धर्म-अध्यात्म

आज नवरात्रि की महानवमी, कन्या पूजन के साथ करें बटुक पूजा भी, जानें भैरव पूजा विधि और महत्व

Renuka Sahu
14 Oct 2021 2:19 AM GMT
आज नवरात्रि की महानवमी, कन्या पूजन के साथ करें बटुक पूजा भी, जानें भैरव पूजा विधि और महत्व
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फाइल फोटो 

आज 14 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का अंतिम दिन है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज 14 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का अंतिम दिन है. इस दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है और माता रानी का स्वरूप माने जाने वाली कन्याओं के पूजन यानी कंजक खिलाते समय उनके साथ एक बालक का भी पूजन किया जाता है. बालक को बटुक भैरव का प्रतीक माना जाता है. देवी मां की पूजा के बाद भैरव की पूजा बेहद अहम मानी जाती है.

बटुक भैरव की पूजा
भगवान श्री बटुक-भैरव बालक रूपी हैं. भगवान भैरव के इस स्वरूप की पूजा अर्चना सभी प्रकार से लाभकारी और मनोकामनाओं को पूरा करने वाली मानी जाती है. इनकी पूजा में दैनिक नैवेद्य दिनों के अनुसार किया जाता है. इनकी पूजा दक्षिण दिशा की ओर मुख करके की जाती है. साधक को लाल या काले वस्त्र को धारण करके करना चाहिए. इनकी पूजा के दौरान लगाए गए भोग को साधना के बाद थोड़ा सा प्रसाद के रूप में ग्रहण करें. शेष प्रसाद को कुत्तों को खिला दें. पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्रों का कम से कम 21 माला का जाप करें.
बटुक भैरव आराधना के लिए मंत्र
।।ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाचतु य कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ।।
महत्व: कन्या पूजन के समय एक बालक के पूजन का विधान है. इसे लंगूर भी बोला जाता है. ये बटुक भैरव का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि बटुक भैरव देवता ऐसे हैं जो अपने भक्तों के ऊपर बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं और उन्हें बहुत बड़ी से बड़ी विपदाओं से बचा लेते हैं. चाहे शत्रुओं का संकट हो किस भी ग्रह का दोष हो उसे बटुक भैरव दूर करते हैं. भगवान बटुक भैरव की पूजा करने से बुद्धि और मान-सम्मान में वृद्धि होती है.


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