प्रौद्योगिकी

क्या है Pegasus स्पाईवेयर? जिसके कारण भारत समेत दुनिया में मचा बवाल, जाने पूरी जानकारी

jantaserishta.com
19 July 2021 3:10 AM GMT
क्या है Pegasus स्पाईवेयर? जिसके कारण भारत समेत दुनिया में मचा बवाल, जाने पूरी जानकारी
x

Pegasus फिर से न्यूज में है. इससे पहले इस पर साल 2019 में चर्चा हुई थी. ये चर्चा तब शुरू हुई थी जब कई WhatsApp यूजर्स को वॉट्सऐप की ओर से मैसेज मिला कि उनके फोन को Pegasus की मदद से ट्रैक किया जा रहा है. इसमें पत्रकार, एक्टिविस्ट शामिल थे. इसके बाद से Pegasus सॉफ्टवेयर लगातार चर्चा में ही है. रिपोर्ट के अनुसार कई देशों की सरकार इसे यूज कर रही हैं.

ऐसे में अब सवाल उठता है आखिर ये Pegasus है क्या और ये कैसे काम करता है? इससे आपको डरने की जरूरत है या नहीं? यहां आपको ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब दे रहे हैं. सबसे पहले आपको बता दें कि Pegasus एक स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर है. यानी इससे किसी की जासूसी की जा सकती है. इसे इजरायल की एक कंपनी NSO Group ने तैयार किया है. ये कंपनी साइबर वेपन्स बनाने के लिए जानी जाती है.
NSO Group ने कन्फर्म किया है Pegasus सॉफ्टवेयर है. इजरायली कंपनी ने बताया है वो सिर्फ सरकार को ये टूल बेचती है और इसके मिसयूज के लिए जिम्मेदार नहीं है. इससे फोन हैक करने पर यूजर्स को पता भी नहीं चलता है कि उनका फोन हैक हुआ है. इस वजह से इसका यूज किया जाता है.
एक बार हैकर हैक करने वाले फोन को टारगेट लें तो वो उसको malicious वेबसाइट की लिंक सेंड करते हैं. अगर यूजर इसपर क्लिक करते हैं तो उनके फोन में Pegasus इंस्टॉल हो जाता है. इसे वॉट्सऐप वॉयस कॉल के जरिए भी कई बार इंस्टॉल कर दिया जाता है. ये इतना ज्यादा एडवांस सॉफ्टवेयर है कि इसे बस मिसकॉल के जरिए भी टारगेट फोन में इंस्टॉल किया जा सकता है.
फोन में इंस्टॉल हो जाने के बाद ये अपना काम शुरू कर देता है. ये कॉल लॉग हिस्ट्री को डिलीट कर देता है. इससे यूजर को मिसकॉल के बारे में भी नहीं पता चल पाता है. फोन पर ये पूरी तरह से नजर रख सकता है. यहां तक कि ये वॉट्सऐप एन्क्रिप्टेड चैट्स को भी पढ़ने लायक बना देता है. ये यूजर्स के मैसेज को पढ़ने के अलावा, कॉल को ट्रैक, यूजर की एक्टिविटी को ट्रैक कर सकता है.
सिक्योरिटी रिसर्चर के अनुसार, Pegasus लोकेशन डेटा, फोन के वीडियो कैमरा का एक्सेस, माइक्रोफोन का एक्सेस भी ले लेता है. इससे वो किसी की बातचीत को भी आसानी से सुन सकता है. ये ब्राउजर हिस्ट्री, कॉन्टैक्ट डिटेल्स, मेल पढ़ने, स्क्रीनशॉट लेने में भी सक्षम है.
ये एक अल्टीमेट सर्विलांस टूल है. अगर कोई सरकार किसी पर नजर रखना चाहती है तो वो Pegasus की ओर जा सकती है. ये काफी स्मार्ट और एडवांस सर्विलांस सॉफ्टवेयर है. अगर इसका संपर्क कमांड और कंट्रोल सर्वर से 60 दिन तक नहीं हो पता है या इसे लगता है ये गलत डिवाइस पर इंस्टॉल हो गया है तो ये अपने आप को नष्ट कर लेता है.
आपको बता दें कि Pegasus काफी महंगा सॉफ्टवेयर है. इसकी कीमत लाखों डॉलर है. कंपनी ने कहा है ये सिर्फ सरकार को ही सॉफ्टवेयर बेचती है. Pegasus का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर नहीं हो सकता है. इस वजह से आम आदमी को इससे डरने की जरूरत नहीं है.

Next Story