपुर से “अरई तुतारी”,राजनंदगाँव से “दैनिक दावा” ,राजिम से “खबर गंगा”, गरियाबंद से “छत्तीसगढ़ शब्द” ,महासमुंद से “छत्तीसगढ़ जनादेश” ,रायगढ़ से “किरण दूत” ,सारंगढ़ से “सारंगढ़ टाइम्स”, अंबिकापुर से “घटती घटना”, धमतरी से “प्रखर समाचार”, एकर संगे-संग,जनता से रिश्ता,”ले खवीर”,गुड़ी गोठ,डेली पहट,”सी जी ट्रैक” ,”नवप्रदेश”अन्यान्य किसम-किसम के अखबार प्रकाशन होवत हे जेमा हमर छत्तीसगढ़ी भाखा ल जगह देके साहित्य ल समृद्ध करे जाथे।ए हर एक सरहनीय पहल आय।एहर छत्तीसगढ़ राज सहित सम्मक भारत के केंद्र सरकार के लिए अच्छा संदेश आय।अब एमा बेरा करे के कोनो बात नइये।अब सिर्फ अउ सिर्फ हमर राज के सरकार सहित केंद्र सरकार ल एकर चेत करना चाहिए। अउ हमर भाखा ल भारतीय संविधान के 8 वीं अनुसूची म जोड़ के एला “राज भाषा” के दर्जा देहे के महती कृपा करना चाहिए।